न अन्ना, न जनता...कुर्सियों से मुख़ातिब ममता
मायूसी शायद इसलिए भी ज़्यादा हो कि रैली में ममता बनर्जी के साथ अन्ना हज़ारे के आने का ऐलान किया गया था, पर जनता के लिए शायद यह भी नाकाफ़ी था.कुछ दो-तीन सौ लोग जमा थे और ममता स्टेज पर थीं. अन्ना के आने का इंतज़ार था, और इंतज़ार में बॉलीवुड के पुराने गाने गाए जा रहे थे.दोपहर हो चली थी, और ख़राब तबियत की वजह से अन्ना के न आने की ख़बरें टीवी चैनलों पर चलने लगी थीं.आख़िरकार 'कजरा मोहब्बत वाला...' गाना गाए जाने के बाद अचानक ऐलान किया गया कि अब ममता जनता से मुख़ातिब होंगी.शायद अन्ना के न आने की ख़बर पुख्ता हो गई थी और जनता के मैदान से जाने का ख़तरा बढ़ रहा था.ममता बनर्जी ने भाषण की शुरुआत में ही कहा कि वह अन्ना हज़ारे के कहने पर दिल्ली में रैली करने के लिए आई हैं.
उन्होंने कहा, "यह हमारी रैली नहीं हैं, हम अन्ना जी के कहने पर बंगाल से काम छोड़कर आए हैं. पर आज बहुत धूप है, वर्किंग डे है. हम आप लोगों को इंतज़ार नहीं कराना चाहते, बस हम अपना संदेश देना चाहते थे, इसलिए यहां हैं."अन्ना के न आने से निराशा
मैदान में जुटे लोगों के सरों पर 'मैं अन्ना हूं' की टोपियां चमक रही थीं. समर्थक तृणमूल कांग्रेस के थे या अन्ना हज़ारे के यह कहना मुश्किल था.
ममता ने यह भी कहा कि अन्ना बुज़ुर्ग हैं और अगर उनकी सेहत ठीक नहीं है, तो उनका रैली में न आने का फ़ैसला सही था.