- अनुमान के हिसाब से बिहार में हर दिन 5,000 किलो खैनी की खपत

- उत्तर बिहार की मुख्य नगदी फसल है खैनी, ज्यादातर की आदत में शुमार है खैनी खाना

PATNA: खैनी, तम्बाकू या सुरती बिहार के भ्ब् परसेंट वैसे लोगों की पसंद है, जिनकी उम्र क्भ् से ज्यादा है। यहां गांव में एक कहावत है-'अस्सी चुटकी नब्बे ताल, खैनी रगड़ के मुंह में डाल' लोग प्यार से इसे बुद्धिव‌र्द्धक चूर्ण कहते हैं। अंग्रेजी में शॉर्टकट नेम बीबीसी भी। कई बड़े नेता से लेकर बड़े ब्यूरोक्रेट्स, कई नामचीन से लेकर रिक्शावाले और ऑटोवाले तक में मशहूर है खैनी। लोकल ट्रेन में चढ़ने के बाद देखिए खैनी की उस्तादी। आप छींकते रहिएखैनी के कद्रदान खैनी ठोंक कर खा ही लेंगे। आप कहिएगा कैंसर हो जाएगा। जवाब मिलेगा जब मरना है तभिए मरेंगे। आप कहिएगा हानिकारक है। जवाब मिलेगा खैनी से हानि नहीं है गुटखा पर हैमूर्ख हैं क्या सरकार ने भी खैनी पर बैन नहीं लगाया है सिर्फ गुटखा, सिगरेट, पान मसाला पर लगाया है। आप ही को कानून मालूम है कि हमको भी कुछ पता रहता है। इस जवाब के बाद आप क्या करिएगा?

वोट बैंक है खैनी

खैनी खाना हानिकारक है। इससे कैंसर हो सकता है। खाने वाले को ये समझना चाहिए। सरकार ने इस पर बैन लगाने का मन भी बनाया। लेकिन किसान के साथ बैठक हुई और खैनी पर बैन लगाने का इरादा बदल गया। बिहार के समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, वैशाली, दलसिंहसराय, मुंगेर (असरगंज के मकवा में) खैनी उपजाने वाले किसानों की संख्या अधिक है। ये नगदी फसल है। इस पर बैन लगाने का मतलब होता एक बड़े वोट बैंक से हाथ धो बैठना। जब खैनी पर बैन नहीं लगा तो टोबैको पर काम करने वाली एक संस्था सीड्स (सोश्यो इकोनॉमिक एंड एजुकेशनल डेवलपमेंट सोसाइटी) ने इसे टोबैको बैन में बड़ी दुर्घटना कहा। बिहार में खैनी गुजरात से भी मंगाई जाती है।

छोटी गुमटी व सैकड़ों कस्टमर्स

आशियाना मोड़ पर पान की छोटी गुमटी जितनी बड़ी खैनी की दुकान है। एक दुकानदार जो हाथ से खैनी को काटकर बेचते हैं, बताते हैं कि एक दिन में सौ से ज्यादा कस्टमर आते हैं खैनी लेने। जो मशीन से खैनी काटकर बेचते हैं उनके पास तो खैर गिनती ही नहीं है। सौ रुपए किलो से लेकर ढाई सौ रुपए किलो तक खरीद कर लाते हैं। होलसेल का रेट पत्ते के छोटे-बडे़ होने से घटता-बढ़ता है। इसे खुदरा में फ्00 रुपए किलो बेचते हैं। इसकी खपत का अनुमान ये है कि मुंगेर जैसे जिले में सौ किलो खैनी एक दिन में बिक जाती है। इस हिसाब से फ्8 जिलों में कितनी खपत होगी सोचिए। टोबैको उत्पादों में सबसे ज्यादा खपत खैनी की ही है। एक अनुमान के हिसाब से भ्,000 किलो खैनी की खपत पूरे बिहार में है।

आदत ऐसी कि मत कहिए

खैनी का पत्ता मंगाकर इसे पानी से भींगे कपड़े से ढक कर रखते हैं। कस्टमर के लिए तैयार करते वक्त बीच का डंठल हटा देते हैं और पत्ते को काटते हैं। यही पत्ता कट कर खाने लायक बनता है। खाने वाले चूने के साथ इसे हथेली पर मसल कर तैयार करते हैं और होठ के नीचे दबाते हैं। आदत ऐसी कि इसे खाने वाले ज्यादातर लोग खैनी खाए बिना शौचालय नहीं जाते। गांवों में महिलाएं भी खूब पसंद करती हैं तंबाकू।

स्कूली बच्चे भी चपेट में

कॉलेज के ढेरों स्टूडेंट को इसकी लत तो है ही। हाई स्कूलों के कई बच्चे भी इसकी चपेट में हैं। घर के मेंबर की चुनौटी चुराकर चुपके से खैनी खाते-खाते यह आदत बड़े तक रह जा रही है। तंबाकू मुंह का कैंसर देता है। लेकिन खैनी पर चूंकि कोई टैक्स नहीं है इसलिए ये हर चौक-चौराहे पर बिंदास बिकता है। खाया जाता है। फिर जहां-तहां थूका जाता है। आंकड़े बताते हैं कि बिहार में मुंह के कैंसर के पेशेंट्स बहुत ज्यादा हैं। यहां कुल कैंसर पेशेंट्स में ओरल कैंसर के पेशेंट ब्0 परसेंट हैं। तंबाकू नोडल ऑफिसर डॉ रजनीश भी मानते हैं कि मुंह का कैंसर बिहार में बहुत ज्यादा है।

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे की रिपोर्ट

इस रिपोर्ट के ख्009-क्0 के आंकड़ों पर गौर करें तो आप चौंक जाएंगे। बिहार खास स्थान रखता है इस आंकड़े में।

तंबाकू खाने का परसेंटेज

तंबाकू यूजर - परसेंट

एडल्ट टौबैको यूजर- भ्फ्.भ्

डेली यूजर- ब्क्.8

ओकेजनल यूजर- क्क्.7

आकेजनल यूजर फॉरमर डेली- ख्.भ्

ओकेजनल यूजर नेवर डेली- 9.क्

मेल यूजर का परसेंटेज

करेंट टोबैको यूजर- म्म्.ख्

डेली यूजर- भ्भ्.7

ओकेजनल यूजर- क्0.म्

ओकेजनल यूजर फॉरमर डेली- क्.भ्

ओकेजनल यूजर नेवर डेली- 9.0

फीमेल यूजर का परसेंटेज

करेंट टोबैको यूजर- ब्0.क्

डेली यूजर- ख्7.ख्

ओकेजनल यूजर- क्ख्.8

ओकेजनल यूजर फॉरमर डेली- फ्.म्

ओकेजनल यूजर नेवर डेली- 9.ख्

Posted By: Inextlive