अधिवक्ताओं ने की मांग, नियोजित शिक्षकों को मिले सहायक शिक्षक का दर्जा और सुविधाएं

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क्कन्ञ्जहृन्: सर्वोच्च न्यायालय में जस्टिस अभय मनोहर सप्रे और यूयू ललित की बेंच में मंगलवार को बिहार के साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों के समान वेतन पर हुई सुनवाई अधूरी रही। बुधवार को फिर सुनवाई होगी।

मंगलवार को टीईटी-एसटीईटी संगठन की अधिवक्ता विभा मखीजा ने कोर्ट में शिक्षक संगठनों का पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि देश में शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद जिस राज्य में भी शिक्षक बहाल किए गए, वहां उनकी नियुक्ति सहायक शिक्षक के रूप में की गई।

वेतन का ब्यौरा तलब

सिर्फ बिहार की ऐसा राज्य है, जहां टीईटी पास शिक्षकों का भी नियोजन किया गया। उन्हें सहायक शिक्षक का दर्जा नहीं दिया गया। यह एक तरह से शिक्षकों का शोषण है। अधिवक्ता मखीजा की दलील पर कोर्ट ने टीईटी उत्तीर्ण शिक्षकों के वेतन का ब्यौरा तलब किया। जवाब में मखीजा ने कोर्ट को बताया कि बिहार में टीईटी पास कर बहाल होने वाले नियोजित शिक्षकों को भी सरकार वर्तमान में 17 हजार रुपये वेतन के रूप में दे रही है। जबकि प्रदेश में सातवें वेतनमान आयोग की अनुशंसा लागू की गई है इसके बाद यह स्थिति है।

शिक्षक संगठनों ने शोषण करने का लगाया आरोप

मखीजा ने एक बार फिर दोहराया कि बिहार सरकार आर्थिक स्थिति का हवाला देकर नियोजित शिक्षकों का शोषण कर रही है। इसलिए कोर्ट शिक्षकों के हक में फैसला दे और बिहार के नियोजित शिक्षकों को भी सहायक शिक्षक का दर्जा और अन्य सुविधाएं दी जाए। आज की सुनवाई के दौरान शिक्षक संगठनों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी। चिदंबरम, अभिषेक मनु सिंघवी सहित अन्य अधिवक्ता मौजूद रहे। यहां बता दें कि भारत सरकार के अटार्नी जनरल वेणु गोपाल ने कोर्ट में मेंशन किया था कि वह अपनी बात रखने को तैयार हैं। उन्होंने कोर्ट से कहा कि वह अगले हफ्ते कोर्ट में अपनी दलील रखेंगे। समान वेतन पर सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी। बुधवार को पी चिदंबरम कोर्ट में दलील पेश करेंगे।

Posted By: Inextlive