- एसटीएफ के मुताबिक, आवास विकास हंसपुरम से मुठभेड़ के बाद पकड़ा मोनू पहाड़ी को

- उसके पास से पल्सर बाइक, .32 बोर पिस्टल, चार कारतूस बरामद

- जेल से छूटने के बाद कत्ल करने का रिकॉर्ड है मोनू का, कहा इस बार टायसन का नंबर

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KANPUR : मोनू पहाड़ी की गिरफ्तारी की रियल स्टोरी तो हम आपको बता ही चुके हैं लेकिन पुलिसिया कहानी को भी जानना जरूरी है। मोनू पहाड़ी की गिरफ्तारी में मोबाइल सर्विलांस और किसी भी तरह के इलेक्ट्रानिक सर्विलांस से तो पुलिस इंकार कर रही है। लेकिन मोनू के पास से मोबाइल पुलिस ने बरामद किया है। एएसपी एसटीएफ शहाब रशीद खान के नेतृत्व में एसटीएफ की टीम ने लोकल इंफॉर्मेशन की बिनाह पर नौबस्ता आवास विकास ब्रह्ममदेव मंदिर के पास से दोपहर ख्.फ्भ् बजे मोनू पहाड़ी को गिरफ्तार किया। उसने इस दौरान फायरिंग भी की लेकिन एसटीएफ ने उस पर काबू पा लिया। उसके पास से पल्सर बाइक .फ्ख् बोर पिस्टल, चार कारतूस बरामद हुए।

दूसरे जिलों में कर रहा था वारदातें

चार साल पहले कचहरी से पुलिसवालों को चकमा देकर फरार होने के बाद से मोनू पहाड़ी भागा-भागा ही घूम रहा था। चंदौली, इलाहाबाद, बनारस,फतेहपुर में वह काफी समय तक रहा। बताते हैं कि उसने बनारस और इलाहाबाद के एक गैंग के लिए काफी समय काम करते हुए भी कई वारदातें की। दूसरे शहरों में वह रईस बनारसी के कॉन्टेक्ट के जरिए ही रुकता था। पुलिस की मानें तो वह हर महीने हमेशा रात को ही शहर आता था। मोनू की पूरी फैमिली तो वैसे मुंबई शिफ्ट हो गई है। लेकिन कुछ रिश्तेदार जाजमऊ में भी रहते हैं इसलिए वह उनके पास ही मिलने जाता था। हमेशा पुलिस और दूसरे बदमाशों से मारे जाने के डर की वजह से भी वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया।

चेहरे पर कोई शिकन नहीं।

मोनू पहाड़ी का इतिहास ऐसा है कि वह जब भी जेल से छूटकर बाहर आता है, अपनी मौजूदगी जताने के लिए एक कत्ल जरूर करता है। क्फ् साल की उम्र में पहली बार जेल जाने के बाद जब वह बाहर निकला तो उसने पहला कत्ल किया था। उसके बाद दोबारा जब वह जेल गया तो छूटने के बाद उसने अपनी पे्रमिका निहां की हत्या कर दी। तीन साल की फरारी के बाद तीसरी बार जब वह पकड़ा गया है तो भी उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं है। वह फिर सीना ठोक के कह रहा है कि टायसन उसका अगला निशाना है। दरअसल मोनू टाइसन की हत्या करने की योजना बनाते समय ही एसटीएफ के हत्थे चढ़ा। मोनू पहाड़ी के मुताबिक, साथी सोनू चिकना के साथ कोपरगंज में टाइसन की हत्या करनी थी लेकिन उससे पहले ही वह एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया।

मोनू को पकड़ना मुश्किल था

मौजूदा दौर में पुलिस हर मामले के खुलासे या अपराधी को पकड़ने के लिए मोबाइल सर्विलांस का ही सहारा लेती है। लेकिन मोनू पहाड़ी की खासियत यही थी कि वह मोबाइल नहीं रखता था। शानू बॉस की हत्या के बाद से उसने मोबाइल रखना बंद कर दिया था। अपराधी के पकड़े जाने की दूसरी वजह महिला से संबंध भी बनते हैं लेकिन अपनी पे्रमिका नेहा की हत्या करने के बाद से उसके किसी दूसरी महिला से कोई ताल्लुकात नहीं रहे। मोनू को पकड़ने के लिए सिर्फ उसके दुश्मनों का पुलिस ने सहारा लिया।

फिर शुरू होगा गैंगवार.?

एसटीएफ सोर्सेज का कहना है कि मोनू पहाड़ी तीन साल से दूसरे जिलों में एक्टिव था। वह शहर में चोरी छुपे ही आता जाता था। शहर में उसने बीते तीन साल में कोई वारदात भी नहीं की। लेकिन मोनू पहाड़ी साफ कहता है कि वह टाइसन को नहीं मारता तो टाइसन या पुलिस उसे मार देती। मंगलवार को अगर मोनू टाइसन को मारने की अपनी योजना में कामयाब हो जाता तो शहर में सोए हुए गैंग्स में वर्चस्व की लड़ाई फिर शुरू हो जाती। लेकिन अभी वो एसटीएफ के पास है और जल्दी ही जिला जेल जाएगा। तो जेल में बंद मोनू के दुश्मनों के पास एक मौका फिर होगा अपना हिसाब पूरा करने का। ऐसे में एसटीएफ ने गैंगवार को रोका है या सिर्फ टाला है यह आने वाले समय में पता चल जाएगा। लेकिन यह तो तय है कि जेल में बंद बदमाशों का शक्ति संतुलन मोनू के वहां पहुंचने के बाद बिगड़ जाएगा। ऐसे में जेल के अंदर ही कुछ हो जाए तो बड़ी बात नहीं है।

Posted By: Inextlive