आज हिंदी सिनेमा के जाने माने कलाकार सौरभ शुक्ला का जन्‍मदिन है. उनका जन्‍म 5 मार्च 1963 में हुआ. सौरभ को कला विरासत में हासिल हुयी है. उनकी मां डॉ देश की संभवत: पहली महिला तबला वादक रही हैं और उनके पिता प्रो शत्रुघ्‍न शुक्ला दिल्ली विश्वविद्यालय में संगीत एवं फाईन आर्ट विभाग के डीन थे. सौरभ ने दिल्ली के खालसा कॉलेज से पढ़ाई के बाद रंगमंच से अपने कला जीवन की शुरुआत की. जिसमें वह लेखन संगीत संवाद अनुवाद निर्देशन से लेकर अभिनय पक्ष में सक्रिय रहे. जिससे अब तक वह फिल्‍मी दुनिया के कई बड़े अवॉर्डो से नवाजे जा चुके हैं. जानें सौरभ शुक्‍ला के अब तक के टॉप 5 किरदार...

जॉली एलएलबी
जॉली एलएलबी में फिल्म में सौरभ एक न्यायाधीश सुंदर लाल त्रिपाठी जी (सौरभ शुक्ला) की भूमिका मे हैं. जॉली एलएलबी, भारत की न्याय व्यवस्था पर एक व्यंग्य हैं. जगदीश त्यागी उर्फ जॉली (अरशद वारसी) एक संघर्षरत वकील है जो अपने क्षेत्र में एक बड़ा नाम बनना चाहता है. ऐसे में इस फिल्‍म में जज के रुप में सौरभ शुक्ला ने बेहतरीन अभिनय किया है. सौरभ शुक्ला को दर्शकों ने खूब सराहा. फिल्‍म में सौरभ का किरदार ड्रामे के साथ साथ बदलता रहता है. इस फिल्‍म के आने के बाद लोग सौरभ शुक्‍ला को सुंदर लाल त्रिपाठी के नाम से पुकारने लगे थे.

 त्रिपाठी जी का फेमस डॉयलॉग्‍ा

 “मुकदमें की पहली तारीख को मुझे पता होता है कि कटघरे में खड़ा आदमी अपराधी है या नहीं और मैं उन खास सुबूतों का इंतज़ार करता रहता हूं. जो उसे अपराधी साबित भी करेंगे, पर वे सूबूत अदालत के सामने लाये ही नहीं जाते और मेरे हाथ बंध जाते हैं क्योंकि मुझे तो प्रस्तुत साक्ष्यों की बिना पर ही मुक़दमे का फैसला सुनाना पड़ता है.”

‘सत्या’
सौरभ शुक्ला ना केवल उम्दा कलाकार बल्कि बेहतरीन निर्देशक, संवाद लेखक, स्क्रिप्ट राइटर, गीतकार भी हैं. एक फिल्म में तो वे गा भी चुके हैं. वे कितने प्रतिभावान हैं यह बात कई फिल्मों के जरिये साबित हो चुकी हैं. 1998 में आयी फिल्‍म सत्‍या में इन्‍होंने कालू मामा का रोल कर कर चुके हैं. ‘सत्या’ के कल्लू मामा को कौन भूला सकता है? इस रोल ने सौरभ को आम दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय कर दिया. कल्लू मामा के रूप में लोग उन्‍हें पहचानने लगे. इतना ही नहीं लोग उन्‍हें सिर्फ कल्लू मामा के नाम से ही नहीं बुलाते बल्कि कुछ तो उन्हें मामा काणे कह कर भी बुलाते.

बर्फी
2012 में आयी फिल्‍म बर्फी में उन्‍होंने पुलिस वाले का रोल प्‍ले किया है. बर्फी में बर्फी जॉनसन (रणबीर कपूर) जो एक शरारती किस्‍म का मुकबधिर युवक है. वह अक्‍सर जो बिजली का खंभा काटना, मासूम लोगों के साथ ठिठोली करना जैसे कार्य करता है, जिसकी वजह से स्थानीय पुलिस अधिकारी सुधांशु दत्ता (सौरभ शुक्ला) उसका पीछा करते रहते हैं. जिसमें पुलिस अधिकारी सुधांशु दत्ता के मन में बर्फी के उपद्रवों की जांच करते-करते उसके प्रति लगाव उत्पन्न हो चुका है.

पीके
अभी बीते 19 दिसंबर 2014 में आयी निर्देशक राजकुमार हिरानी की फिल्‍म पीके में भी सौरभ ने अभिनय किया है. इस फिल्‍म में इन्‍होंने यह एक बाबा की भूमिका के रूप में नजर आये. इस फिल्‍म में वह एलियन बने आमिर खान से पंगा लेते नजर आये हैं. फिल्‍म में दर्शकों ने उन्‍हें तपस्‍वी महराज के रोल में काफी सराहा है. फिल्‍म में बाबा के नकाब में उन्‍होंने विलेन का पार्ट अदा किया है. जिससे वह अपने निगेटिव किरादार में भी काफी अच्‍छे लगे.

किक
पिछले साल 2014 में आयी डायरेक्‍टर साजिद नाडियाडवाल की फिल्‍म किक में भी सौरभ ने शानदार अभिनय किया. सलमान खान और जैकलिन फर्नाडीज अभिनीत इस फिल्‍म में उन्‍होंने पिता की भूमिका अदा की है. वह फिल्‍म में एक राजनायिक होने के साथ जैकलिन यानी कि शायना के पप्पा बने है. फिल्म की शुरुआत होती है शायना से जो कि अपने पिता के कहने पर हिमांशू त्यागी (रणदीप हुड्डा) से मिलती है, जो कि पुलिस इंस्पेक्टर है.

 


जॉली एलएलबी को मिला नेशनल अवॉर्ड
बॉलीवुड के अपनी एक्‍िटंग के लिये मशहूर सौरभ शुक्‍ला ने अब तक जॉली एलएलबी, सत्‍या, बर्फी, किक, पीके, दे ताली, माई नेम इज़ एंथोनी गोंज़ालेज़, मुम्बई एक्स्प्रेस, बादशाह, ये है मुंबई मेरी जान समेत करीब 3 दर्जन फिल्‍मों में काम कर चुके हैं. जिसमें इनकी फिल्‍मों में जॉली एलएलबी को नेशनल फिल्‍म अवॉर्ड मिला है. अप्रैल 2014 में 61वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में फिल्म जॉली एलएलबी के लिए बेस्ट सपोर्टिंग ऐक्टर का पुरस्कार मिला. इसके अलावा आइफा में भी इन्‍हे सपोर्टिंग अवॉर्ड से नवाजे गये. सबसे खास बात यह रही कि इस फिल्‍म में नेशनल अवार्ड मिलने के बाद निर्देशकों ने उन्‍हें और भी ज्‍यादा तवज्‍जो देना शुरू कर दिया था.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh