भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो को एक बड़ी सफलता हासिल हुई। इसरो ने कल जियोसिन्क्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल GSLV-F05 के माध्यम से श्रीहरिकोटा में एडवांस सैटेलाइट इनसैट-3डीआर को लॉन्च कर दिया है। इससे अब मौसम का सही अनुमान लगाया जा सकेगा। सबसे खास बात तो यह है कि इसरो ने इसे महज 17 मिनट में अंतरिक्ष की मनमाफिक कक्षा में स्थापित कर दिया। ऐसे में आइए जानें इस बड़ी उपलब्‍धि से जुड़ी 10 खास बातें...


क्रायोजेनिक इंजन प्रयोग: सबसे पहले तो जियोसिन्क्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल के बारे में जानना जरूरी है। जीएसएलवी का इसरो द्वारा निर्मित मल्टी स्टेज रॉकेट है। यह दो टन से अधिक भार वाले उपग्रह को जमीन से 36,000 कि.मी. की ऊंचाई पर अंतरिक्ष में स्थापित करता है। इसमें क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल हुआ है।  स्वदेशी क्रायोजेनिक अपर स्टेज: जीएसएलवी की यह उड़ान इसलिए ज्यादा खास है कि क्योकि यह स्वदेशी क्रायोजेनिक अपर स्टेज (सीयूएस) के साथ रही। जी हां यह जीएसएलवी रॉकेट की पहली सफल संचालन पूर्ण उड़ान थी क्योकि इसके पहले जीएसएलवी की जो उड़ाने हुई इस स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के विकास वाले दौर में हुई हैं। 19 चैनल साउंडर उपकरण:
इसमें करीब छह चैनल इमेजर व 19 चैनल साउंडर उपकरण लगाए गए हैं। इसके अलावा थर्मल इंफ्रारेड बैंड का इस्तेमाल हुआ है। जिससे समुद्र के तापमान को सटीक मापा जा सकेगा। यह 1,700 वाट सौर पैनल से यह खुद ऊर्जा बनाएगा। यह सूचना लेने-देने का काम भी काफी तेजी से करेगा। तीसरी सफल उड़ान:  


वहीं जीएसएलवी की क्रायोजेनिक इंजन के साथ लगातार तीसरी सफल उड़ान है। इसके पहले यह जीसेट-14 को जनवरी 2014 में और जीसेट-6 को अगस्त, 2015 में सफलतापूर्वक अंतरिक्ष कक्षा में स्थापित किया था। वहीं यह जीएसएलवी की यह दसवीं सफल उड़ान रही। 4 मौसम उपग्रह बनाए:
वहीं यह भी जानना है जरूरी है कि इसरो ने अब तक 4 मौसम उपग्रह बनाए हैं। इससे पहले इसने 2002 में कल्पना-1, 2003 में इनसेट-3ए और 2013 में इनसैट-3डी नामक स्वदेशी मौसम उपग्रह लॉन्च किया है।

Interesting News inextlive from Interesting News Desk

Posted By: Shweta Mishra