RANCHI: एक करोड़ रुपए के ईनामी माओवादी असीम मंडल उर्फ आकाश पर झारखंड पुलिस ने सरेंडर का प्रेशर बना दिया है। पुलिस सूत्रों की मानें, तो आकाश को संगठन के शीर्ष ओहदेदारों द्वारा संगठन से निकाले जाने की सूचना कई माह पूर्व पुलिस को मिली थी। अपने कुछ खास गुर्गो के साथ सेपरेट दस्ता बना कर लेवी वसूली के काम में लगे आकाश को संगठन से अलग कर दिया गया है। सेंट्रल कमिटी की कमान संभालने वाले सुधाकरण ने आकाश के सहयोगी रामप्रसाद मार्डी को उसकी हत्या की जिम्मेदारी सौंपी है। इसकी सूचना खुफिया विभाग को भी है। इस जानकारी के बाद आकाश ने पुलिस से सम्पर्क साधा है और पुलिस ने उसे दस्ते और हथियार के साथ सरेंडर करने की बात कही है।

आकाश के साथ हैं 13 नक्सली

आकाश के दस्ते में फि लहाल 13 लोग शामिल हैं। इसमें असीम मंडल उर्फ आकाश के अलावा मदन महतो, सचिन उर्फ महादेव, वीरेन उर्फ सागर, प्रदीप मंडल, श्याम सिंकू, समीर सोरेन, मंगल, मीना, बेला, बुल्लू माणिक बिरहारे, जोबा टुडू व मालती शामिल हैं।

जंगल में माओवादियों व पुलिस से घिरा

जंगल के भीतर एक तरफ आकाश को मारने के लिए रामप्रसाद मार्डी अपने दस्ते के साथ घूम रहा है तो दूसरी तरफ पुलिस की 50 जवानों की टुकड़ी भी उसकी तलाश कर रही है। पमदा के तुंगबुरू और बोड़ाम के डांगाडीह इलाके में आकाश के दस्ते के छुपे होने की सूचना है।

सीआरपीएफ अधिकारी की भूमिका

कुंदन पाहन के सरेंडर के पीछे जिस तरह सीआरपीएफ के अधिकारियों की भूमिका सामने आयी थी, ठीक उसी तरह आकाश को भी सरेंडर कराने के पीछे एक सीआरपीएफ अधिकारी काफी दिनों से प्रयासरत हैं। इस अधिकारी ने ही झारखंड पुलिस के सीनियर अफसर के साथ सम्पर्क कर आकाश को सरेंडर कराने पर तैयार किया है।

संगठन से निकाले जाने वाले ही कर रहे सरेंडर

कुन्दन पाहन, नकुल गोप और अब असीम मंडल उर्फ आकाश। हाल के दिनों में सरेंडर को तैयार इन सभी नक्सलियों को माओवादियों ने संगठन से बाहर निकाल दिया और इनकी हत्या का फरमान जारी किया गया। इनपर लेवी के रुपए डकारने और हथियार के साथ अलग दस्ता तैयार करने के आरोप लगे हैं।

मौत से बेहतर जेल व सरेंडर सुविधाएं

संगठन से निकाले जा चुके इन माओवादियों के लिए जंगल में पार्टी और पुलिस से एक साथ निपटना असंभव हो जाता है। ऐसे में मौत से बेहतर जेल जाना होता है साथ ही सरेंडर पालिसी के तहत मिलने वाली सुविधाओं का भी भरपूर लाभ मिलता है। यही कारण है कि मूलत: बंगाल में एक्टिव रह रहे आकाश ने सरेंडर के लिए झारखंड का कोल्हान प्रमंडल चुना है।

वर्जन

अभी इस संबंध में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन पुलिस के सम्पर्क में आकर जो भी नक्सली सरेंडर करना चाहेगा, उसे सरकार की तरफ से बनाई गई पुनर्वास नीति का लाभ मिलेगा। हथियार डालना ज्यादा बेहतर विकल्प है उनके लिए।

-अनूप बिरथरे, एसएसपी, जमशेदपुर

Posted By: Inextlive