- जहरीले कैल्शियम कार्बाइड से पकाया जा रहा है आम

- एक किलो कैल्शियम कार्बाइड से करीब 1200 किलो आम पकते हैं

- नवीन मंडी और आसपास के इलाकों में आसानी से मिल जाता है ये जहर

sharma.saurabh@inext.co.in

Meerut : गर्मियों के जिस रसीले का आम का आनंद हम बड़े लुत्फ उठाकर लेते हैं। अगर इसके स्वाद और इसे पकाने के बारे में और पूरे प्रोसेस के बारे में जानकारी हासिल कर लेंगे तो शायद ही आप कभी आम को अपनी खास जिंदगी में जगह देंगे, क्योंकि जो आप और हम बाजार से खरीदकर आम खा रहे हैं, वो एक जहर से पकाए जा रहे हैं। जो आपको कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के चपेट में भी ला सकते हैं। आइए आपको भी बताते हैं कि मार्केट में आपको किस तरह के आम खाने को मिल रहे हैं। साथ ही उन आमों को कहां, कैसे और कौन से केमिकल से पकाया जा रहा है

कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल

जब आई नेक्स्ट ने इस बारे में पड़ताल की तो पता चला तो नवीन मंडी में आने वाली पेटियों में छोटी पुडि़या मिली। जिसे खोलकर देखा गया तो उसमें गे्र कलर का पाउडर मिला। जब इस पाउडर के बारे में पता लगाया तो वो कैल्शियम कार्बाइड निकला। जो आम को पकाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। ये कैल्शियम कार्बाइड पूरे देश में बैन होने के बाद भी फ्रूट को पकाने के लिए आसानी से इस्तेमाल किया जा रहा है। जो पूरी तरह से इललीगल है।

महज एक किलो में 7भ् पेटी

जानकारों की मानें तो फ्रूट को पकाने में कैल्शियम कार्बाइड सबसे सस्ता और सुलभ तरीका है। मार्केट में एक किलो कैल्शियम कार्बाइड की कीमत महज क्00 रुपए किलो है। नवीन मंडी के एक आढ़ती ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि आम को पकाने के लिए एक पेटी में छोटी-छोटी ब्-भ् पुडि़या बनाकर डाल दी जाती हैं। एक पेटी करीब क्भ् किलो के आसपास की होती है। एक किलो में करीब 7भ् पेटियों का काम आराम से हो जाता है। उसने जानकारी देते हुए कहा कि ये केमिकल मंडी के अंदर के अलावा आसपास की दुकानों में भी आसानी से मिल जाता है। सदर में भी कैल्शियम कार्बाइड की खरीद काफी आसानी से होती है।

बच्चे से करवाते हैं खतरनाक काम

पेटियों में कैल्शियम कार्बाइड भरने का काम सिर्फ बड़े ही नहीं करते हैं। इस काम में बच्चों को भी लगाया जाता है। बच्चों को प्रत्येक पेटी कार्बाइड लगाने को क्भ् रुपए मिलते हैं। बड़ों को इसी काम के पर ख्0 रुपए दिए जाते हैं। वहीं कुछ लोग किलो के हिसाब से भी चार्ज करते हैं। जिनमें फ् से भ् रुपए तक शामिल हैं। एक दिन में हजारों पेटी तैयार ली जाती है। न तो इन माइनर्स को इस काम को करने से रोकता है। न ही संबंधित डिपार्टमेंट ही इस पर एक्शन लेने को तैयार है।

तो ऐसे पकते हैं आम

नवीन मंडी में लेबर का काम करने वाले शोएब अंसारी की मानें तो एक पेटी में करीब क्भ् किलो आम होते हैं। जिनमें करीब ब्-भ् कार्बाइड पाउच बनाकर पेटियों में आमों की लेयर बनाकर डाली जाती है। जिसके बाद उसे बंद कर एक ऐसे कमरे में रखा जाता है। जहां से हवा पास न हो। जिसके बाद उन पेटियों में केमिकल रिएक्शन और हीट जेनरेट होती है। जो आम या किसी भी फू्रट को पकाने में काम आती है। इस तरह के प्रयोग से आम को पकने में क्ख्-फ्म् घंटे लग जाते हैं। जब आम के ऊपरी सतह पीले रंग का हो जाता है तो पेटियों में उन पुडि़या को बाहर निकाल दिया जाता है। वो कार्बाइड गे्र कलर कलर के पाउडर में तब्दील हो जाता है।

तो इसलिए करते हैं

शोएब अंसारी से जब इस मेथड को अपनाने के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि हम अगर आम के अपने आप पकने का इंतजार करते रहेंगे तो करीब क्0 से क्ख् दिन का इंतजार करना पड़ेगा। जिससे इस बिजनेस को चलाना काफी मुश्किल हो जाएगा। करोड़ों रुपए के इस व्यापार में काफी कॉम्पटीशन है। अगर अपने माल को औरों से पहले मार्केट में नहीं उतारेंगे तो दूसरा उनका मार्केट टेकओवर कर लेगा। कार्बाइड से पके आम को खाकर बीमार होने की बात पर उसने कहा सब बेकार की बातें हैं। हम तो पूरे दिन इसी में रहते हैं। इन आमों को औरों की तरह खाते भी हैं। उन्हें तो आज तक किसी तरह की कोई बीमारी नहीं हुई।

Posted By: Inextlive