GORAKHPUR: जीएसटी के तहत टैक्स भुगतान के नियमों में एक फरवरी से हुए बदलाव ने व्यापारियों की उलझन बढ़ा दी है। जीएसटी के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट के नियमों में बदलाव किया गया है। नियमों के तहत तकनीकी बदलाव के कारण टैक्स समायोजन को लेकर व्यापारियों में कंफ्यूजन बना हुआ है। इनपुट टैक्स क्रेडिट नियम के तहत यदि किसी प्रोडक्ट पर पूर्व के व्यापारियों ने टैक्स जमा कर दिया है। तब जीएसटी के तहत जमा किए गए टैक्स में पूर्व में जमा किए गए टैक्स की छूट दे दी जाती थी। यानि प्रोडक्ट पर दोहरा टैक्स नहीं देने के लिए इसे लागू किया गया है। जैसे, किसी प्रोडक्ट पर 10 रुपए का टैक्स दिया गया है और इस प्रोडक्ट पर पूर्व में 5 रुपए टैक्स दिया जा चुका है। तब यह पांच रुपया उनके खाते में वापस आ जाता है जिसे अगली बार समायोजित किया जा सकता है।

अभी तक यह था नियम

31 जनवरी तक नियम था कि टैक्स भुगतान के हिसाब से कारोबारी के पास इंटर स्टेट (आई), सेंट्रल (सी) और स्टेट (एस) जीएसटी क्रेडिट रहती है। व्यापारी को आई जीएसटी में टैक्स की जिम्मेदारी आती है तो वह आई, सी और एस किसी भी क्रेडिट से उसे समायोजित कर सकते थे। इसी तरह सी में टैक्स भरने की जिम्मेदारी आती है तो वह आई और सी से उसे समायोजित कर सकता है। स्टेट जीएसटी भरने का दायित्व आता है तो वह आई या एस क्रेडिट खाते से इसका एडजस्टमेंट कर सकता है।

स्टेट क्रेडिट का पहले करना होगा यूज

एक्सपर्ट का कहना है कि नियम बदलने के बाद व्यापारियों को सबसे पहले इंटर स्टेट जीएसटी क्रेडिट का उपयोग टैक्स भुगतान में करना होगा। इसके बाद ही वह सेंट्रल जीएसटी और फिर स्टेट जीएसटी का उपयोग कर सकेगा। ऐसे में सेंट्रल और स्टेट जीएसटी में क्रेडिट होने के बाद भी व्यापारी को नकद में टैक्स भरना पड़ेगा। नए नियमों में हुए बदलाव को 11 फरवरी के बाद से व्यापारी महसूस करने लगे हैं। क्रेडिट एडजस्टमेंट नहीं होने से दिक्कत हो रही हैं। पोर्टल किस तरह इसे लेता है यह देखना होगा।

व्यापारियों पर बढ़ेगा टैक्स का बोझ

आई, सी और एस क्रेडिट खाते के जरिए नियमों में हुए बदलाव को समझा जा सकता है। इंटर स्टेट (आई) जीएसटी में क्रेडिट 10 लाख, सेंट्रल (सी) और स्टेट (एस) क्रेडिट खाते में आठ-आठ लाख है। टैक्स का भुगतान कारोबारी को आई में पांच लाख, सी और स्टेट जीएसटी खाते में 10-10 लाख देने के लिए इंटर स्टेट जीएसटी में पांच लाख टैक्स को वह क्रेडिट 10 लाख में से समायोजित करना होगा। ऐसे ही सी क्रेडिट को बचे हुए 5 लाख से और आईजीएसटी एकाउंट से भुगतान किया जा सकता था।

अब ऐसे करना होगा भुगतान

आईजी एसटी के खाते में पांच लाख का टैक्स, आईजीएसटी में जमा क्रेडिट से किया जा सकेगा। नए नियम में कारोबारी को पहले आईजीएसटी क्रेडिट खर्च करना होगा। यानि, आठ लाख के सेंट्रल जीएसटी में से पांच लाख की आईजीएसटी क्रेडिट कम होगी। फिर सेंट्रल जीएसटी की क्रेडिट से बाकी तीन लाख का टैक्स वह सेंट्रल जीएसटी की आठ लाख क्रेडिट में से चुकाया जाएगा। और स्टेट जीएसटी के भुगतान के लिए केवल स्टेट क्रेडिट का इस्तेमाल किया जा सकेगा।

कोट्स

नियमों में हुए बदलाव से कंफ्यूज हूं। पूर्व में जमा हुए क्रेडिट का इस्तेमाल कैसे किया जाए, समझ नहीं आ रहा। एक्स्पर्ट से राय लेकर ही कुछ करूंगा।

- मणिनाथ गुप्ता, बिजनेसमैन

- रिटर्न फाइल करने गया था तो पूर्व में जमा किए गए टैक्स पर कोई छूट नहीं मिल रही है। सीए से बात की है, उन्होंने कुछ दिनाें का समय मांगा है।

- विजय सिंघानियां, बिजनेसमैन

Posted By: Inextlive