Jamshedpur : रोड एक्सीडेंट सिटी के लिए कोई नई बात नहीं है. ट्रैफिक डिपार्टमेंट के पास मौजूद आंकड़ों के अनुसार 2006 से लेकर 2012 तक सिटी में तीन हजार से ज्यादा एक्सीडेंट हुए और इनमें 11 सौ से अधिक लोगो को अपनी जान गंवानी पड़ी. रोड एक्सीडेंट्स की इस बढ़ती संख्या की एक बड़ी वजह ट्रैफिक रूल्स का वॉयलेशन है.

दूसरों के लिए खतरा

सिटी में डेली लोग अलग-अलग तरीकों से रूल्स का वॉयलेशन कर अपने साथ-साथ दूसरों के लिए खतरा पैदा करते हैं। कई मामले ऐसे भी होते हैं, जिनमें रूल्स तोडऩे वाले को पता भी नहीं चलता की उसने कुछ गलत किया। वहीं ट्रैफिक डिपार्टमेंट द्वारा भी इन मामलों में कारवाई में काफी लापरवाही बरती जाती है।

नजरअंदाज होती है कई चीजें
सिटी में आए दिन ट्रैफिक चेकिंग अभियान चलाए जाते हैं। इस दौरान आमतौर पर हेल्मेट, ड्राइविंग लाइसेंस, इंश्योरेंस, गाड़ी के कागजात जैसी चीजों की चेकिंग की जाती है। पर इस दौरान अक्सर लोगों की सुरक्षा से जुड़े कई अहम पहलुओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है। मोटर व्हीकल रूल में डिफरेंट टाइप के व्हीकल्स के लिए कई तरह के स्पेशिफिकेशन निर्धारित किए गए हैं। अगर कोई व्हीकल निर्धारित स्पेशिफिकेशन को पूरा नहीं करता, तो यह न सिर्फ रूल्स के अगेंस्ट है, बल्कि खतरनाक भी है। पर सिटी में प्रॉपर ट्रैफिक चेकिंग के  दौरान इन सारी बातों को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है।

इसे कौन check करेगा?
सिटी में अक्सर टू व्हीलर या फोर व्हीलर की ड्राइविंग के दौरान लोग मोबाइल पर बातें करते दिख जाते हैं। ड्राइविंग के दौरान फोन से बात करना ना सिर्फ अनसेफ है, बल्कि एक क्राइम भी है। सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट के सेक्शन 184 के अनुसार डेंजरस ड्राइविंग एक ऑफेंस है। रूल के अनुसार इसके लिए 6 महीने तक की सजा और एक हजार रुपए फाइन का प्रोविजन है। ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन पर बात करने को भी इसी सेक्शन में रखा गया है। सिटी में भी इसके लिए एक हजार रुपए फाइन का प्रोविजन रखा गया है। पर रूल के बावजूद इस तरह के मामलों में प्रॉपर कार्रवाई नहीं की जाती। इस लापरवाही का अंदाजा ट्रैफिक डिपार्टमेंट द्वारा वसूले जाने वाले फाइन से भी लगाया जा सकता है। डिपार्टमेंट द्वारा ट्रैफिक रूल्स के वॉयलेशन के लिए लिए जाने वाले फाइन में ड्राइविंग के दौरान मोबाइल से बात करने के लिए लिए जाने वाले फाइन का शेयर काफी कम रहता है। ट्रैफिक डीएसपी आरएम सिन्हा ने बताया कि हर महीने करीब 8 से 9 लाख रुपए फाइन के रूप में वसूले जाते हैं। इसमें से करीब 4 से 5 परसेंट शेयर ऐसे ऑफेंसेज के लिए आने वाले फाइन का होता है।

Indicator और headlights में भी गड़बड़ी
सेफ ड्राइविंग के लिए व्हीकल्स में सही इंडिकेटर और हेड लाइट का होना भी जरूरी है। रात के दौरान ड्राइविंग के वक्त प्रॉपर इंडिकेटर और हेड लाइट का इस्तेमाल कई तरह के एक्सीडेंट्स को टालने में अहम रोल अदा करता है। सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स में इनके लिए स्टैैंडर्ड भी निर्धारित किए गए है पर सिटी में धड़ल्ले से इन रूल्स का वॉयलेशन भी होता है। वहीं डिपार्टमेंट सिर्फ हेल्मेट और कागजात की जांच कर सैटिस्फाइड हो जाती है।

सिटी में हर महीने करीब 8 से 9 लाख रुपए फाइन के रुप में वसूले जाते है। इनमें बड़ा शेयर बगैर हेलमेट राइडिंग, नो पार्किंग जोन में गाड़ी पार्क करना, प्रेशर हॉर्न का इस्तेमाल करना जैसे ऑफेंसेज के लिए फाइन के रूप में लिए जाने वाले रकम का होता है। ड्राइविंग के दौरान मोबाइल से बात करने पर भी फाइन लिया जाता है।
-आरएम सिन्हा ट्रैफिक डीएसपी जमशेदपुर

Report by : abhijit.pandey@inext.co.in

Posted By: Inextlive