- जाम से निजात दिलाने में नाकाम रहने पर ट्रैफिक पुलिस की नई कवायद

- अपने-अपने क्षेत्रों मे ट्रैफिककर्मियों की मदद करेंगे स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स

- एसएसपी और एसपी ट्रैफिक जल्द एसएचओ व एसओ के साथ बैठक कर तय करेंगे रणनीति

pankaj.awasthi@inext.co.in

LUCKNOW: बेतरतीब ट्रैफिक और उससे लगने वाला लंबा जाम शायद बीते जमाने की बात हो जाएगी। सारी कोशिशें करने के बावजूद जाम से निजात दिला पाने में नाकाम लखनऊ ट्रैफिक पुलिस ने अब ट्रैफिक को सुचारू रखने के लिये स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स (एसपीओ) की मदद लेने का फैसला किया है। अगर यह रणनीति कारगर रही तो स्टाफ की कमी से जूझ रही लखनऊ ट्रैफिक पुलिस को जाम से जूझने में बेहद आसानी होगी और लखनवाइट्स को अब मामूली दूरी तय करने के लिये लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

4500 एसपीओ की फौज पर नजर

किसी भी अप्रिय स्थिति या फिर शांति-व्यवस्था के मामलों में नागरिकों की मदद लेने के लिये राजधानी के 42 थानाक्षेत्रों में रहने वाले संभ्रांत नागरिकों को एसपीओ बनने के लिये प्रस्ताव मांगे गए थे। लखनऊ पुलिस के इस प्रस्ताव पर हर थाने में हजारों एप्लीकेशन आई थीं। जिनकी छटनी करने के बाद पुलिस ने अलग-अलग थानों में कुल 4500 के करीब एसपीओ की नियुक्ति कर दी। मुहर्रम जुलूस, ईद, बकरीद और दशहरा के अलावा हजरतगंज में ट्रैफिक सिस्टम को सुधारने में इन एसपीओ ने भरपूर मदद की थी। बिना किसी खर्च बेहतर रिस्पॉन्स देने वाले एसपीओ की इसी फौज पर ट्रैफिक पुलिस ने अपनी नजर गड़ा दी है। योजना है कि यह एसपीओ अपने-अपने थानाक्षेत्रों में पीक ऑवर्स में ट्रैफिक संभालने में ट्रैफिक पुलिस की मदद करेंगे। इससे न सिर्फ ट्रैफिक पुलिस पर दबाव कम होगा वहीं, सिटी में लगने वाले जाम से भी निजात मिल सकेगी।

250 चौराहे अब भी लावारिस

लखनऊ ट्रैफिक पुलिस की इस बदहाली को दूर करने के लिये 2001 में चौबे कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी का काम सिटी का सर्वे करके ट्रैफिक संभालने के लिये आवश्यक ट्रैफिक कर्मियों की संख्या सुझाना था। कमेटी ने सिटी के 411 चौराहे चिन्हित किये, जहां ट्रैफिक संभालने के लिये ट्रैफिककर्मियों की तैनाती आवश्यक मानी गई थी। पर, इस रिपोर्ट के जारी होने के 14 साल बीतने के बावजूद उस वक्त की जरूरत के हिसाब से सुझाई गई ट्रैफिक कर्मियों की संख्या को भी शासन अब तक मुहैया नहीं करा सका। नतीजतन, वर्तमान के हालात में सिटी के महज 161 चौराहों पर ही ट्रैफिक कर्मियों की तैनाती संभव हो पाती है। वह भी सुझाई गई संख्या के मुकाबले काफी कम। वहीं, बाकी बचे 250 चौराहे अब भी लावारिस हैं, यानि कि यह चौराहे लखनवाइट्स की मनमर्जी पर ही गवर्न होते हैं। नतीजतन दिनभर ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है।

लखनऊ में वाहनों की संख्या

अगस्त 2015 तक के आंकड़े

दो पहिया वाहन- 12. 82 लाख

निजी चार पहिया वाहन- 2.32 लाख

ऑटो-टेंपो- 10 हजार

स्कूली वाहन-पांच हजार

अन्य वाहन- करीब दो लाख (बस, मिनी बस, ट्रक, मिनी ट्रक, ट्रैक्टर-ट्राली, जीप आदि )

स्टाफ का भी टोटा

सीओ- 2

ट्रैफिक इंस्पेक्टर- एक

ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर- 22

एचसीपी- 42

कांस्टेबल- 350

इंटरसेप्टर-2

स्टाफ की कमी और सिटी में बढ़ती गाडि़यों की वजह से जाम लगने की समस्या सामने आ रही है। इससे निपटने के लिये जल्द ही एसपीओ की मदद ली जाएगी।

- हबीबुल हसन

एसपी ट्रैफिक

Posted By: Inextlive