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MEERUT :
  यूं तो जेल में लोगों को सुधारने के लिए रखा जाता है और उम्मीद की जाती है कि यहां आने वाला अपराधी अपनी सजा काटकर यहां से सुधरकर ही बाहर निकलेगा। मगर सूत्र बता रहे हैं कि जेल में ही शूटर्स को टारगेट का निशाना बनाने के लिए मजबूत किया जा रहा है।


शूटर पर रहती है नजर

सूत्रों के मुताबिक जेल में एंट्री लेते ही कई बड़े गैंग्स की नजर शूटर पर रहती है। जब कोई शूटर टेंडर भरने (हत्या करने) से चूक जाता है और पकड़ा जाता है, तो मेरठ के अंडरव‌र्ल्ड में उसे कच्चा कहा जाता है। शूटर के जेल पहुंचते ही शुरू होती है उसके पक्के बनने की कहानी।


गैंग करना पड़ता है ज्वॉइन

जेल से जमानत पर बाहर आए एक शूटर ने बताया कि जेल में भी सब कुछ सही नहीं चलता। नए शूटर को जेल में पहुंचते ही किसी न किसी गैंग को ज्वॉइन करना पड़ता है वरना उनका सेवादार बन उनके कपड़े धोना, उनके लिए खाना बनना और अपना शारीरिक शोषण करवाना के लिए तैयार रहना पड़ता है।


बचने का भी तरीका

शूटर ऐसे हालात से बचने के लिए जेल पहुंचते ही वहां पहले से मौजूद किसी बड़े सरगना की शरण लेता है। नए शूटर के गैंग ज्वॉइन करने के करीब तीन महीने तक उसका जेल में पर्ची कटाने समेत तमाम खर्च और तारीख का खर्च यही सरगना उठाता है। तीन महीने में अगर शूटर उसका विश्वास पात्र बन जाए तो उसे दाखिला मिलता है एक अंडाकार बैरक में जुर्म की ट्रेनिंग लेने का।


जुर्म की ट्रेनिंग

सूत्र बताते हैं कि अंडाकार सेल में शूटर को मोबाइल तक उपलब्ध करा दिया जाता है। यहीं उसे नया नाम मिलता है और साथ काम करने का तरीका सिखाया जाता है। शूटर को मोबाइल से अपना नेटवर्क बनाने और अन्य लोगों को गैंग में जोड़ने का टास्क भी दिया जाता है, जिसका रिजल्ट दो हफ्ते में देना होता है। यहीं रंगदारी मांगने और डरा-धमकाकर राहजनी करने की ट्रेनिंग भी दी जाती है, जिसके बाद कच्चा शूटर क्राइम का ककहरा सीख पक्का होकर बाहर निकलता है।

 

फिर लेते हैं हथियार

अंडाकार सेल से बाहर आने पर शूटर को हत्था (हथियार) और राइड (वाहन) सप्लायर्स से मिलवाया जाता है। ये सप्लायर्स टेंडर भरने के लिए जेल से बाहर रेंट पर हत्था और राइड उपलब्ध करवाते हैं। जिन्हें टेंडर भरने के बाद वहीं छोड़ना होता है, जहां से रिसीव किया जाता है।

 

मिलता है टास्क

जेल से जमानत पर छूटने के दौरान शूटर को रंगदारी, लूट या हत्या में से किसी एक चुनने का टारगेट दिया जाता है। शूटर को चुने हुए टारगेट को नए नाम के साथ जल्द से जल्द पूरा करके डिटेल सरगना के जेल से बाहर वाले कांटेक्ट को देनी होती है। इसके बाद शूटर को मिलता है फरारी का तोहफा और अगला टारगेट।

 

शूटर कर चुके हैं हत्या

14 सितंबर - 2018

थाना जानी के बाफर गांव के किसान जितेंद्र की बदमाशों ने गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी। इसमें भी पुरानी रंजिश निकल कर आई है। परिजनों ने गांव के पांच लोगों को नामजद किया है। इसमें पुलिस ने दो शूटरों को गिरफ्तार कर लिया था

 

13 सितंबर - 2018

बसपा नेता गुड्डू चौधरी की पांच शूटरों ने कसेरू बक्सर के मैन चौराहे पर गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी। इसके बाद वह आराम से फरार हो गया थे।

 

6 सितंबर - 2018

बदमाशों ने रेलवे के कीमेन कृष्णा सैनी की सिर पर हथौड़ा मारकर हत्या कर दी थी। शव को रेलवे फाटक पर छोड़कर बदमाश फरार हो गए थे। इनमें भी एक शूटर का नाम सामने आया था।

 

19 अगस्त - 2018

ब्रह्मापुरी के माधवपुरम मोड़ पर बदमाशों ने नसरीन की गोली बरसा कर हत्या कर दी। इसमें पुलिस ने एक शूटर नदीम को गिरफ्तार कर लिया था।

 

15 अगस्त - 2018

पंद्रह अगस्त को बिजली बंबा बाईपास पर बदमाशों ने अंकुर राजवंशी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। अभी तक यह केस ब्लाइंड है।

Posted By: Inextlive