घाटे वाली लग्जरी बसों के मालिकों को दिया जा रहा एक्स्ट्रा बेनिफिट

मुनाफा देने वाली आर्डनरी बसों को मिल रहा कम लाभ

देहरादून, परिवहन निगम में लग्जरी बस अफेयर में बड़ा खुलासा हुआ है. सड़कों पर दौड़ रहे निगम की ऑर्डनरी और लग्जरी कॉन्ट्रेक्चुअल बसों में इंसेंटिव का खेल चल रहा है. इनकम टारगेट पूरा करने के बाद जहां ऑर्डनरी बस के ड्राइवर-कंडक्टर को 10 परसेंट इंसेंटिव दिया जाता है, वहीं लग्जरी बसों को 25 परसेंट इंसेंटिव दिया जा रहा है. इंसेंटिव कॉन्ट्रेक्चुअल बसों के ड्राइवर-कंडक्टर को देने के बजाए सीधे मालिक के खाते में जाता है. जबकि ड्राइवर बस मालिक का होता है और कंडक्टर रोडवेज का होता है. हर माह लग्जरी बसों के बिल अधिकारी पहले पास करते हैं. ऐसे में अधिकारियों की कार्य पर संदेह होता है.

हेड क्वार्टर से हो रहा भुगतान

रूटों पर दौड़ रही लग्जरी बसों का भुगतान आरएम ऑफिस गांधी रोड से किया जाता था, लेकिन जब लग्जरी बस मालिकों बिल भुगतान पर सवाल खड़े होने लगे, तो अधिकारियों ने लग्जरी बस मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए बिल भुगतान का जिम्मा खुद ले लिया. अब लग्जरी बस मालिकों का भुगतान तय समय पर हो जाता है.

ऐसे किया जा रहा खेल

निगम की कॉन्ट्रेक्चुअल ऑर्डनरी और लग्जरी बसों के इंसेंटिव में खुला खेल चल रहा है. ऑर्डनरी बस यदि माह में 40 से 60 परसेंट का फायदा पहुंचाती है, तो उसके ड्राइवर-कंडक्टर को 10 परसेंट इंसेंटिव दिया जाता है. इसमें टोल टैक्स, लगेज (सामान), ढाबे की रसीद काटकर दिया जाता है. जबकि लग्जरी बसों को इन सब से छूट दी गई है. लग्जरी बसें साल में तीन माह ही फुल होकर रूटों पर दौड़ती है.

लग्जरी बसों को नियमों में छूट

निगम में चल रही लग्जरी बसों के लिए कोई कायदे कानून नहीं है. इन बसों को किमी पूरा करने का टारगेट दिया गया है. ऐसे में वाहन चालक खाली बसों को रूटों पर दौड़ा रहे हैं और सवारियों को बस अड्डे तक नहीं छोड़ रहे हैं.

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वॉल्वो बस के कंडक्टर को इंसेंटिव नहीं दिया जाता है, बस में कंडक्टर रोडवेज का होता है. ऑर्डनरी बसों में कंडक्टर और ड्राइवर को इंसेंटिव दिया जाता है.

दीपक जैन

जीएम रोडवेज

Posted By: Ravi Pal