--Awareness drive का दिखा शिकार पर्व पर असर

-नहीं हुआ एक भी जानवर का शिकार

-फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने जब्त किए शिकारियों के जाल और दूसरे सामान

JAMSHEDPUR : आदिवासी कम्यूनिटी द्वारा हर साल सेलिब्रेट किए जाने वाले शिकार पर्व (सेंदरा) को लेकर पिछले कई दिनों से फॉरेस्ट डिपार्टमेंट व आदिवासी कम्यूनिटी के लोगों के बीच ठनी हुई थी। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट इस प्रयास में था कि आदिवासी बिना शिकार किए ही सेंदरा पर्व की परंपरा निभाए। इस प्रयास में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट काफी हद तक सफल भी रहा। सेंदरा के लिए आदिवासी कम्यूनिटी के लोग दलमा जंगल तो पहुंचे, लेकिन अन्य वर्षो की अपेक्षा इनकी संख्या काफी कम रही। इसके साथ ही इस साल अहम बात यह रही कि एक भी शिकार नहीं हो सका। हालांकि कुछ लोगों का दावा है कि उन्होंने शिकार किया है।

संख्या रही काफी कम

शिकार पर्व मनाने के लिए दो अलग-अलग आदिवासी समूह के लोगों के बीच सेंदरा की तारीख को लेकर ठन गई थी। एक ग्रुप क्ख् मई को तो दूसरा क्9 मई को सेंदरा मनाने की तैयारी में है। हालांकि मंडे क्ख् मई को की सेंदरी में बहुत कम लोग पहुंचे थे। इस साल सेंदरा के दौरान लास्ट इयर की तरह भीड़ नहीं दिखी।

जब्त किए जाल व दूसरे सामान

दलमा में जानवरों का शिकार न हो, इसके लिए फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की ओर से पूरी तैयारी की गई थी। इस दौरान फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के गार्ड और जवानों द्वारा दलमा के विभिन्न एरिया से ख्भ् से ज्यादा जाल व दूसरे सामान जब्त किए गए, ताकि शिकारी शिकार करने में सफल न हो पाए।

स्टूडेंट्स ने चलाया अवेयरनेस प्रोग्राम

इधर एक नन गवर्नमेंट ऑर्गनाइजेशन 'सुमांसा' ग्रेजुएट कॉलेज की स्टूडेंट्स के साथ मिलकर दलमा व आस-पास के गांवों में अवेयरनेस प्रोग्राम चलाया। चार दिनों तक चलाए गए इस अवेयरनेस प्रोग्राम के जरिए लोगों को जानवरों का शिकार न करने की सलाह दी गई। इस दौरान सुमांसा की फाउंडर सीमा रानी ने लोगों के बीच परचा बौंट कर लोगों को जानवरों को मारने से होने वाले नुकसान की जानकारी दी। इस दौरान संदीप राज सिंह, राहुल तिवारी, एसके महतो के साथ ही ग्रेजुएट कॉलेज की स्टूडेंट्स भी मौजूद थीं।

लोगों के बीच बांटे गए शर्बत व चना गुड़

शिकार पर्व के दौरान दलमा बुरू सेंदरा समिति के प्रेसिडेंट राकेश हेम्ब्रम के अलावा छोटे हेम्ब्रम, डेमका सोय द्वारा आसनबनी में चना व शर्बत का वितरण किया गया। इसके साथ ही आदिवासी हो समाज युवा महासभा के प्रेसिडेंट सुरा बिरूली के नेतृत्व में भी शिकार करने गए लोगों को बीच शर्बत व चना का वितरण किया गया। इस दौरान दुमाई कुंकल, साधुचरण बानरा सहित अन्य प्रेजेंट थे।

फॉरेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा चलाए गए अवेयरनेस प्रोग्राम के परिणामस्वरूप जानवर नहीं मारे जा सके। आदिवासियों को उनके लिए गवर्नमेंट द्वारा चलाए जा रहे वेलफेयप प्रोग्राम के बारे में बताया गया। उनसे बिना किसी जानवर की हत्या किए धूम-धाम से पर्व मनाने की अपील की गई थी।

-कमलेश पांडेय, डीएफओ, दलमा रेंज

दलमा में जानवरों की कई प्रजातियां गायब हो गई हैं। इनमें स्लोथ बियर, स्ट्रिप्ड हायना, इंडियन फॉक्स, वाइल्ड डॉग सहित अन्य शामिल हैं। मेरी पीएचडी स्टडी के दौरान ये बातें सामने आयी हैं।

-एसके महतो, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट

Posted By: Inextlive