अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब, केंद्र व राज्य के मंत्री और जनप्रतिनिधि भी आए

MEERUT :  पुलवामा में आतंकियों के एनकाउंटर के दौरान शहीद हुए बसा टीकरी गांव के लाल अजय कुमार का अंतिम संस्कार मंगलवार को निवाड़ी पतला गांव स्थित इंटर कॉलेज के मैदान पर किया गया। अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ा। मुखाग्नि शहीद के ढाई साल के पुत्र आरव ने दी।

 

शहीद को श्रद्धांजलि

शहीद अजय कुमार की पार्थिव देह सोमवार रात मिलिट्री अस्पताल पहुंच गई थी। सुबह सैन्य सम्मान के बाद उनकी अंतिम यात्रा गांव पहुंची। रास्ते में जगह-जगह शहीद को श्रद्धांजलि दी गई। हजारों युवा श्रृंखला बनाकर साथ चल रहे थे। शहीद के पार्थिव शरीर को कुछ समय रखा गया। जल्दबाजी में कुछ रस्म पूरी नहीं हो सकीं तो शहीद की पत्नी प्रियंका को अंत्येष्टि स्थल पर ही ले जाया गया।

 

बेटे ने दी मुखाग्नि

शहीद को केंद्र व राज्य सरकार और सेना की ओर से पुष्पचक्र अर्पित किए गए। गढ़वाल रेजीमेंट के जवानों ने 24 बंदूकों से सलामी दी। शहीद के ढाई साल के बेटे आरव ने मुखाग्नि दी। गाजियाबाद सीमा में स्थित पतला इंटर कालेज के खेल मैदान को अंतिम संस्कार के लिए चयनित किया गया था, जहां आसपास के 50 गांवों और दूर-दूर से हजारों की भीड़ जुटी। अंतिम दीदार करने को लोग दीवार और छतों पर पहुंच गए।

 

ये रहे मौजूद

केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में केंद्रीय मंत्री डॉ। सत्यपाल सिंह, प्रदेश सरकार से जिले के प्रभारी मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, ब्रिगेडियर सुधीर मलिक, ब्रिगेडियर हरमीत सिंह, सांसद राजेंद्र अग्रवाल, राज्यसभा सदस्य कांता कर्दम, संगीत सोम समेत भाजपा के कई विधायक व वरिष्ठ नेता और रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी शामिल हुए।

 

पत्नी को नौकरी देने की मांग

ग्रामीणों ने केंद्रीय मंत्री डॉ। सत्यपाल सिंह को ज्ञापन दिया, जिसमें शहीद की पत्नी प्रियंका को सरकारी नौकरी, शहीद स्मारक और सड़क का नाम अजय के नाम पर रखने की मांग थी। ग्रामीणों ने कहा कि अजय की गर्भवती पत्नी प्रियंका ग्रेजुएट है। उसे योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी दी जाए। अजय के माता-पिता वृद्ध हो चुके हैं और उसका बेटा महज ढाई साल का है।

 

हर जुबां बोली, धारा 370 हटाओ

शहीद अजय के पार्थिव देह के घर आने के इंतजार में महिलाएं बाहर निकलकर घर के सामने घेर में आ गई। सभी ने रोते हुए कहा कि बिना धारा 370 हटाए कश्मीर में शांति नहीं हो सकती। पत्थरबाजों पर नकेल कसे बिना आतंकवाद का खत्म नहीं किया जा सकता है। एलान किया कि अगर सरकार नहीं कर सकती तो उन्हें बॉर्डर पर भेजा जाए।

 

गांव के पहले शहीद

बसा टीकरी गांव में वैसे तो करीब 40 लोग सेना या अर्धसैनिक बलों में हैं। कई बड़े-बुजुर्गो ने विभिन्न मोर्चो पर जांबाजी दिखाई है। अजय कुमार इस गांव के पहले सैनिक हैं जो शहीद हुए। उनके पिता भी उसी रेजीमेंट में थे जिसमें अजय थे। सेवानिवृत्त पिता अब घर की देखभाल करते हैं।

Posted By: Inextlive