RANCHI : फाइलेरिया में अक्सर हाथ- पैर जरूरत से ज्यादा फूल जाते है। यह देखने में बिल्कुल हाथी पांव की तरह होता है, लेकिन कुछ मरीजों में ऐसे लक्षण नजर नहीं आते हैं। ऐसे में धीरे-धीरे यह बीमारी पूरे शरीर को अपनी चपेट में लेने लगती है। इसका असर 10-12 सालों के बाद दिखाई पड़ता है। तब लोगों को पता चलता है कि उन्हें फाइलेरिया है। ऐसे में इस बीमारी का इलाज बहुत आसान नहीं होता है।

17 जिले हैं प्रभावित

इतना ही नहीं, अब यह बीमारी छोटे बच्चों में भी देखने को मिल रहा है। ऐसे में हेल्थ डिपार्टमेंट ने इस बीमारी को जड़ से खत्म करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत सिमडेगा जिले से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ट्रिपल डोज की शुरुआत की जा रही है। वहीं, रांची में भी जल्द अभियान चलाया जाएगा। बताते चलें कि झारखंड के 17 जिलों में फाइलेरिया के मरीज पाए गए है।

बूथ पर अपने सामने दवा खिलाएंगे स्टाफ्स

लिंफैटिक फाइलेरियासिस से बचाव के लिए सिमडेगा में ट्रिपल ड्रग थेरेपी (आईडीए) की शुरुआत की जाएगी। इसके लिए 10 जनवरी से 15 जनवरी तक सिमडेगा में पहली बार मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) राउंड तीन फाइलेरिया रोधी दवाओं (आईडीए) के द्वारा चलाएगी। जिसके तहत बूथ पर बुलाकर लोगों को फाइलेरिया की दवा स्टाफ्स अपनी मौजूदगी में खिलाएंगे।

ऐसे होती है फाइलेरिया की बीमारी

यह बीमारी पूर्वी भारत के कई इलाकों में बहुत अधिक है। कृमि से फैलने वाली यह बीमारी है। कृमि लसिका तंत्र की नलियों में होते हैं और उन्हें बंद कर देते हैं। क्यूलेक्स मच्छर के काटने से बहुत छोटे आकार के कृमि शरीर में प्रवेश करते हैं। इतना ही नहीं ये मनुष्यों को इंफेक्टेड मच्छर के 500 बार काटने के बाद यह बीमारी होती है।

Posted By: Inextlive