कहते हैं कि जाको राखे साइयां मार सके ना कोय. आप आये दिन अखबारों और किताबों में कई ऐसे सच्चे किस्से सुने होंगे जिसमें किसी ने मौत के चंगुल से निकल कर साइयां वाली कहावत पर मुहर लगाई होगी. पर अगर हम आपको एक ऐसे इंसान के बारे में बतायें जो दो परमाणु हमले झेलकर भी सुरक्षित बच गया तो आप क्या कहेगें? लोग कहते हैं कि जापान के सुटोमु यामागुकी नें यमदूतों के भी कान काट लिये.


6 अगस्त, 1945 को जब अमेरिका के फाइटरप्लेन्स ने जापान के हिरोशिमा शहर के ऊपर चक्कर काटा और एटम बम गिरा दिया तो सुटोमु यामागुकी अपने आफिस के काम से हिरोशिमा शहर में ही थे. बम हिरोशिमा शहर के बीचों बीच गिराया गया था. पूरा शहर आग, गर्मी और रेडिएशन से भर उठा था. यामागुकी बम गिराये जाने वाली जगह से महज 2 किलोमीटर दूर ही थे और वे परमाणु हमले के सेकंड वेव से इफेक्टेड हो गये थे. इससे उनका हाथ जल गया. वह तुरंत अपने शहर नागासाकी की ओर रवाना हो गए. हिरोशिमा शहर पूरी तरह ध्वस्त हो चुका था. 1 लाख से ज्यादा लोग मर चुके थे और कई हजार मौतें मौत से जूझ रहे थे. 
2006 में यामागुकी को पेट का कैंसर हो गया और उन्हें हास्पिटलाइज कर दिया गया. 2009 में उन्होने अवतार मूवी के डायरेक्टर जेम्स कैमरोन से मिलने की ईच्छा जाहिर की. जैम्स कैमरोन उनसे हास्पिटल में मिले. उन्होने न्यूक्लिअर अटैक्स पर एक मूवी बनाने की ईच्छा जताई. उनसे मिलने के बाद यामागुकी ने अपनी बेटी से कहा कि “जैम्स ने सबकुछ सुन लिया है, अब मेरा मिशन खत्म हुआ.”

Posted By: Divyanshu Bhard