उत्तर प्रदेश में सीटों को लेकर भारतीय जनता पार्टी में जो वैमनस्य नज़र आ रहा है वो कोई नई बात नहीं है.


प्रदेश के चार बड़े नेता कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, कलराज मिश्रा और लालजी टंडन, कभी एक होकर नहीं चल पाए. ये चारों ही एक दूसरे की टांग खींचने में व्यस्त रहे.सोमवार को लखनऊ से भारतीय जनता पार्टी के सांसद लालजी टंडन ने टीवी चैनलों के माध्यम से कहा कि पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से उनके पारिवारिक सम्बन्ध हैं और वह वही करेंगे जो पार्टी कहेगी.किन्तु उससे एक घंटे पहले यह पूछने पर कि क्या वह लखनऊ से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे तो उनका जवाब था, "मैं लखनऊ से सांसद हूँ. चुनाव सिर पर हैं और मैंने चुनाव की पूरी तैयारी कर ली है. बूथ स्तर तक संगठन तैयार है."


लखनऊ सीट के लिए लालजी टंडन अपने को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का उत्तराधिकारी मानते हैं. यह और बात है कि टंडन के यहाँ से सांसद होने के बाद लखनऊ की वो महत्ता नहीं रही जो वाजपेयी के समय थी. फिर भी यह माना जाता है कि लखनऊ से जीतने वाला सांसद प्रधानमंत्री के पद के नज़दीक पहुँच जाता है.

हो सकता है कि अंदरूनी कलह को कम करने के लिए राजनाथ वापस ग़ाज़ियाबाद से चुनाव लड़ें और टंडन लखनऊ से. यह भी मान लें कि मोदी बनारस से और जोशी कानपुर से चुनाव लड़ेंगे लेकिन समस्या फिर भी बनी रहेगी. कारण कलराज मिश्रा कहाँ जाएंगे?

Posted By: Subhesh Sharma