केंद्र सरकार ने एक अप्रैल से दो सरकारी बैंकों विजया और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा बॉब में विलय कर दिया गया. इससे करीब 20 लाख कस्टमर्स के अकाउंट नंबर चेंज होंगे.

- 20 हजार कस्टमर्स को शहर में करना होगा दिक्कतों का सामना

- 20 लाख कस्टमर्स को पूरे सूबे में होगी परेशानी

- 152 ब्रांच है पूरे प्रदेश में विजया बैंक की

- 10 लाख से अधिक कस्टमर्स है विजया बैंक के

- 107 ब्रांच हैं पूरे प्रदेश में देना बैंक की

- 10 लाख कस्टमर्स हैं देना बैंक

- तो पूरे प्रदेश में दोनों बैंकों के करीब दस-दस लाख कस्टमर्स हो रहे परेशान

- सभी कस्टमर्स की चेंज होगी पासबुक अकाउंट नंबर और एटीएम

- सभी को फिर से गुजरना होगा केवाईसी की प्रक्रिया से

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LUCKNOW : केंद्र सरकार ने एक अप्रैल से दो सरकारी बैंकों विजया और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा (बॉब) में विलय कर दिया गया. इसके चलते इन बैंकों में अपना खाता चला रहे कस्टमर्स के सामने कई तरह की समस्याएं सामने खड़ी हो गई हैं. उन्होंने अब नए सिरे से दोबारा से बैंक ऑफ बड़ौदा की ब्रांच में जाकर अपने खाते को फिर से लिंक कराने के साथ सभी प्रक्रिया दोबारा से बैंकिंग सिस्टम के हिसाब से करानी होंगी. राजधानी में इन दोनों बैंकों के विलय होने से 20 हजार से अधिक ग्राहकों को समस्या का सामना करना पड़ रहा हैं. तो वहीं पूरे प्रदेश में इस विलय से करीब दोनों बैंकों के करीब 20 लाख ग्राहकों को केवाईसी समेत कई कई प्रक्रियाओं के लिए नए सिरे से गुजरना होगा. हालांकि बैंक अधिकारी किसी भी असुविधा की स्थिति से इंकार कर रहे हैं.

बदलेगा अकाउंट नंबर, फिर होगी केवाईसी
देना और विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय होने के साथ ही इन दोनों बैंकों के ग्राहकों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. इन बैंकों में खाता रखने वाले ग्राहकों का सबसे पहले बैंक अकाउंट नंबर ही बदल जाएगा. ऐसे में इन ग्राहकों ने अपने खातों को गैस की सब्सिडी, लोन या किसी दूसरी चीजों में लगाया होगा. वहां पर उन्होंने संशोधन कराना होगा.

काफी कुछ बदलेगा
अभी तक विजया बैंक में खातों की सीरीज 15 डिजिट की हैं, तो वहीं देना बैंक में 12 डिजिट का अकाउंट नंबर होता हैं. जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा में 14 डिजिट का अकाउंट नंबर होता हैं. ऐसे में खाता सीरिज समान डिजिट के न होने के कारण विजया व देना बैंक ग्राहकों के खाते भी बदलने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी. अभी इन दोनों बैंकों को खाते का नंबर, चेक बुक और दूसरी चीजों अभी कुछ दिनों तक ऐसे ही चलेगी पर एक साल के अंदर इन सभी चीजों में बदलाव कर दिया जाएगा. इसके साथ ही सभी ग्राहकों को अपना केवाईसी भी नए सिरे से कराना होगा. इसके अलावा विलय के साथ ही विजया बैंक व देना बैंक की शाखाओं के आईएफएससी कोड में भी बदले जाएंगे.

बॉब की होगी सभी शर्ते
दोनों बैंकों के विलय के बाद दोनों बैंकों की पहचान अब बैंक ऑफ बड़ौदा के नाम से होगी. ग्राहक भी विलय की इसी कड़ी का हिस्सा हैं. विलय के बाद अब विजया व देना बैंक के ग्राहकों को बैंक ऑफ बड़ौदा के नियमों व शर्तो के तहत बैंकिंग सुविधा मुहैया होगी. विलय के चलते ग्राहक को फिलहाल समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

सुविधा कम, समस्या ज्यादा
बैंकों के विलय का सीधा खामियाजा बैंक ग्राहकों को उठाना पड़ेगा. सिर्फ नाम तक ही नहीं विजया व देना बैंक ग्राहकों को बैंकिंग सुविधाएं भी बैंक ऑफ बड़ौदा की निर्धारित दरों पर मिलेंगी. इसके अलावा दोनो बैंकों के ग्राहकों की चेकबुक, पासबुक व एटीएम कार्ड भी बदले जाएंगे. बैंक अधिकारियों की माने तो विजया व देना बैंक द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे कोर बैंकिंग सिस्टम (सीबीएस) के बदलाव में अभी समय लगेगा. इस पूरी प्रक्रिया में एक से डेढ़ साल का समय लग सकता हैं.

नॉउ 'बैंक ऑफ बड़ौदा'
बैंक अधिकारियों का कहना है कि विलय को लेकर ग्राहकों में किसी भी तरह की संशय व असमंजस की स्थिति न हो, इसके चलते देना व विजया बैंक के बाहर साइन बोर्ड फिलहाल नहीं बदले जाएंगे. दोनों बैंक अब बैंक ऑफ बड़ौदा बन चुके हैं ऐसे में उस बोर्ड में नॉउ 'बैंक ऑफ बड़ौदा' लिखा जाएगा.

विलय से किसी भी बैंक ग्राहक को कोई समस्या नहीं होगी. ग्राहकों को परेशानी न हो इसके लिए दोनों बैंकों के साइन बोर्ड भी नहीं बदले गए हैं. सभी बैंकिंग तकनीकि व्यवस्थाओं को एक प्लेटफॉर्म दिया जा रहा हैं. विलय के बाद विजया व देना बैंक के ग्राहकों को सरल व आसानी बैंकिंग सुविधा दिया जा रहा हैं.

- डॉ. रामजस यादव, जीएम
बैंक ऑफ बड़ौदा

Posted By: Kushal Mishra