नेपाल में कंचनजंगा पर्वत पर चढ़ाई कर रहे दो भारतीय पर्वतारोहियों की मौत हो गई है। वह अत्यधिक ऊंचाई सहन नहीं कर पाने के कारण बीमार हो गए थे।


काठमांडू (पीटीआई)। नेपाल में कंचनजंगा पर्वत पर चढ़ाई कर रहे दो भारतीय पर्वतारोहियों की मौत हो गई है। अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि पर्वतारोहियों की मौत अधिक ऊंचाई सहन नहीं कर पाने के कारण हुई। इनमें से एक पर्वतारोही ने दुनिया की इस तीसरी सबसे ऊंची चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई कर ली थी। नेपाल पर्यटन मंत्रालय की  अधिकारी मीरा आचार्य ने बताया कि 48 वर्षीय बिप्लब बैद्य और 46 वर्षीय कुंतल करार की मौत बुधवार की रात कैंप-4 से ऊपर के हिस्से में हुई। दोनों हाइपोथर्मिया और स्नोब्लाइंडनेस बीमारी का शिकार हो गए थे। बता दें कि अधिक ऊंचाई पर बने दबाव के कारण कुछ लोगों को इस तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। कंचनजंगा चोटी की ऊंचाई 8,586 मीटर है। भूकंप से दहला नेपाल और चीन, तिब्बत में 6.3 और काठमांडू में 5.2 रही तीव्रता


एक ने कर ली थी पूरी चढ़ाई

उन्होंने बताया कि बिप्लब ने सफलतापूर्वक चोटी की चढ़ाई कर ली थी, जबकि कुंतल रास्ते में ही बीमार हो गए। दोनों भारतीय की मौत नीचे उतरने के दौरान हुई। साथी पर्वतारोहियों के अनुसार, दोनों को 8,400 मीटर की ऊंचाई से नीचे कैंप-4 पर लाया जा रहा था। उन्हें फर्स्ट ऐड देने की कोशिश की गई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, बाद में उन्होंने अपना दम तोड़ दिया। दोनों पर्वतारोही बंगाल से आए पांच सदस्यीय दल के सदस्य थे। पीक प्रमोशन प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजर पासंग शेरपा ने बताया कि दो अन्य भारतीय व एक जर्मन पर्वतारोही हिमदाह का शिकार हो गए हैं। उन्हें जल्द से जल्द नीचे लाया जाएगा। बुधवार शाम से चिली का एक पर्वतारोही लापता भी है। अत्यधिक ठंड में शरीर का कोई हिस्सा खुला रह जाने पर वहां के ऊतकों के क्षतिग्रस्त हो जाने को हिमदाह कहा जाता है। यह अक्सर नासूर का रूप ले लेता है। प्रभावित अंग को काटने की नौबत भी आ जाती है।

Posted By: Mukul Kumar