मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्रेटर नोएडा में दो इमारतों के ध्वस्त होने के मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए दो अफसरों को सस्पेंड कर दिया।


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LUCKNOW : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्रेटर नोएडा में दो इमारतों के ध्वस्त होने के मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए दो अफसरों को सस्पेंड कर दिया। उन्होंने प्रवर्तन कार्य में लापरवाही बरतने के आरोप में ग्रेटर नोएडा के सहायक परियोजना प्रबंधक अख्तर अब्बास जैदी व परियोजना प्रबंधक वीपी सिंह को सस्पेंड कर दिया है। दोनों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही भी की जाएगी। साथ ही घटना की जांच मेरठ के कमिश्नर से कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने हादसे का शिकार बने लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। साथ ही कहा कि यदि इनमें कोई मजदूर होगा तो उसे अनुमन्य राशि के अलावा यह सहायता राशि भी दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कमिश्नर मेरठ को यह निर्देश भी दिए हैं कि वह दोषियों पर तत्काल एफआईआर कराकर गिरफ्तार कराएं। साथ ही यह भी पता लगाए कि ग्रेटर नोएडा में किन जगहों पर इस तरह के अवैध निर्माण हो रहे हेै।लोगों ने की थी शिकायत

नोएडा में गैरकानूनी तरीके से बनी इमारत की नोएडा अथॉरिटी और स्थानीय पुलिस को पहले से जानकारी थी। स्थानीय लोगों ने यूपी पुलिस के ट्विटर हैंडल पर विगत 2 जुलाई को अवैध निर्माण होने की शिकायत की थी जिसके बाद नोएडा पुलिस को इस बाबत जांच को निर्देशित किया गया था। साथ ही इसकी जानकारी नोएडा अथॉरिटी को भी दी गयी थी। वहीं नोएडा पुलिस ने भी इसका संज्ञान लेते हुए एसपी ग्रामीण को जांच करने को कहा था। इसके बावजूद पुलिस ने इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं की नतीजतन मंगलवार रात 9।30 बजे नवनिर्मित इमारत जमींदोज हो गयी। फिलहाल इस शिकायत को लेकर पुलिस अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। वही यह भी सामने आया कि वहां की रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने डीएम और एसपी से इस अवैध निर्माण की लिखित शिकायत भी की थी। सीएम के निर्देश पर जांच शुरू

नोएडा में दो इमारतों के ध्वस्त होने की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री कार्यालय हरकत में आ गया और प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार और डीजीपी ओपी सिंह को तत्काल राहत कार्य शुरू करने के निर्देश दिए गये। मुख्यमंत्री ने मामले की जांच के आदेश भी दिए जिसके बाद डीएम नोएडा ने एडीएम प्रशासन कुमार विनीत को मजिस्ट्रीयल जांच शुरू करने के निर्देश जारी कर दिए। उन्हें 15 दिन के भीतर ऐसे सुझावों समेत रिपोर्ट देने को कहा गया है जिससे भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो। वहीं दूसरी ओर एडीजी कानून-व्यवस्था आनंद कुमार ने बताया कि हादसे में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है। पुलिस को रात तकरीबन 10 बजे इमारतों के गिरने की सूचना मिली जिसके बाद तत्काल स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंच गयी और राहत कार्य शुरू कर दिए गये थे। आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गये
ग्रेटर नोएडा में इमारत गिरने के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गये हैं। कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने राहत कार्य में तेजी लाने के साथ दोषियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह इमारत पूर्ववर्ती सरकार में बनना शुरू हुई थी। पिछली सरकार ने अवैध निर्माणों को बढ़ावा दिया, अब हम इसे दुरुस्त कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर ने मृतकों के परिजनों को बीस-बीस लाख रुपये एवं घायलों को निशुल्क इलाज एवं दस-दस लाख रुपये आर्थिक मुआवजा देने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र ग्रीन बेल्ट में आता है और किसी भी प्रकार के निर्माण कराये जाने पर पूरी तरह रोक है। सवाल यह उठता है कि इसके बावजूद किनकी शह पर वह निर्माण हेा रहा था। प्रदेश सरकार रियल इस्टेट रेगुलेशन एक्ट को सख्ती से लागू नहीं कर रही है। इससे साफ है कि कहीं न कहीं बिल्डर लॉबी को सरकार का संरक्षण है। वहीं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी मृतकों के आश्रितों को दस-दस लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की।

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Posted By: Shweta Mishra