-कार्डियोलॉजी में धड़कते दिल पर वाल्व ट्रांसप्लांट करने के साथ दिल के छेद को बंद किया गया

- डॉक्टर्स का दावा प्रदेश में अपनी तरह की पहली सर्जरी, सीटीकॉन की नेशनल कॉफ्रेंस में भी होगी डिस्कस

- सोमवार को तीन पेशेंट्स का इस विधि से किया गया सक्सेसफुल ट्रीटमेंट, तीनों की हालत स्थिर

KANPUR: क्या कभी आपने सोचा है कि दिल की धड़कन चलती रहे और दिल में खून को पंप करने वाला वॉल्व बदल जाए या फिर दिल धड़कता रहे और उसमें बना छेद भर दिया जाए। कार्डियोलॉजी के डॉक्टर्स भी ऐसी सर्जरी के बारे में सिर्फ सोचते ही थे। लेकिन सोमवार को ही ऐसे तीन जटिल ऑपरेशन किए गए जिसमें से एक में धड़कते दिल के साथ ही पेशेंट का वॉल्व ट्रांसप्लांट कर दिया गया, और बाकी दो पेशेंट्स के दिल का छेद बंद किया गया।

दिल का साइज भी छाेटा किया

कार्डियोलॉजी में कार्डियो सर्जन प्रो। डॉ। राकेश वर्मा ने बताया कि घाटमपुर के बेंदा गांव की रामदेवी (35)) जब कार्डियोलॉजी आई थीं तो उनके हार्ट का एक वॉल्व बिल्कुल खराब हो चुका था। जिसकी वजह से हार्ट का साइज भी काफी बढ़ गया था। नार्मल तकनीक से उनका ऑपरेशन करने से उनके बचने की संभावना भ् फीसदी भी नहीं थी, लेकिन परिजनों के सुचरिंग तकनीक से ऑपरेशन कराने के लिए तैयार होने के बाद उन्होंने पहली बार ऐसा ऑपरेशन किया जिसमें पेशेंट का दिल धड़कता रहा और उसी हालत में रामदेवी के हार्ट का वॉल्व बदल दिया गया। इसके अलावा हार्ट का साइज भी कम कर दिया गया।

हाटर्लंग मशीन का किया यूज

ऑपरेशन के लिए हार्टलंग मशीन का यूज किया गया जिसे डॉ.मुबिन अंसारी चला रहे थे। प्रो। राकेश वर्मा ने बताया कि हार्ट को ठंडा किए बिना हार्ट लंग मशीन से पेशेंट्स को जोड़ना ही काफी जटिल प्रक्रिया है। पूरी सर्जरी को ओटी में मौजूद उपकरणों के सहारे ही बेहद कम कीमत में किया गया। प्रो। वर्मा के मुताबिक पूरी सर्जरी में एक लाख रुपए का खर्चा आया।

एएसडी तकनीक से भरा सुराख

रामदेवी के वॉल्व ट्रांसप्लांट के अलावा कार्डियोलॉजी में बिठूर की ननकी और फतेहपुर के मो.अतीक के हार्ट का सुराख भी बंद किया गया। इस तकनीक में भी दिल धड़कता रहा और उसी हालत में सुराख को सिल दिया गया। जो कि बेहद जटिल और पेंचीदा काम था। इस दौरान प्रो। राकेश वर्मा के अलावा प्रोफेसर डॉ.आरएन पांडेय, डॉ.एके गुप्ता, डॉ। नीरज कुमार और डॉ। स्वाती पाठक ने भी सजर्1री में योगदान किया।

सीटीकॉन काॅफ्रेंस में होगी चर्चा

प्रो। राकेश वर्मा ने बताया कि इस तरह के ऑपरेशन अभी तक यूपी में कहीं भी नहीं हुए हैं। विदेशों में जो इस तरह के ऑपरेशन होते हैं उन्हें इंटरनेट पर देखकर और अपने अनुभव के सहारे ही इन्हें अंजाम दिया गया जिससे तीनों पेशेंट्स की जान बच सकी। इस विधि से ऑपरेशन का मेडिकल लिक्ट्रेचर भी उपलब्ध नहीं है। इसलिए कार्डियो सर्जरी के लिए होने वाली नेशनल कॉफ्रेंस सीटीकॉन में तीनों केसेस को भेजा जाएगा। जिसमें इस सर्जरी पर चर्चा होगी।

Posted By: Inextlive