With many benefits attached ‘typing’ has become a habit. But most of us aren't aware of health problems attached to excessive keyboard typing.


Carpal tunnel syndromeCarpal tunnel syndrome (CTM) एक डिसऑर्डर है जो हाथों के रिपीटीटिव यूज या फिर फिजिकल इंजरी की वजह से होता है. दरअसल हाथों को मूवमेंट्स और सेंसेशन प्रोवाइड कराने वाली मीडियन नर्व के आसपास के टिशूज, जो फोर-आम्र्स से लेकर हाथ तक फैले होते है, हाथों के रिपीटीटिव यूज से पडऩे वाले प्रेशर से वीक हो जाते हैं.ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. बिपिन कामदार के अकॉर्डिंग carpal tunnel syndrome के सिम्पटम्स में हाथ, रिस्ट और फिंगर्स में पेन, नम्बनेस और टिंगलिंग जैसी प्रॉब्लम्स होती हैं. उनका कहना है कि excessive typing से पहले अर्थराइटिस होता है जिससे हाथों में नम्बनेस आ जाती है और प्रॉपर मेडिकेशन को अवॉइड किया गया तो ये डैमेज बढ़ सकता है.
इनीशियल स्टेज में रिस्ट को टैप कर के डॉक्टर ये पता लगाते हैं कि क्या पेशेंट CTM से अफेक्टेड है या फिर पेन के पीछे कोई और वजह है, क्योंकि अक्सर स्पांडिलाटिस और सीटीएस के सिम्पटम्स एक जैसे होते हैं जिससे दोनों में फर्क कर पाना मुश्किल हो जाता है.


सीटीएस सस्पेक्ट होने और सिम्पटम्स मैच होने पर रिस्ट को इग्जामिन किया जाता है और इसके बाद सही ट्रीटमेंट दिया जाता है. हालांकि पेन होने के छह से सात वीक्स के अंदर डॉक्टर की सलाह से इसे कुछ सिम्पल exercise के थ्रू क्योर किया जा सकता है लेकिन प्रिकॉशंस को सीरियसली फॉलो नहीं किया गया तो पेन फिर से डेवेलप हो सकता है.Put the keyboard aside  CTM को इनीशियल स्टेज में ईजिली क्योर किया जा सकता है. डॉ. बिपिन बताते हैं, ‘ज्यादातर पेशेंट्स इनीशियल लेवेल के ट्रीटमेंट और बताए गए प्रिकॉशंस के थ्रू ठीक हो जाते हैं पर इस प्रोसेस में रिस्ट को आराम देना जरूरी होता है, इसके लिए डॉक्टर्स typing ना करने की सलाह देते है.’ वैसे तो सीटीएस को क्योर करने के कई तरीके हैं लेकिन हाथों को प्रॉपर रेस्ट देना ट्रीटमेंट का सबसे इम्पॉर्टेंट पार्ट है. जिन लोगों को माइल्ड पेन की शिकायत हो वो प्रॉपर रेस्ट और रिस्ट स्प्लीन्ट का यूज कर पेन को कट्रोल कर सकते हैं. स्प्लीन्ट से हाथों को सीधी पोजीशन मे रखा जा सकता है जिससे हाथों का मूवमेंट कम से कम होता है. स्प्लीन्ट को आप सोते समय भी पहन सकते हैं इससे रिलीफ तो मिलता ही है साथ ही रिकवरी भी फास्ट होती है. स्प्लीन्ट को सीटीएस के सिम्पटम्स डिटेक्ट होने के तीन महीने के अदंर यूज करने पर ही बेहतर रिजल्ट्स मिलते हैं.

CTM exercise के थ्रू भी क्योर किया जा सकता है फिजिकल थेरेपिस्ट की हेल्प से आप स्पेशल exercise को फॉलो करके हाथों और रिस्ट को स्ट्रांग बना सकते हैं. प्रॉब्लम को छह महीने से ज्यादा वक्त हो गया हो तब सर्जरी से ही सीटीएस का क्योर पॉसिबल है. Type in right way to check CTMअगर आप डेटा इंट्री मे इनवाल्व हैं या फिर आपका वर्क एक्सेस टाइपिंग डिमांड करता है तो अपनी वर्किंग स्टाइल में कुछ चेंजेस लाकर आप सीटीएस को अपने से दूर रख सकते है:•कंप्यूटर पर काम करते वक्त कीबोर्ड और हाथों के बीच की हाइट बराबर होनी चाहिए जिससे बिना बेंड हुए आपकी रिस्ट कम्फर्टेबल पोजीशन में रेस्ट कर सके.•जमीन से टेबल या डेस्क की हाइट 27 से 29 इंच होनी चाहिए, इससे आपकी एल्बो की पोजीशन ठीक आपके बगल में होगी और फोर-आम्र्स पर स्ट्रेन नहीं पड़ेगा.•लगातार काम करने से बचें और ब्रेक जरूर लें, इससे स्वेलिंग का रिस्क कम हो जाता है.10 से 15 मिनट का ब्रेक हाथ और रिस्ट दोनों को रिकवर कर देता है.
•फिंगर्स को स्ट्रेच करके उन्हें एक पोजीशन पर कुछ देर के लिए रखना और फिस्ट को कस के बंद करके कुछ सेकेंड के लिए होल्ड करना, ये कुछ सिम्पल exercise हैं जिससे हाथ और रिस्ट को रिलैक्स किया जा सकता है.•सर्दियों में सीटीएस होने का रिस्क बढ़ जाता है क्योंकि इस मौसम में मसल्स आसानी से हर्ट हो सकती हैं इसलिए हाथों को गर्म रखें, इसके लिए आप चाहें तो फिंगरलेस ग्लव्स का यूज कर सकते है.

Excessive keyboard typing can cause health problems like carpal tunnel syndrome(CTM) which on initial stage can be cured through exercise & it can be checked by practicing the right of typing.

Posted By: Surabhi Yadav