यूक्रेन में भारतीय राजदूत के आवास की छत पर चढ़कर टॉपलेस विरोध प्रदर्शन के मामले में आपराधिक मामला शुरू किया जा रहा है.

यूक्रेन में महिला अधिकारों के लिए अभियान चलाने वाली संस्था 'फ़ेमेन' ने 18 जनवरी को भारतीय विदेश मंत्रालय की कथित महिला विरोधी नीति के ख़िलाफ़ प्रदर्शन का आयोजन किया था।

फ़ेमेन की प्रवक्ता ईना शेवचेन्को ने बीबीसी हिंदी से बातचीत में कहा, "हमें समाचार माध्यमों से पता चला था कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन, रूस और किर्गिस्तान के दूतावासों को निर्देश दिया था कि 18 से 40 वर्ष की आयु की महिलाओं के वीज़ा आवेदनों की अधिक सतर्कता से जाँच की जाए क्योंकि वे वेश्यावृत्ति करने भारत जाती हैं."

भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से ऐसा कोई निर्देश जारी होने की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। फ़ेमेन का कहना है कि उन्हें "पूरे देश की महिलाओं के प्रति इस तरह का अपमानजनक रवैया अपनाए जाने" पर कड़ी आपत्ति है इसलिए उन्होंने "कड़ाके की ठंड में जब तापमान शून्य से चार डिग्री नीचे था तब टॉपलेस प्रदर्शन करने का फ़ैसला किया"।

ये महिलाएँ अपने साथ सीढ़ियाँ लेकर आई थीं, वे भारतीय राजदूत के आवास की टेरेस पर चढ़ गईं, उन्होंने हाथ में बैनर थाम रखे थे जिन पर लिखा था--"यूक्रेन इज़ नॉट ए ब्रॉथल", "आई एम नॉट ए प्रास्टि्यूट्स"

इन प्रदर्शनकारियों पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का भी आरोप है, अगर आपराधिक मामले में उन्हें दोषी पाया गया तो यूक्रेन के क़ानून के मुताबिक़ चार साल तक की सज़ा हो सकती है।

फ़ेमेन की प्रवक्ता ईना शेवचेन्को का कहना है, "हम कोई उपद्रवी नहीं हैं, विरोध प्रदर्शन करना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है, टॉपलेस विरोध प्रदर्शन कोई नई बात नहीं है, दुनिया के अलग अलग देशों में प्रदर्शनकारी ध्यान खींचने के लिए इसका सहारा लेते रहे हैं, मगर कभी किसी के ख़िलाफ़ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया गया."

ईना का कहना है कि 18 जनवरी को चारों प्रदर्शनकारियों को जुर्माना अदा करने के बाद रिहा कर दिया गया था लेकिन महीने भर बाद उन पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है, "हमें सिर्फ़ इतना ही बताया गया है कि मुकदमा शुरू किया जा रहा है लेकिन इससे अधिक जानकारी नहीं दी गई है, पहले समाचार माध्यमों से हमें इसकी ख़बर मिली जो एक अजीब बात है."

फ़ेमेन का कहना है कि अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा, संस्था की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि "महिलाओं की आवाज़ को दबाने के लिए आपराधिक मुकदमा शुरू किया जाना दोनों देशों के लिए शर्मनाक है"।

Posted By: Inextlive