रांची: यहां बंद कैदी अपने किये की सजा भुगतने के साथ ही अलग से भी अत्याचार की मार सह रहे हैं. उम्रकैद के सजायाफ्ता इन पर जुल्म ढा रहे हैं. बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल, होटवार का ये हाल है. जेल के अंदर इन सजायाफ्ताओं का लंबे अरसे से दबदबा कायम है. जेल की सलाखों से लेकर बाहर तक में इनका राज चल रहा है. मामूली इल्जाम में यहां बंद होने वाले विचाराधीन बंदी तो इनके कहर से बीमार पड़ जा रहे हैं. इसके अलावा सरकारी अधिकारियों व कर्मियों, जिन्हें रिश्वतखोरी के आरोपी में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है वो इनके बुरे बर्ताव से कहीं ज्यादा परेशान हैं. सजायाफ्ताओं की ये मानसिक यातना तक झेलने को मजबूर हो रहे हैं. एक तरह से पूरे जेल का सिस्टम उम्रकैद के सजायाफ्ताओं के हाथों में है. इनकी प्रताड़ना से परेशान बंदियों ने जेल प्रशासन से लेकर सरकार के आला अधिकारियों तक को कई बार पत्र भी लिखा लेकिन अब कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

ऐसे होती है जेल जीवन की शुरुआत

जेल ले जाने से पूर्व पुलिस आरोपियों कों हथकडि़यां लगाकर कोर्ट हाजत ले जाती है जहां मुख्य दरवाजे पर तलाशी भी होती है. फिर हाजत के भीतर एक कमरे में ले जाया जाता है, जो बहुत ही बदबूदार होता है. बदबू की एकमात्र वजह ये है कि उस कमरे से ही सटा शौचालय है जिसे पिछले कई महीनों से साफ तक नहीं कराया गया है. दो घंटे के बाद सभी कैदियों को गाड़ी में भरकर जेल ले जाया जाता है.

जोड़ा में बैठे, गिनती चालू

जेल में बंद एक कैदी जो हाल में ही जमानत पर छूटा है, नाम नहीं बताने की शर्त पर कहता है कि जोड़ा में बैठे, गिनती होगी. इसी आवाज से हर दिन सुबह 5.30 बजे नींद खुल जाती थी. जब आंख खुलती तो सादा कुर्ता पहने एक आदमी जिसके हाथों में चाबियों का गुच्छा होता था और उसके साथ एक सिपाही भी रहता था. वह कैदियों की गिनती करना शुरू करता था. जेल में सुबह की शुरुआत ऐसे ही होती है.

नंगा कर करते हैं जांच

जेल में मुख्य दरवाजे के अंदर जाने के साथ ही सारे कैदियों को एक लाइन में लगा दिया जाता है और नए कैदियों को उनसे अलग एक लाइन बनाकर खड़ा कर दिया जाता है. जेल गेट पर पहुंचने के बाद कैदियों की जांच शुरू होती है. जांच का तरीका जेल में आज भी अंग्रेजी शासन की तरह ही है. एक-एक कैदी के सारे कपड़े उतरवाकर उसकी तलाशी ली जाती है. देश में बहुत कुछ बदल गया लेकिन जेल में आज भी कारावास में कैदियों की बेशर्मी से जांच की जा रही है. सभी कैदियों को एक-एक कर दोषसिद्ध कैदियों के सामने नंगा तक होना पड़ता है, वो भी सार्वजनिक तौर पर जहां चारों ओर महिला और पुरुष पुलिसकर्मी मौजूद रहते हैं.

राजू तांती है जेल का खौफ

इस जेल में बंद राजू तांती नाम का दोषसिद्ध कैदी ही विचाराधीन और अन्य दोषसिद्ध कैदियों की शारीरिक जांच करता है. कैदियों के मानवाधिकार का हनन कर व उनको अपमानित करते हुए उनके गुप्तांगों तक की तलाशी ली जाती है. तलाशी लेने वाला कोई पुलिस या जेल अधिकारी नहीं होता है.

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बाक्स

क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2018 में कहा था कि जेल में बंद कैदियों के भी मानवाधिकार हैं, उन्हें जानवरों की तरह जेल में नहीं रखा जा सकता है. जेल एक सुधार गृह होता है. वहां कैदियों के साथ जानवरों सा व्यवहार करना कैदियों के मानवाधिकार का हनन है. इसके बावजूद जेल के अंदर बंद कैदियों के साथ यहां हर कदम पर अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है. कैदियों से सीधे लहजे में बात तक नहीं की जाती. बल्कि गाली से शुरुआत और गालियों से ही बातों का अंत किया जाता है.

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वर्जन

जेल प्रशासन कानून के दायरे में ही सारे सिस्टम ऑपरेट करता है. इस मामले की जानकारी मिली है जांच के बाद ही इस पर कोई कार्रवाई की जाएगी.

दीपक विद्यार्थी,

जेल डीआईजी

Posted By: Prabhat Gopal Jha