भारत सुरक्षा परिषद में सदस्यता की दिशा में आगे बढ़ा
मिली बड़ी सफलता सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का दावा कर रहे भारत को इस दिशा में बड़ी सफलता मिली है। सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सुरक्षा परिषद के विस्तार पर चर्चा को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। इसका विषय ‘सुरक्षा परिषद की सदस्यता में बढ़ोतरी या बराबरी का प्रतिनिधित्व’ है। महासभा के 193 सदस्य देश इससे संबंधित दस्तावेज के मसौदे पर अगले एक साल तक चर्चा करने के लिए राजी हो गए। चीन चाहकर भी इस मसौदे का विरोध नहीं कर सका। नहीं शामिल हुए चीन और रूस
संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में यह पहला मौका है, जब महासभा के सदस्य देशों ने लिखित में सुझाव देकर बताया कि प्रस्ताव में क्या लिखा जाए। हालांकि अमेरिका, चीन और रूस ने इस कवायद में शामिल न होकर भारत के प्रयास में अड़ंगा डालने की कोशिश की। महासभा के अध्यक्ष सैम कुटेसा की अध्यक्षता में सदस्य देशों की आम बैठक के दौरान सुरक्षा परिषद के विस्तार पर चर्चा का फैसला लिया गया। बैठक के दौरान कुटेसा ने इस मुद्दे पर अमेरिका, रूस और चीन के रुख से भी महासभा को अवगत कराया। प्रधानमंत्री लगातार कर रहे थे प्रयास
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई देशों से सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए सहयोग मांग चुके हैं। उनका कहना है कि इस साल संयुक्त राष्ट्र अपनी 70वीं वर्षगांठ मना रहा है और सुधार के लिहाज से यह एक महत्वपूर्ण अवसर साबित हो सकता है। कामयाब नहीं हुए चीन के मंसूबेचीन सुरक्षा परिषद के विस्तार का कड़ा विरोध करता रहा है। खबर है कि वह सुधार के ढांचे पर चर्चा के इस प्रस्ताव पर वोटिंग कराना चाहता था, लेकिन उसे दूसरों का साथ नहीं मिला। इसके बाद उसने वोटिंग पर जोर भी नहीं डाला। चीन अगर वोटिंग पर जोर डालता, तो भारत को दूसरे देशों को अपने पक्ष में करने के लिए मेहनत करनी पड़ सकती थी। अमेरिका और रूस ने भारत की सदस्यता का मौखिक रूप से जरूर समर्थन किया था, लेकिन इस पर कोई लिखित आश्वासन नहीं दिया। क्या होगी आगे की प्रक्रिया महासभा द्वारा चर्चा के लिए स्वीकृत प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के अगले साल के एजेंडे पर बात की गई है। एक बार मसौदा तैयार हो जाने के बाद उसे महासभा में मतदान के लिए रखा जाएगा।यहां उसे पास होने के लिए दो तिहाई वोट की जरूरत पड़ेगी।
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