संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने एक ऐसा स्मार्टफोन गेम जारी किया है जिसके जरिए दुनिया भर के शरणार्थियों के अनुभव से लोगों को जागरूक किया जाएगा.


“माई लाइफ ऐज ए रिफ्यूजी” के माध्यम से शरणार्थी लोगों को संघर्ष की वजह से भागने और अपने लोगों को ढ़ूंढ़ने में मदद मिलेगी.संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग अर्थात् यूएनएचसीआर का कहना है कि यह शरणार्थियों की असल जिंदगी पर आधारित है.एक विश्लेषक के मुताबिक हालांकि इस गेम के बहुत ज्यादा प्रशंसक नहीं हैं लेकिन ये अपने श्रोताओं को आकर्षित कर रहा है.वेबसाइट पर गेम के बारे में अधिक जानकारी देते हुए यूएनएचसीआर का कहना है, “ये दुनिया भर में रह रहे शरणार्थियों को अपने जीवन के अनुभव बाँटने और उन घटनाओं को बताने का अहम जरिया होगा, जिसने उनके जीवन को बदल कर रख दिया.”वैसे गेम को इस मकसद से विकसित किया गया था ताकि इसका इस्तेमाल करने वाले अपने जीवन के वास्तविक अनुभवों को साझा कर सकें. साथ ही मनोरंजन भी कर सकें.
डिजिटल मीडिया से जुड़े एक विश्लेषक जैक केंट कहते हैं, “लेकिन शरणार्थी एजेंसी के सामने समस्या ये थी कि इसे लोगों को कैसे बताया जाए कि ये चीजें वास्तविक हैं.”


केंट ने बीबीसी को बताया, “ये गेम एंग्री बर्ड्स और जेंगा जैसे गेम्स से प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया गया है. ये इसी तरह का शिक्षाप्रद गेम है. लेकिन विषय के बारे में जागरूकता के लिए इसके संचालकों को सही दिशा में काम करना होगा.”उनके मुताबिक फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती इसे स्कूलों के जरिए प्रचारित करने की है ताकि लोग इसे पाने के बाद इसके इस्तेमाल को समझ सकें.बीबीसी ने इस बारे में यूएनएचसीआर से बात करने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली.फिलहाल ये एप्लीकेशन एंड्रॉएड फोन्स पर उपलब्ध है, लेकिन जल्द ही इसका आई-फोन संस्करण भी आने वाला है.

Posted By: Surabhi Yadav