Unemployed BEd students in meerut
लेकिन अब लगता है कि बीएड से स्टूडेंट्स का मन हट जाएगा।क्या है मामलाप्रदेश में बीएड भर्ती का सिलसिला चल रहा है। शासन पहले ही प्राइमरी और जूनियर स्कूलों के लिए 72 हजार भर्तियां निकाल चुका है। फिलहाल इन भर्तियों का मामला कोर्ट में लंबित है। इसके बाद भी शासन ने जूनियर स्कूलों के लिए करीब 45 हजार भर्ती जल्दी करने की बात कही है। इसके साथ ही करीब तीन लाख भर्ती कुल होनी हैं। इन्हीं भर्तियों को देखते हुए स्टूडेंट्स में बीएड का क्रेज अभी भी बरकरार है।फिर गया पानी
लेकिन तीन दिन पहले टीईटी और टीचर्स की भर्तियों के संबंध में शासन की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में साफ कर दिया गया है कि अब प्राइमरी सेक्शन में होने वाली भर्ती में अब बीएड पास लोगों को नहीं लिया जाएगा। प्राइमरी भर्ती के लिए बीटीसी वालों को ही सेलेक्ट किया जाएगा। ऐसे में बीएड करने वालों के सपनों पर पानी फिर गया है।फिर बदली नीति
बीएड स्टूडेंट रागिनी का कहना है कि मैंने बीएड में एडमिशन ही सिर्फ सरकारी नौकरी के चक्कर में लिया है। प्राइमरी स्कूलों में ज्यादा वेकेंसी हैं और जूनियर स्कूलों कम। जबकि लाखों बीएड बेरोजगारों को नौकरी दिलाने के लिए प्राइमरी स्कूलों में भी बीएड पास लोगों को अप्वाइंट किया जाना चाहिए। बीएड बेरोजगार संगठन के राजकुमार दुधली का कहना है कि सरकार बीएड वालों के साथ दोहरी चाल चल रही है। पहले बीटीसी वालों को भर्ती किया जाता था। फिर बीएड वालों को भर्ती किया जाने लगा। अब फिर से बीटीसी वालों को भर्ती करने की नीति बदल दी गई।कहां से आएंगे इतने टीचर्सशिक्षा का अधिकार के तहत सभी स्कूलों में टीचर्स की भर्ती करना अनिवार्य है, लेकिन सरकार के पास इतने टीचर्स ही नहीं है कि शिक्षा का अधिकार को पूरी तरह से लागू किया जा सके। अचानक बदली गई नीति कहीं ना कहीं सवाल खड़ा करती है। जानकार मानते हैं कि सरकार आरटीई के लिए जरूरी टीचर्स की संख्या पूरी नहीं कर पाएगी और इस बहाने आरटीई लागू नहीं हो पाएगा।"बीएड वालों को प्राइमरी टीचिंग से बाहर करने का फैसला गलत है। सरकार की मंशा समझ नहीं आ रही है। बीएड वालों को नौकरी नहीं देंगे। बीटीसी वाले अभी मिल नहीं रहे हैं। ऐसे में स्कूल तो खाली होंगे ही, बीएड कॉलेजों को भी निश्चित नुकसान होने वाला है."वीएम सक्सेना, लीगल चेयरमैन ऑफ बीएड कॉलेज एसोसिएशन