Meerut : एमए एजुकेशन. एक ऐसी डिग्री जिसे हर साल सीसीएस यूनिवर्सिटी में हर करीब दस से बीस हजार कैंडीडेट बिना बात के हासिल करते हैं. इस सोच के साथ की उनको दो साल के इस कोर्स के बाद एक अच्छी नौकरी मिल जाएगी लेकिन कोर्स करने के बाद जब फील्ड में आते हैं तो पता चलता है कि हकीकत क्या है.


क्या है मामलासीसीएसयू के नौ जिलों में कई कॉलेजों में एमए एजुकेशन का कोर्स कराया जाता है। 2009 तक एमए एजुकेशन वालों को बीएड कॉलेजों में पढ़ाने के लिए अप्वाइंट किया जाता था। लेकिन यूजीसी की नई गाइडलाइन में स्पष्ट कर दिया गया कि बीएड कॉलेजों में पढ़ाने के लिए कम से कम योग्यता एमएड हो। यूजीसी का कहना है कि बीएड एक प्रोफेशनल कोर्स है और एमए एजुकेशन एक ट्रेडिशनल कोर्स। ऐसे में बीएड को पढ़ाने के लिए भी प्रोफशनल कोर्स में मास्टर्स डिग्री हासिल किए हुए कैंडीडेट ही हों। 31 दिसंबर 2009 के बाद से यूजीसी की नई गाइडलाइन लागू कर दी गई।अब फिर से पढ़ो


इतना ही नहीं, यूनिवर्सिटी ने एमए एजुकेशन वालों को पीएचडी करने से भी मना कर दिया है। यूनिवर्सिटी का कहना है कि पीएचडी करनी है तो किसी अन्य सब्जेक्ट से एमए करें और फिर पीएचडी के लिए अप्लाई करें। इतना ही नहीं अब एमए एजुकेशन वालों को बीएड कॉलेजों में पढ़ाने के लिए फिर से पढऩा पड़ रहा है। अब ये लोग पचास हजार रुपए खर्च करके एमएड कर रहे हैं। ताकि किसी तरह नौकरी मिल सके।

'मैंने पांच साल पहले एमए एजुकेशन किया था। उस समय एमए एजुकेशन वालों को बीएड कॉलेजों में रख लिया जाता था। लेकिन जैसे ही मेरी डिग्री पूरी हुई कुछ ही दिनों में यूजीसी के नियम बदल गए.'-लविंद्र कुमार'मैंने पांच साल पहले डिग्री कॉलेजों में पढ़ाने के लिए एमए एजुकेशन की डिग्री हासिल की थी। डिग्री लेने के बाद से आज तक नौकरी नहीं मिली है। अब तो लगता है कि एमएड ही करना होगा तभी जाकर कहीं नौकरी मिलेगी.'-पूजा शर्मा'यूजीसी की गाइडलाइन चेंज होने से पहले एमए एजुकेशन में एडमिशन लिया था। एडमिशन लेने के एक साल के भीतर ही नई गाइडलाइन जारी हो गई। आज तक एमए एजुकेशन के बेस पर नौकरी हासिल नहीं पाया हूं.'-अनिल कुमार'जब एमए एजुकेशन के बाद यूनिवर्सिटी खुद ही नौकरी नहीं दे रही है तो फिर एमए एजुकेशन को कराया क्यों जाता है। एमए एजुकेशन को बंद कर देना चाहिए। इसके कारण दो साल भी खराब हो गए.'-प्रतिभा शर्मा'यूनिवर्सिटी को इस बारे में फिर से विचार करके एमए एजुकेशन को तो बंद ही कर देना चाहिए। नौकरी के चक्कर में हर साल करीब बीस हजार बच्चे इसमें फंस जाते हैं.'डॉ। कुलदीप तोमर, सचिव, एसोसिएशन टीचर एजुकेशन

Posted By: Inextlive