भारत के अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए सरकार को इन्वेस्टमेंट बढ़ाना अनिवार्य होगा। पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा चुनाव में किये गए वादों को पूरा करने के लिए सरकार को फिलहाल अधिक खर्च करने की जरुरत है।


नई दिल्ली (रॉयटर्स)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार शुक्रवार को अपने दूसरे कार्यकाल की पहली बजट पेश करेगी। विश्लेषकों का मनाना है कि अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए सरकार इस बजट में व्यापार पर टैक्सों में कटौती, खपत बढ़ाने के लिए अधिक खर्च और आर्थिक विकास पर ध्यान दे सकती है। उन्होंने बताया कि जनवरी-मार्च तिमाही में, वार्षिक वृद्धि 5.8 प्रतिशत तक नीचे गिर गई, यह पिछले 20 तिमाहियों में सबसे धीमी गति थी। गांव की समस्या को दूर करने पर ध्यान


भाजपा के आर्थिक मामलों के प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा, 'बजट का फोकस घरेलू खपत को बढ़ावा देना, गांव की छोटी से बड़ी समस्या को दूर करना और छोटे कारोबारियों का साथ देना होगा।' सिंगापुर में कैपिटल एकनॉमिस्ट्स शीलन शाह ने अपने एक बयान में कहा, 'हाल ही में आर्थिक मंदी को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि वित्त मंत्री बजट में अधिक टैक्स और ज्यादा खर्च करने जैसी नीति की घोषणा कर सकती हैं।'खर्च बढ़ेगा तभी बढ़ेगी डिमांड

अग्रवाल ने कहा कि शुक्रवार को, नई विदेश मंत्री निर्मला सीतारमण अपने बजट में छोटे और मध्यम आकार के कारोबार के लिए कॉर्पोरेट करों को कम करने की घोषणा कर सकती हैं और साथ ही वह मिडिल क्लास के हाथों खपत को बढ़ाने के लिए उन्हें भी टैक्स में राहत दे सकती हैं। बता दें कि अगर लोगों का खर्च बढ़ेगा तभी डिमांड बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में भी वृद्धि होगी। कृषि क्षेत्र पर भी खास ध्यान 2018 में, भारत सरकार ने साल में 2.5 बिलियन रुपये (36.3 मिलियन डॉलर) या उससे थोड़ा कम का कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स की दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया था। भाजपा नेता ने कहा कि सरकार इस बजट में हाईवे, रेलवे और बंदरगाहों पर 100 ट्रिलियन रुपये ( 1.45 ट्रिलियन डॉलर) तक निवेश करने की योजना पेश कर सकती है, जबकि अगले पांच सालों में कृषि क्षेत्र को अधिक विकसित करने के लिए सरकार अन्य 25 ट्रिलियन रुपये का बजट भी प्रस्तुत कर सकती है।डिमांड और नाैकरी के लिए इन्वेस्टमेंट जरूरी, जानें आर्थिक सर्वेक्षण की खास बातेंहर साल 10 प्रतिशत जीडीपी की आवश्यकता

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि मोदी ने अगले पांच सालों में भारत की अर्थव्यवस्था को 2.7 ट्रिलियन डॉलर से 5 ट्रिलियन डॉलर में बदलने का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए हर साल 10 प्रतिशत से अधिक जीडीपी की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार के कुछ नीतियों में सुधार नहीं होगा तब तक इतना बड़ा लक्ष्य हासिल करना संभव नहीं होगा। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए सरकार को भारत में भूमि अधिग्रहण को और आसान बनाना होगा और इसके साथ लेबर लॉ में भी संसोधन करना होगा ताकि रोजगार के आसार बढ़ें और नौकरी से लोगों को निकाले जाने की प्रक्रिया में भी कठिनाई आये।

Posted By: Mukul Kumar