कुंभ मेला के दौरान संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश की अनोखी पहल

गंगा पूजन से लेकर कुंभ की प्रामाणिकता तक का देंगे संदर्भ

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PRAYAGRAJ: संगम की रेती पर कुंभ मेला का आयोजन नजदीक आते ही नित नई योजनाओं को विस्तार रुप दिया जा रहा है। इसी के अन्तर्गत प्रदेश के संस्कृति विभाग की ओर से मेला के दौरान दुर्लभ पांडुलिपियों का ऐसा खजाना देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को दिखाया जाएगा जिसमें गंगा पूजन की शुरुआत कब से हुई थी, कुंभ कलश की व्युत्पत्ति का महत्व क्या है व आयुर्वेद विधि के जरिए सनातन संस्कृति में दशकर्म पद्धति का इतिहास कितना पुराना है सहित दर्जनों जानकारियों का संग्रह शामिल होगा।

आठ एकड़ में बसेगा संस्कृति ग्राम

संस्कृति विभाग उप्र की ओर से अरैल एरिया में आठ एकड़ जमीन पर संस्कृति ग्राम बसाया जाएगा। ग्राम में सात एकड़ जमीन पर समग्र भारत की कला व संस्कृति का दीदार कराया जाएगा। एक एकड़ जमीन पर दुर्लभ पांडुलिपियों का कलेक्शन लगाने की योजना है। इसमें प्रदेश के एक दर्जन राजकीय पांडुलिपि पुस्तकालय में मौजूद 50 दुर्लभ पांडुलिपियों का कलेक्शन मंगाया जाएगा। खास बात ये है कि कुंभ मेला के इतिहास में और उप्र में पहली बार एक ही स्थान पर दुर्लभ पांडुलिपियों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी।

यहां मौजूद हैं पांडुलिपियां

विभाग का राजकीय पांडुलिपि पुस्तकालय बाघम्बरी हाउसिंग स्कीम, अल्लापुर में है। प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर संस्कृति विभाग ने इस पुस्तकालय को पांडुलिपियों का संग्रह करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसी कड़ी में विभागीय अधिकारियों की ओर से अब तक कालिदास व आदि शंकराचार्य कृत गंगाष्टक, आयुर्वेद में दशकर्म पद्धति व प्रयाग महात्म्य सहित तीस पांडुलिपियों का कलेक्शन किया गया है। जबकि सनातन संस्कृति पर केन्द्रित अन्य बीस पांडुलिपियों का कलेक्शन प्रदेश के अन्य पुस्तकालयों में ढूंढा जा रहा है।

कुंभ मेला के इतिहास में पहली बार दुर्लभ पांडुलिपियों की प्रदर्शनी लगाने की योजना बनाई गई है। पांडुलिपियों के कलेक्शन का कार्य जारी है। इसे मेला की अवधि में संस्कृति ग्राम की एक एकड़ जमीन पर श्रद्धालुओं के लिए लगाया जाएगा।

गुलाम सरवर, पांडुलिपि अधिकारी, राजकीय पांडुलिपि पुस्तकालय

Posted By: Inextlive