पेरिस के फ्रांस में एक यूनिवर्सिटी ऐसी भी है जहां न तो शिक्षक हैं और न ही तो यहां का कोई सिलेबस है। यही नहीं यहां एडमिशन लेने के लिए आपको कोई शर्त भी पूरी नहीं करनी होगी और न ही तो कोई फीस देनी होगी। चौंक गए न आप भी इसके बारे में इतनी खासियतें सुनकर। अब आप सोच रहे होंगे कि फिर क्‍या यहां पढ़ाई भी होती होगी। जवाब है जरूर होती है लेकिन एक खास अंदाज में। क्‍या है वो आइए बताएं।

ऐसी है ये यूनिवर्सिटी
यहां बात हो रही है फ्रांस के ऐकॉल 42 एक्सपेरिमेंटल यूनिवर्सिटी की। ऊपर बताई गई इतनी सारी खासियतें आपको यहीं पर मिलेंगी। इस यूनिवर्सिटी के बारे में आपको बता दें कि इसकी स्थापना फ्रांस के एक अरबपति जेवियर नील ने अब से करीब 3 साल पहले की थी। इसकी सबसे पहली और बड़ी खासियत आपको बता दें कि ये 24 घंटे खुली रहती है।  
ऐसे हुई इसकी शुरुआत
इस यूनिवर्सिटी की शुरुआत के पीछे कहानी कुछ ऐसी है कि नील ने मिनिटेल फोन-कनेक्टेड मॉनिटर्स पर काम करने के लिए स्कूल की पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया था। पढ़ाई को बीच में छोड़ने के पीछे उनका ये मानना था कि अब शिक्षा व्यवस्था में वो पुराने जैसा असर नहीं रहा। ऐसे में नील ने मेरिट के आधार पर एक कोडिंग स्कूल को शुरू करने का मन बनाया।  
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सुनी अपने मन की बात
अपने मन की आवाज को इन्होंने सुना और इस स्कूल को शुरू कर दिया। नील ने इस स्कूल का नाम ऐकॉल 42 रखा। स्कूल को शुरू करने के बाद उन्होंने गौर किया कि लोग बड़ी संख्या में इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए नील ने 2016 में कैलिफोर्निया में इस स्कूल की एक और ब्रांच शुरू की।
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नील बताते हैं
अपने इस स्कूल के बारे में नील बताते हैं कि अब हर साल उनके पास 80,000 छात्र आते हैं। ये सभी छात्र ऑनलाइन गेम खेलते हैं। इनमें से करीब 25,000 छात्र पढ़ाई खेल को पूरा कर पाते हैं। इसके आगे नील बताते हैं कि इन बच्चों में से भी सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वालों को वह चुनते हैं। इन छात्रों को वह एक महीने तक स्कूल में आने के लिए कहते हैं।
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ये है तरीका
इस एक महीने में शनिवार और रविवार को मिलाकर वह एक महीने में उन्हें 15 घंटे रोजाना के हिसाब से 450 घंटे स्कूल में पढ़ने का मौका देते हैं। शुरुआत के 5 या 6 दिनों में ही करीब एक तिहाई बच्चे वहां से चले जाते हैं। आखिर में बचे 1000 सबसे अच्छे बच्चों को वह यहां ले आते हैं। इन बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है। सिर्फ यही नहीं यूनिवर्सिटी की ओर से इन बच्चों को रहने की जगह भी दी जाती है।

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Posted By: Ruchi D Sharma