रोड एक्सीडेंट्स के मामले में झारखंड की गिनती कंट्री के कुछ चुनिंदा स्टेट्स में होती है. हर साल यहां सैकड़ों लोग रोड एक्सीडेंट में मारे जाते हैं.


रोड एक्सीडेंट्स के मामले में झारखंड की गिनती कंट्री के कुछ चुनिंदा स्टेट्स मेंं होती है। हर साल यहां सैकड़ों लोग रोड एक्सीडेंट में मारे जाते हैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार स्टेट में होने वाले अननेचुरल डेथ में से 41.8 परसेंट रोड एक्सीडेंट वजह है। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमे से कई जानें समय पर ट्रीटमेंट नहीं मिलने की वजह से होती हैं। सिटी स्थित एमजीएम और दूसरे हॉस्पिटल्स में आए दिन रोड एक्सीडेंट के पेशेंट्स आते हैं। नेशनल हाईवे पर एक्सीडेंट के बाद लोगों को ऑन स्पॉट ट्रीटमेंट के लिए ट्रॉमा सेंटर बनाए जाने का प्रोविजन है, लेकिन रांची से टाटा के बीच एनएच 33 पर एक भी ट्रॉमा सेंटर नहीं है। ऐसे में कई लोगों की जान चली जाती है। नहीं है कोई व्यवस्था
एनएचएआई के रूल बुक के मुताबिक नेशनल हाईवेज पर हर 50 किमी के दायरे में एंबुलेंस, हर 100 किमी के दायरे में ट्रॉमा सेंटर होने चाहिए, लेकिन इस बिजी हाईवे पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। बहरागोड़ा में एक ट्रॉमा सेंटर की स्थापना की गई है, लेकिन उसे भी अभी तक स्टार्ट नही किया गया है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि सिटी में भी स्पेशलाइज्ड ट्रॉमा सेंटर नहीं है।बच सकती थी जान


डॉक्टर्स का कहना है कि एक्सीडेंट में होने वाली मौतों की एक वजह घटनास्थल पर पेशेंट्स के साथ गलत तरीके से ट्रीटमेंट होना भी है। एक्सीडेंट के बाद पेशेंट्स के साथ बहुत एहतियात बरतनी पड़ती है, लेकिन घटनास्थल पर किसी एक्सपर्ट के नहीं होने की वजह से लापरवाही हो जाती है जो मौत की वजह बन सकती है।

हाल में हुए रोड एक्सीडेंट्स11 मई- एनएच 33 पर चौका के पास बोलेरो और ट्रक की टक्कर मे तीन की मौत।11 मई- रांगामाटी के पास बस और ट्रक के टक्कर में एक की मौत 15 घायल 29 अप्रैल- डिमना लेक के पास मिनी ट्रक के पुल से नीचे गिर जाने की वजह से एक की मौत, 20 घायल।रोड एक्सीडेंट में कई बार पेशेंट की जान समय पर ट्रीटमेंट नहीं होने की वजह से हो जाती है। सर्वाइकल इंज्यूरी वाले किसी पेशेंट को उठाया भी जाए, तो वह पारालाइज्ड हो सकता है। पेशेंट को स्टेबल करने में ट्रॉमा सेंटर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।  प्रो डॉ अरुण, एमजीएमहमारे एरिया में अभी तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। बहरागोड़ा मे ट्रॉमा सेंटर बनाया गया है, लेकिन अभी तक इसकी शुरुआत नहीं हुई है। डॉ विभा शरण, सिविल सर्जन, ईस्ट सिंहभूम

Posted By: Inextlive