बसपा सरकार ने जो चीनी मिलें बेची थी उनके जांच के लिए योगी सरकार ने सीबीआर्इ जांच की बात कही। इससे घबरा कर निजी कंपनी ने सरकारी चीनी मिलें वापस करने के लिए सरकार को पत्र लिख दिया है।


राज्य सरकार ने चीनी मिलों की बिक्री की जांच सीबीआई को है सौंपीlucknow@inext.co.in
LUCKNOW : बसपा सरकार के कार्यकाल में 21 सरकारी चीनी मिलों की बिक्री की जांच जैसे ही योगी सरकार ने सीबीआई के सुपुर्द करने का फैसला लिया, चीनी मिल खरीदने वाली कंपनियों ने प्रकरण से अपना पिंड छुड़ाने की जुगत लगानी शुरू कर दी है। यही वजह है कि चीनी मिलें खरीदने वाली वेव इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड ने राज्य सरकार को चार मिलें वापस लौटाने का पत्र लिखा है। यह पत्र यूपी स्टेट शुगर कारपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और प्रमुख सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास को भेजा गया है। साथ ही इसकी प्रतिलिपि मुख्य सचिव राजीव कुमार को दी गयी है। वेव इंडस्ट्रीज के इस पत्र को लेकर अफसरों ने चुप्पी साध ली है क्योंकि राज्य सरकार मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश कर चुकी है। - एसके सिंह, प्रबंध निदेशक, यूपी स्टेट शुगर कारपोरेशन लिमिटेड


चार चीनी मिलें करेंगे वापस

उल्लेखनीय है कि 'दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट' के पास राज्य सरकार को विगत 12 अप्रैल को वेव इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर डीएस बिंद्रा द्वारा भेजे गये पत्र की कॉपी है। इसमें साफ लिखा है कि इस प्रकरण को लेकर उपजे विवादों को देखते हुए वेव इंडस्ट्री चार चीनी मिलों को वापस करना चाहती है। ये चीनी मिलें अमरोहा, बिजनौर, सहारनपुर और बुलंदशहर में स्थित हैं। उन्होंने चीनी मिलों को खरीदने और कर्मचारियों को वीआरएस में किए गये भुगतान का ब्योरा भी अपने पत्र में दिया है। कंपनी ने दावा किया है कि उन्होंने चारों चीनी मिल ओपन टेंडर के बाद सारे नियमों को पूरा करते हुए खरीदी थीं। कंपनी 1997 से शुगर इंडस्ट्री बिजनेस में है, इसलिए इन्हें खरीद कर आधुनिक रूप देकर प्रोडक्शन बढ़ाना और लोगों को रोजगार देना कंपनी का मकसद था।विवाद और प्रोडक्शन का दबाव वजह
कंपनी ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि 21 चीनी मिलों को बेचे जाने का मामला लगातार विवादों में घिरता जा रहा है। पिछले आठ साल से अलग-अलग न्यायालयों में वाद भी चल रहे हैं। वहीं दूसरी ओर एनजीटी द्वारा प्रदूषण और तकनीकी वजहों से बंद इन मिलों में राज्य सरकार तत्काल प्रोडक्शन शुरू करने के लिए पत्र भी लिख चुकी है। वहीं दूसरी ओर हाल ही में राज्य  सरकार द्वारा इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश किए जाने से कंपनियों की साख पर भी असर पड़ा है जिससे बिजनौर को छोड़कर किसी भी मिल के लिए बैंक लोन देने को तैयार नहीं है। वहीं राज्य सरकार ने भी पिछले सात साल से कंपनी को क्रशिंग का लाइसेंस तक नहीं दिया है। सीबीआई तक नहीं पहुंचा पत्रदूसरी ओर बसपा राज में 21 सरकारी चीनी मिलों की बिक्री की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश का पत्र अभी कार्मिक मंत्रालय में ही है। ध्यान रहे कि राज्य सरकार ने विगत 12 अप्रैल को इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी जिसके बाद गृह विभाग ने केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को इस बाबत दर्ज हुई एक एफआईआर के साथ तमाम दस्तावेज और सीबीआई जांच की संस्तुति का पत्र भेजा था। वहीं सीबीआई मुख्यालय के सूत्रों की मानें तो अभी तक कार्मिक विभाग ने यह पत्र सीबीआई को नहंी भेजा है। इस वजह से जांच शुरू करने को लेकर कोई निर्णय नही लिया जा सका है। हालांकि नई दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय और लखनऊ स्थित जोनल कार्यालय में इस प्रकरण को लेकर तमाम जानकारियां पहले से जुटाई जा चुकी हैं जो जांच शुरू होने की सूरत में बेहद उपयोगी साबित हो सकती है। 'चीनी मिलों की वापसी का प्रकरण नीतिगत मामला है जिसमें राज्य सरकार को अंतिम फैसला लेना है। मैं इस प्रकरण पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं।'
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Posted By: Satyendra Kumar Singh