आतंकियों डकैतों अपराधियों के खिलाफ काल बनकर उभरी है यूपी एसटीएफ। दुर्दात अपराधियों को ठिकाने लगाने को कई खतरनाक ऑपरेशन दिए अंजाम। छह साथियों की मौत का भी लिया बदला जारी है सफलताओं का सिलसिला।

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LUCKNOW: वर्ष 1998 में यूपी में भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को पूर्वाचल के दुर्दात अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ल ने जान से मारने की धमकी दी तो पहली बार लीक से हटकर पुलिस महकमे में किसी ऐसी यूनिट के गठन की जरूरत महसूस की जाने लगी जो पूरे प्रदेश में कहीं पर भी बेरोकटोक ऑपरेशन अंजाम दे सके। इसके साथ ही यूपी एसटीएफ की स्थापना हुई और चार महीने के भीतर ही गाजियाबाद में एसटीएफ ने उसके दो साथियों के साथ मार गिराया। यह एसटीएफ का दूसरा एनकाउंटर था जिसने उसे पूरे देश में सुर्खियों में ला दिया। इसके बाद शुरू हुआ एसटीएफ का सफर तमाम मुश्किल भरे दौर से भी गुजरा। कई बार भेष बदलकर आतंकियों, डकैतों और अपराधियों के ठिकाने तलाशे गये और उनका सफाया किया जाता रहा।

 

ठोकिया ने किया गहरा नुकसान

एसटीएफ के सबसे मुश्किल दौर जुलाई 2007 के दौरान रहा जब एक दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मियों को अपना निशाना बना चुका कुख्यात डकैत ददुआ उसके निशाने पर आ गया। ददुआ को मारने के लिए एसटीएफ के आलाधिकारियों को जंगल में कई दिनों तक दिन-रात कांबिंग करनी पड़ी। कई बार डकैतों को दांव भी देना पड़ा कि वह लोग तो केवल खानापूर्ति करने आए हैं। बारिश का मौसम होने से जंगल में सांपों की भरमार से तमाम जवानों को अपनी जान में खेलकर आगे बढ़ने की चुनौती का सामना करना पड़ा। ददुआ को एक ऑपरेशन में ठिकाने लगाने के बाद एसटीएफ ने उसके खास साथी ठोकिया को भी घेर लिया था। ददुआ ने अचानक हमला कर एसटीएफ के छह जवानों की जान ले ली जिसके बाद वह एसटीएफ की हिट लिस्ट में आ गया। खास बात यह है कि इसके बावजूद एसटीएफ उसके आसपास नहीं पहुंच सकी हालांकि एक गोपनीय ऑपरेशन के बाद उसे साथियों समेत मार गिराया गया।

 

हैंडपंप लगाने वाले बने जवान

इसी तरह पश्चिमी उप्र में पनाह लिए एक कुख्यात आतंकी को पकड़ने के लिए एसटीएफ के जवानों को कई महीनों तक हैंडपंप लगाने वाले मजदूर बनकर गांव में रहना पड़ गया। उस दौरान एडीजी कानून-व्यवस्था बृजलाल थे जो इस ऑपरेशन की अगुवाई कर रहे थे। मजदूर बने जवानों को पैसा भेजने के लिए बृजलाल सादे कपड़ों में बैंक जाते थे ताकि उन्हें कोई चिन्हित न कर सके। बाद में कई दिनों की मशक्कत और धैर्य के बाद एसटीएफ ने उस आतंकी के मकान को चिन्हित कर लिया और मौका देखकर उसको दबोच लिया। एसटीएफ ने उसकी पनाहगाह में जमीन में छिपाकर रखा गया बड़ी मात्रा में आरडीएक्स भी बरामद किया था जो किसी बड़ी आतंकी वारदात के उद्देश्य से एकत्र किया गया था।

 

सीबीआई भी चली उसी राह

बसपा सरकार में राजधानी में एनआरएचएम घोटाले में दो सीएमओ की हत्या ने यूपी पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिए थे। शुरुआती जांच ने भी इस मामले को दूसरा मोड़ दे दिया जिससे पुलिस की साख पर भी सवाल उठने लगे। दो सीएमओ की हत्या की जांच एसटीएफ को सौंपी गयी तो इसका खुलासा होने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। उस दौरान एसटीएफ की अगुवाई आईपीएस सुबेश कुमार सिंह कर रहे थे जिन्होंने पूर्वाचल के दो शूटरों के फोन सर्विलांस पर ले लिये। उनके द्वारा आपस में की जा रही बातचीत को क्रैक किया गया तो मामले का खुलासा होने लगा। बाद में जब सीबीआई ने इस मामले की जांच की तो एसटीएफ की थ्योरी पर ही उसे भी मुहर लगानी पड़ी।

 

रात भर बनवाई बुलेटप्रूफ गाड़ी

वर्ष 2009 में चित्रकूट के जमौली गांव में आतंक का पर्याय बन चुके डकैत घनश्याम केवट को पुलिस ने घेर लिया। एडीजी बृजलाल के नेतृत्व में पीएसी और एसटीएफ के 500 जवानों ने गांव को घेर लिया। इसके बावजूद घर के अंदर से फायरिंग कर रहा केवट किसी के काबू में नहीं आ रहा था और पुलिसकर्मियों के घायल होने का सिलसिला बदस्तूर जारी था। मौके पर पहुंचे एडीजी बृजलाल ने एसएसपी एसटीएफ अमिताभ यश से बुलेटप्रूफ गाड़ी का इंतजाम करने को कहा ताकि घर के नजदीक जाकर मोर्चा लिया जा सके। अमिताभ यश ने घटनास्थल से दो सौ किमी दूर रात भर फैक्ट्री में बैठकर गाड़ी को आनन-फानन में तैयार कराया और उसे लेकर चित्रकूट पहुंच गये। इसके बाद भागने की कोशिश कर रहा डकैत पुलिस की गोलियों का निशाना बन सका।

 

इन बड़े अपराधियों का बनी काल

- दिल्ली में मुन्ना बजरंगी को गिरफ्तार किया, उसके साथी यतींद्र गूजर को मार गिराया

- गाजियाबाद में माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला, अनुज प्रताप सिंह, सुधीर त्रिपाठी को मार गिराया

- कोलकाता में मुठभेड़ में इंटरनेशनल डॉन बबलू श्रीवास्तव के चार साथियों को किया ढेर

- आईएसआई एजेंट अजीजुद्दीन शेख को एके-47 रायफल के साथ दबोचा

- कानपुर में सेना के भगोड़े एवं आईएसआई एजेंट मो। जफर को गिरफ्तार किया

- जैश ए मोहम्मद के तीन आतंकियों सलीम, रशीद और सज्जाद को मार गिराया

- माफिया अशोक सिंह को उसके साथी मखन्चू के साथ लखनऊ में मार गिराया

- लश्कर के दो आतंकियों अल्ताफ और सलीम को गिरफ्तार किया

- लश्कर के एरिया कमांडर इमरान को फैजाबाद में मुठभेड़ में मार गिराया

- एक लाख के इनामी सत्तू पांडे को उसके साथी समेत मार गिराया

- डेढ़ लाख के इनामी डकैत निर्भय सिंह गूजर को मार गिराया

- डकैत ददुआ, बाबा, अंगद समेत छह डकैतों को मुठभेड़ में लगाया ठिकाने

- छह लाख के इनामी डकैत ठोकिया उर्फ अंबिका पटेल को चित्रकूट में मुठभेड़ में मार गिराया

- बीते एक वर्ष में मुकीम काला गैंग के अपराधी वसीम, पचास हजार के इनामी फुरकान, एक लाख के इनामी बग्गा सिंह, पचास हजार के इनामी मोहन पासी, 25 हजार का इनामी इंद्रपाल, लीलू उर्फ नीलू फौजी, 2.5 लाख के इनामी बलराज भाटी बने एसटीएफ की गोलियों का शिकार

Posted By: Inextlive