कैंट बस अड्डा के आसपास से संचालित हो रही हैं रोडवेज की नकली बसें

रोज देखने के बावजूद रोडवेज चौकी पुलिस और ट्रैफिक पुलिस ने साध रखा है मौन

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VARANASI:

इस समय भोले की नगरी काशी में धोखेबाजों का एक गैंग बड़े ही शातिराना अंदाज में प्रतिदिन सरकार को हजारों का चूना लगा रहा है. यहां बाहर से आने वाले यात्रियों को घेरकर ऐसी बसों में बैठा दिया जा रहा है जो ऊपरी रंगरोगन से एक नजर के झटके में रोडवेज की अनुबंधित बसें नजर आती हैं. जबकि हकीकत में उनका रोडवेज से कोई लेना देना नहीं. जब तक यात्रियों को इसका भान होता है तब तक देर हो चुकी होती है और वे न चाहते हुए भी इन प्राइवेट बसों से सफर करने को मजबूर होते हैं. जब इसकी भनक दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को लगी तो हमने इसकी रियलिटी चेक का निर्णय लिया. इसके लिए हमारे रिपोर्टर ने इन बसों में सफर कर हकीकत जानी. तो क्या रहा हमारी जांच का नतीजा? आइए, आपको भी बताते हैं.

सीन-वन

आज दिन शुक्रवार है और तारीख है 10 मई 2019. दिन में दोपहर के दो बजे हैं. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट का रिपोर्टर कैंट रोडवेज बस स्टैंड के सामने खड़ा है. स्टैंड के कार्नर पर बने रोडवेज के रेस्टोरेंट के ठीक सामने निर्माणाधीन फ्लाई ओवर के नीचे एक बस नंबर यूपी 65 एचटी 3099 खड़ी है जिसका कलर ठीक उसी तरह का है, जिस रंग की रोडवेज की अनुबंधित बसें होती हैं. बस के फ्रंट ग्लास पर 'उत्तर प्रदेश पं. सं.' लिखा है. बस के आसपास एक दो नहीं बल्कि तीन से चार आदमी इलाहाबाद और प्रयागराज जाने वाले यात्रियों का ध्यान खींचने के लिए तेज आवाज में चिल्ला रहे हैं और स्टेशन व अन्य रूटों से आने वाले यात्री धड़ाधड़ उसमें सवार भी हो रहे हैं. रिपोर्टर भी यात्रियों के साथ बस में सवार होता है. सीटें फुल होते ही बस निकल पड़ती है और कंडक्टर किराया वसूलना शुरू करता है. बात तब बिगड़ती है जब यात्री टिकट की मांग करते हैं. कंडक्टर बताता है कि ये रोडवेज की नहीं प्राइवेट बस है. इसके बाद यात्री भुनभुनाने लगते हैं, लेकिन कुछ कर नहीं सकते क्योंकि बस रोडवेज से काफी आगे निकल चुकी है और अब वे उससे उतर नहीं सकते. रिपोर्टर भी बस में लहरतारा तक जाता है और फिर अपनी यात्रा समाप्त कर वापस कैंट रोडवेज बस स्टैंड के लिए चल पड़ता है.

सीन-टू

दिन के लगभग तीन बजे हैं जब रिपोर्टर वापस रोडवेज बस स्टैंड पर उसी जगह पहुंचता है. इस बार भी पहले वाली ही जगह पर एक बस खड़ी है. ये बस बनारस-आजमगढ़ रूट के लिए है. इस बस पर कोई नंबर नहीं अंकित है, लेकिन आगे शीशे पर पहले वाली बस की तरह उत्तर प्रदेश पं. सं.' लिखा हुआ है. फ्रंट ग्लास पर काशी भी लिखा है, जिससे लगे कि यह काशी डिपो की बस हो. एक बार फिर तीन से चार लोग बस स्टैंड की ओर आ रहे लोगों को बरगला कर बस में बैठा रहे हैं और आजमगढ़ जाने वाले लोग तेजी से बस में सवार हो रहे हैं. रिपोर्टर भी लोगों के साथ बस में सवार होता है और इस बार का सफर पांडेयपुर में समाप्त होता है. इसमें भी वही होता है, रोडवेज से दो से तीन किलोमीटर दूर जाने के बाद कंडक्टर किराया वसूलना शुरू करता है और यात्री न चाहते हुए भी यात्रा जारी रखने का मजबूर होते हैं.

ये चुप्पी बहुत कुछ कहती है

ऐसा नहीं है कि रोडवेज पुलिस चौकी और ट्रैफिक पुलिस की नजर इन बसों पर नहीं पड़ती, लेकिन वे चुप्पी साधे हुए हैं. क्यों? इसका जवाब शायद सभी को पता हो, इसलिए बताने की जरूरत नहीं है. आप बस अंदाजा लगाते रहिए, क्योंकि इनकी चुप्पी अपने आप बहुत कुछ कह दे रही है.

विभागीय लोगों की भी मिलीभगत

रोडवेज के ठीक सामने से संचालित हो रही इन बसों की जानकारी विभागीय लोगों को नहीं हो रही हो, यह बात कहीं से भी पचने लायक नहीं है. लेकिन इनकी ओर से भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. जबकि रोडवेज के आरएम को भी इन बसों पर जुर्माना लगाने का उतना ही पावर है जितना कि आरटीओ, पुलिस व ट्रैफिक पुलिस के अफसरों को. लेकिन यहां से कार्रवाई के नाम पर सिर्फ इतना ही किया गया है कि रोडवेज के क्षेत्रीय प्रबंधक की ओर से लेटर लिखा गया है. हालांकि उनका दावा है कि कई बार जिला प्रशासन को लेटर भेजकर कार्रवाई की मांग की गई. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

ऐसे लगा रहे रोडवेज को चूना

सामने तो खैर किसी रूट की एक ही बस खड़ी हो रही है, लेकिन कैंट रोडवेज बस स्टैण्ड के पीछे वाली गली में रोडवेज की बाउंड्री के ठीक बगल से इलाहाबाद (प्रयागराज) रूट, शक्तिनगर व आजमगढ़ के लिए डग्गामार बसें संचालित की जा रही हैं. इनमें अधिकतर बसें रोडवेज के अनुबंधित बसों के रंग में रंगी हैं और उन पर 'उत्तर प्रदेश पं. सं.' लिखकर यात्रियों को बरगलाया जा रहा है. किसी-किसी बस की साइड बॉडी पर गेट के पास 'उत्तर प्रदेश प. नि.' भी छोटे अक्षरों में लिखा नजर आता है.

कर्मचारी भी खेल में शामिल

दिन में रोडवेज के सामने सिर्फ एक बस खड़ी होती है, लेकिन रात होते ही इनकी संख्या बढ़ जाती है. कई बार यात्रियों को रोडवेज के पूछताछ काउंटर से भी गलत सूचना दी जाती है, जिससे वे गफलत में पड़कर प्राइवेट बसों से सफर को मजबूर होते हैं. अक्सर देर रात में पूछताछ काउंटर पर पहुंचने वाले यात्रियों को बताया जाता है कि सुबह चार बजे से पहले कोई बस नहीं है. जबकि हकीकत ये है दूसरे जिलों से बनारस होकर जाने वाली बसें देर रात तक रोडवेज से होकर ही गुजरती हैं, लेकिन उनके बारे में यात्रियों को कोई जानकारी नहीं दी जाती है.

इन रूटों पर चल रहीं नकली बसें

बनारस-आजमगढ़ रूट,

बनारस-इलाहाबाद रूट,

बनारस-जौनपुर रूट और

बनारस-शक्तिनगर रूट

नोट: इन रूटों पर 50 से अधिक डुप्लीकेट बसें दौड़ रही हैं.

शहर के अंदर से लेकर नेशनल रूट इलाहाबाद व आजमगढ़ पर डग्गामार वाहन धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं. रोडवेज की तरह ही डग्गामार बसें भी दौड़ रही हैं. इनकी धर-पकड़ के लिए डीएम, एसएसपी, एसपी ट्रैफिक सहित आरटीओ तक को लेटर लिखा गया है.

केके शर्मा, आरएम

बनारस डिविजन, रोडवेज

एक नजर

50

से अधिक रोडवेज की नकली बसें चलाई जा रही हैं

540

बसें हैं रोडवेज बनारस मंडल के बेड़े में

130

बसें हैं सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज की

Posted By: Vivek Srivastava