अमरीकी सेना अपने वर्दी के नियमों में ढील देने जा रही है.


अधिकारियों का कहना है कि इस ढील के बाद सैनिक धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप पगड़ी, टोपी पहन सकेंगे, दाढ़ी रख सकेंगे और टैटू का इस्तेमाल कर सकेंगे.उनका कहना था कि मुस्लिम, सिख, यहूदी और विका धर्मावलंबी सिपाही, मैरीन्स, नौसैनिक और वायु सैनिक अब सेना के कड़े नियमों में छूट की अपील कर सकते हैं.इस तरह के आवेदनों पर हर मामले का अलग-अलग मूल्यांकन किया जाएगा. लेकिन अगर ये पाया जाता है कि दरख्वास्त में किसी सूचना को छुपाने की कोशिश की गई है तो उसे निरस्त किया जा सकता है.इससे पहले तीन अमरीकी सिख सिपाहियों को विशेष छूट हासिल हुई थी.एक क़दम आगेबीबीसी से बातचीत में लेफ्टिनेंट कमांडर नेट क्रिस्टेन्सन ने बताया, ''सेना के सदस्यों के आवेदन का मूल्यांकन करते समय इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि ये यूनिट की एकता, नियम-कानून, अनुशासन और मिशन में बाधा न पैदा हो.''


उदाहरण के लिए एक खास तरह का पहनावा या दाढ़ी की मांग को खारिज किया जा सकता है यदि इससे हथियार चलाने या सैन्य उपकरणों जैसे हैलमेट और सुरक्षा मास्क आदि के संचालन में असुविधा होती हो.

बीबीसी को इस मामले के जो नीतिगत दिशा निर्देशों की कॉपी हासिल हुई है उसके मुताबिक़ सैनिक को ये सुविधा उसकी तत्कालीन नियुक्ति के दौरान ही मिलेगी. स्थानांतरण की स्थिति में उसे इस छूट के लिए नए सिरे से इजाजत लेनी होगी.बुधवार से यह नई नीति सेना की सभी शाखाओं में उन सभी धर्मों के संबंध में लागू होगी जो अमरीकी सेना द्वारा मान्यता प्राप्त हैं. एनबीसी न्यूज़ के मुताबिक अमरीकी सेना में करीब 3,700 मुस्लिम और 1,500 विका धर्मावलंबी हैं.हालांकि यह अभी अस्पष्ट है कि इनमें से कितने इस संबंध में आवेदन करेंगे. धार्मिक आजादी की पैरोकार संस्था सिख कोलिशन के संस्थापक अमरदीप सिंह पेंटागन द्वारा नियमों में ढील दिए जाने को आगे बढ़ा हुआ क़दम मानते हैं.हालांकि उनका कहना है कि इस नीति में अमरीकी सिखों के लिए कुछ स्पष्ट नहीं कहा गया है. वो पूछते हैं, ''इस छूट का क्या मतलब है जब इसमें इतनी कम स्पष्टता है.''''हालांकि यह अच्छी शुरुआत है कि सेना धार्मिक आजादी की सुरक्षा के लिए आगे आई है. लेकिन यह स्पष्ट है कि इस ओर अभी लंबी दूरी तय करना है.''

Posted By: Subhesh Sharma