अमरीका ने स्पष्ट कर दिया है कि वह 2014 के अंत तक अफ़ग़ानिस्तान से सभी सैनिकों को वापस बुला लेगा.


अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करज़ई से कहा है कि द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर दस्तख़त न होने की स्थिति में अमरीका इस साल के अंत तक अफ़ग़ानिस्तान से अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लेगा.ओबामा ने करज़ई को यह संदेश एक फ़ोन वार्ता के दौरान दिया. अमरीका का कहना है कि द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते से पहले वह इस बात की गारंटी नहीं दे सकता कि अफ़ग़ानिस्तान से अमरीकी बलों की वापसी के बाद भी कुछ सैनिक सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने और अफ़ग़ान बलों को प्रशिक्षण देने के लिए अफ़ग़ानिस्तान में रहेंगे या नहीं.व्हाइट हाऊस की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति ओबामा ने राष्ट्रपति करज़ई से कहा है कि चूंकि करज़ई ने दर्शाया है कि वे समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे इसलिए अमरीका सैनिकों को वापस बुलाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.दो संभावनाएं


व्हाइट हाऊस के प्रवक्ता जे कार्नी ने कहा, "2014 के बाद सैनिकों की मौजूदगी के हालात को लेकर दो चीज़े हो रही हैं. राष्ट्रपति ने पेंटागन से 2014 के बाद अफ़ग़ानिस्तान में सैनिक न रहने की स्थिति में आक्समिक योजना तैयार रखने के लिए कह दिया है लेकिन हम सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद सैनिकों के मौजूद रहने की संभावना के लिए भी तैयार हैं."याद रहे कि हामिद करज़ई अमरीका के साथ नेटो सैनिकों के भी अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने के बाद के हालात को लेकर द्विपक्षीय समझौता करने से इंकार कर चुके हैं.अमरीका ने 2001 में तालिबान को अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता से हटाया था. तब से ही अमरीकी सैनिक अफ़ग़ानिस्तान में हैं.न्यूयॉर्क में 11 सितंबर 2001 को हुए चरमपंथी हमले के बाद अमरीकी सेना अफ़ग़ानिस्तान में दाख़िल हईं थी. अफ़ग़ान और पश्चिमी सेनाओं की मदद से अमरीका ने बहुत कम समय में ही तालिबान को सत्ता से हटा दिया था लेकिन तब से ही अमरीकी सैनिकों पर लगातार चरमपंथी हमले होते रहे हैं.ख़राब होते रिश्तेहामिद करज़ई अमरीका के क़रीबी सहयोगी रहे हैं.संवाददाताओं के मुताबिक़ द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते को लेकर गतिरोध अमरीका और हामिद करज़ई के बीच ख़राब हो रहे रिश्तों की दिशा में एक और क़दम है. एक समय करज़ई अमरीका के सहयोगी के रूप में जाने जाते थे.

सुरक्षा समझौते के तहत अफ़ग़ान बलों को प्रशिक्षण देने और चरमपंथी हमलों को रोकने के लिए अफ़ग़ानिस्तान में रह जाने वाले अमरीकी सैनिकों को क़ानूनी सुरक्षा मिलेगी. कई महीनों की बातचीत के बाद पिछले साल दोनों देश इस समझौते पर राज़ी हो गए थे. नवंबर में अफ़ग़ानिस्तान के क़बिलाई बुज़ुर्गों की बैठक में भी इस समझौते को मंज़ूरी दे दी गई थी.लेकिन करज़ई ने तालिबान के साथ शांतिवार्ता शुरू होने से पहले इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था. करज़ई का कहना है कि हस्ताक्षर करने के बाद अमरीकी बमों से होने वाली अफ़ग़ान नागरिकों की मौत के लिए वे ज़िम्मेदार हो जाएंगे.

Posted By: Subhesh Sharma