Gorakhpur : पिछले साल होली खेलते समय रेती की रहने वाली 24 साल की शालिनी तिवारी को बदला नाम के यह अहसास भी न था कि होली के मिलावटी रंग उसकी लाइफ और सूरत दोनों को बदरंग कर देगा. उस होली के दौरान किसी ने शालिनी को ऐसा रंग लगाया जिसके केमिकल रिएक्शन से उसके फेस पर निशान हो गए. शुरू में तो स्किन पर सिर्फ छोटे-छोटे दाने दिखे बाद में उसके गाल और माथे पर काले स्पॉट पड़ गए. इसी बीच शालिनी को देखने लड़के वाले आए लेकिन स्पॉट्स की वजह से बात फाइनल न हो पाई. बाद में शालिनी ने डर्मेटोलॉजिस्ट से कन्सल्ट किया. लगभग 5 मंथ्स के ट्रीटमेंट के बाद उसके धब्बे तो हटे लेकिन तक काफी कुछ खराब हो चुका था.


कॉमन है skin irritationहर साल होली के केमिकल युक्त रंगों की वजह से बहुत से लोगों को स्किन रिलेटेड प्रॉब्लम्स फेस करनी पड़ती हैं। इनमें स्किन में इरिटेशन (जलन) होना कॉमन है। इसके बाद प्रॉब्लम फेस कर रहे लोगों को डर्मेटोलॉजिस्ट की शरण लेकर हजारों रुपए तक ट्रीटमेंट पर खर्च करने पड़ते हैं। इन सबका एक ही रीजन है, सस्ते और केमिकल युक्त कलर्स का यूज। सस्ता नहीं सबसे महंगाभले ही केमिकल युक्त कलर्स खरीदते समय लोग कुछ?पैसे बचा लेते हैं, लेकिन बाद में इन्हीं रंगों से होने वाली स्किन प्रॉब्लम्स पर हजारों खर्च करने पड़ते हैं। रंग तो दूसरों पर लगाना है तो महंगा क्यों खरीदें, यही सोच कर लोग सस्ते और घटिया रंग खरीदते है।


लेकिन जो रंग आप दूसरों को लगाएंगे, उससे आपके हाथों पर एलर्जी हो सकती है। इसके अलावा जिन लोगों को आप रंग लगाते हैं, वह भी आपके अपने हैं इसका ध्यान रखें।Only 1 percent share in market

रंगों के होलसेलर्स की मानें तो होली में जितने भी रंग बिकते है उसमें हर्बल कलर्स का शेयर केवल एक परसेंट ही रहता है। इसका सबसे बड़ा कारण है इसका महंगा होना। केमिकल युक्त कलर होलसेल में लगभग 22 से 50 रुपए किलो आते हैं और रिटेल में 100 रुपए किलो तक बिकते हैं। जबकि हर्बल गुलाल का रेट होलसेल में लगभग 105 रुपए किलो और रिटेल में 200 से 250 रुपए किलो आता है। प्राइज में डबल का डिफरेंस होने की वजह से पब्लिक इसे प्रिफर करती है। हर्बल गुलाल और होम मेड कलर्स हैं सेफहोली में केमिकल युक्त कलर्स की जगह हर्बल गुलाल, होम मेड कलर्स का यूज किया जा सकता है। हर्बल गुलाल की सिटी में हाथरस से सप्लाई होती है। इसमें केमिकल्स न होने की वजह से  स्किन सेफ रहती है। इसके अलावा होममेड कलर्स भी टोटली सेफ हैं। इसके अलावा हर्बल कलर्स सामान्य कलर की तुलना में चमक नहींहोती है। यही इसकी पहचान है। वीएलसीसी की सेंटर हेड नादिया रहमान का कहना है कि लोगों को चाहिए कि वह फ्लावर्स और लीव्स के खुद कलर्स बनाएं। जैसे अगर आपको रेड कलर बनाना है तो रेड कलर के रोज को पहले ड्राई कर लें। इसके बाद उसे क्रश करके पाउडर बना लें। चाहे इसे सूखा यूज करें या पानी में मिलाकर। इसी तरह ग्रीन कलर के लिए लीव्स को ड्राई किया जा सकता है। अगर कोई नीम की लीव्स यूज करता है तो वह बहुत अच्छा हैं। स्मेल के लिए फ्रेगरेंस का यूज किया जा सकता है।

यहां से खरीदें हर्बल कलर्स:गोलघर, बेतियाहाता, अलीनगर चौकी के पास, साहबगंजवैसे तो कलर्स अवॉइड ही करती हूं, लेकिन अगर यूज करना भी पड़े तो हर्बल कलर ही लाती हूं। थोड़ा महंगा है, बट सेफ है।शिल्पी सिंह, स्टूडेंटइस साल डेफिनेट्ली हर्बल कलर्स यूज करूंगी। बाद में ट्रीटमेंट पर हजारों रुपए खर्च करने से अच्छा है थोड़ा महंगा कलर लिया जाए।श्वेता, जॉबऐसे कलर्स को तो बैन कर दिया जाना चाहिए तो स्किन को नुकसान पहुंचाते हैं। पब्लिक को भी चाहिए कि वह ध्यान दे कि कलर्स कितने हार्मफुल हो सकते हैं।साधना, स्टूडेंटसिर्फ सिटी में हर साल होली के बाद लगभग 300 से 400 ऐसे पेशेंट्स आते हैं जिनको कलर्स की वजह से इरिटेंट डर्मेटाइटिस होता है। 20-25 पेशेंट तो मेरे पास ही आते हैं। इसमें स्किन पर ईचिंग होती है। अगर किसी को ज्यादा रिएक्शन हो जाए तो लेजर ट्रीटमेंट देने तक की नौबत आ सकती है, जो काफी महंगा हो सकता है।डॉ। डीके सिंह, डर्मेटोलॉजिस्ट
होली के बाद बहुत सी लोग ट्रीटमेंट के लिए आते हैं। इनमें कोई स्किन से कलर हटवाने आता है तो कोई हेयर स्पा के लिए। जिनके पोर्स बिग होते हैं उनमें रंग निकालना बहुत मुश्किल होता है। हर्बल गुलाल या होम मेड कलर्स से अच्छा कुछ भी नहीं है।नादिया रहमान, सेंटर हेड, वीएलसीसीरंग खेलने से पहले बॉडी पर ऑयल, वैसलीन, बॉडी लोशन का यूज करना चाहिए। कलर्स में लेड के साथ ही कई केमिकल्स होती हैं। यह स्किन को काट तक देते हैं। अगर प्रॉपर ट्रीटमेंट न हो तो स्किन पर घाव भी हो सकते हैं। हर्बल गुलाल का यूज ही सबसे अच्छा ऑप्शन है।डॉ। विशाल अग्रवाल, डर्मेटोलॉजिस्ट

report by : shailesh.arora@inext.co.in

Posted By: Inextlive