यूपी पावर कॉरपोरेशन के आठ पदों के लिये बीते फरवरी माह में आयोजित की गई ऑनलाइन परीक्षा में जालसाजों ने सेंध लगा दी। जालसाजों ने जिसे चाहा उसे पास करा दिया। शिकायत मिलने पर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर एसटीएफ ने जांच की तो पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। पता चला कि जूनियर इंजीनियर भर्ती परीक्षा पास कराने के लिये जालसाजों ने हर अभ्यर्थी से 14-14 लाख रुपये वसूले।

* पावर कॉरपोरेशन में आठ पदों की भर्ती के लिये हुई ऑनलाइन परीक्षा में फर्जीवाड़े का खुलासा
* मुख्यमंत्री के निर्देश पर एसटीएफ ने की थी जांच, दो स्कूल प्रबंधक, चार परीक्षार्थी समेत 12 आरोपी अरेस्ट
* कुछ अभ्यर्थियों को ऑनलाइन प्रश्नपत्र सॉल्व कराकर तो कुछ को पेपर लीक कर पहुंचाई गई मदद

26000 अभ्यर्थियों का डाटा खंगाला

एसएसपी एसटीएफ अभिषेक सिंह के मुताबिक, शिकायतकर्ताओं से बातचीत के बाद परीक्षा आयोजित कराने वाली एजेंसी एपटेक से परीक्षा और इसमें शामिल हुए सभी अभ्यर्थियों का पूरा विवरण प्राप्त किया गया। शुरुआती विश्लेषण के लिये एसटीएफ टीम ने सभी 26000 अभ्यर्थियों के डाटा का स्टेटीस्टिकल विश्लेषण किया गया। इस डाटा का 'बेल कर्व एनालिसिसÓ और 'रिग्रेसन एनालिसिस' करके इनमें से संदिग्ध अभ्यर्थियों को चिन्हित किया गया।

दो तरह से की गई गड़बड़ी

एसएसपी सिंह ने बताया कि संदिग्ध चिन्हित करने के साथ ही जब इंटेलिजेंस जुटाया गया तो पता चला कि यूपी पावर कॉरपोरेशन द्वारा जूनियर इंजीनियर परीक्षा-2018 के साथ-साथ सहायक समीक्षा अधिकारी, कार्यालय सहायक, अपर निजी सचिव आदि कुल आठ पदों पर भर्ती के लिये एपटेक ने परीक्षा आयोजित कराई थी। इन परीक्षाओं में भारी रकम ऐंठ कर दो तरह से परीक्षा में गड़बड़ी की गई। पहला तो जालसाजों ने परीक्षा का पेपर लीक करके तो दूसरा ऑनलाइन हैकिंग के जरिए परीक्षा के प्रश्न पत्र को सॉल्व कराया।
सॉफ्टवेयर और पासवर्ड दे कराई हैकिंग
जांच में पता चला कि ऑनलाइन पेपर सॉल्व कराने के लिये जिन स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाया गया उनके मालिक व प्रबंधक ने लैब स्थापित करने वाले टेक्निीशियन के जरिए दूसरे कंप्यूटर सिस्टम में 'एमी एडमिन' सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कराया गया। इतना ही नहीं सॉल्वर गैंग को उसका आईडी व पासवर्ड भी मुहैया करा दिया गया। जिसके बाद सॉल्वर गैंग ने अभ्यर्थियों की परीक्षा बाहर बैठे प्रोफेशनल सॉल्वर्स से दिलाकर उन्हें परीक्षा में मदद पहुंचाई गई। कुछ अभ्यर्थियों को पेपर व आंसर की देकर भी मदद पहुंचाई गई। बताया गया कि जूनियर इंजीनियर पद के लिये जालसाजों ने 14-14 लाख रुपये वसूले।
संदिग्धों से पूछताछ से गिरफ्त में आए जालसाज
शॉर्टलिस्ट किये गए अभ्यर्थियों को एसटीएफ टीम ने हिरासत में लेकर पूछताछ की तो जालसाजों का खुलासा हो गया। अभ्यर्थियों ने कुबूल किया कि उन्होंने यह परीक्षा पेपर लीक के जरिए और 'एमी एडमिन' सॉफ्टवेयर के जरिए बाहर बैठे प्रोफेशनल सॉल्वर की मदद से पास की है। संदिग्ध अभ्यर्थियों ने बताया कि मानकनगर के कनौसी स्थित जेके पब्लिक स्कूल और राजाजीपुरम स्थित महाबीर प्रसाद डिग्री कॉलेज से इस पूरे फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया है। इस खुलासे के बाद एसटीएफ टीम ने जेके पब्लिक स्कूल में छापेमारी कर प्रबंधक ज्ञानेंद्र सिंह यादव, उसके गुर्गे संजय राजभर व दीपमणि यादव व महाबीर प्रसाद डिग्री कॉलेज के प्रबंधक डॉ। अमित सिंह को दबोच लिया। पुलिस ने उनकी निशानदेही पर कॉलेज की लैब से संदिग्ध कंप्यूटर, सीपीयू, लैपटॉप बरामद किये।

होटल बुलाकर दिया पेपर व आंसर की

कुछ अभ्यर्थियों ने बताया कि उन्हें बीती 11 फरवरी को परीक्षा वाले दिन सुबह आठ बजे बासमंडी चौराहा स्थित होटल उमंग बुलाया गया। जहां परविंदर सिंह व उसके साथियों ने उन्हें दूसरी पाली का पेपर व आंसर की मुहैया करा दी। पेपर में दिये गए सवालों और उनके जवाबों को उन लोगों ने कंठस्थ कर लिया। परीक्षा में परविंदर द्वारा दिया गया पेपर ही आया, जिसे उन लोगों ने चुटकियों में हल कर दिया।
 
एपटेक का दावा कि परीक्षा प्लान फुलप्रूफ

एपटेक का दावा कि उनका परीक्षा प्लान फुलप्रूफ है, गलत पाया गया है। पूरे मामले में यूपी पावर कॉरपोरेशन की परीक्षा संचालन समिति व एपटेक की भूमिका संदेहास्पद है। जिसकी विवेचना की जा रही है।
अभिषेक सिंह एसएसपी, एसटीएफ

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Posted By: Shweta Mishra