माॅब लिंचिंग को लेकर यूपी सख्त, ऐसे अपराधियों को जिंदगी भर के लिए जेल भेजने की तैयारी
लखनऊ (आईएएनएस)। आयोग के चेयरमैन (सेवानिवृत्त) एएन मित्तल ने मॉब लिंचिंग की रिपोर्ट के साथ मसौदा विधेयक यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष पेश किया है। इस 128 पन्नों की रिपोर्ट में यूपी में लिंचिंग के अलग-अलग मामलों का जिक्र किया गया है। इसमें 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर कानून को तत्काल लागू करने की सिफारिश की गई है। आयोग ने रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया है कि वर्तमान में जो कानून हैं वो लिंचिंग से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।इसके लिए एक अलग कानून होना चाहिए। आजीवन कारावास तक की सजा का सुझाव
इस दाैरान लिचिंग जैसे मामलों में अपराधी को 7 साल की जेल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का सुझाव भी दिया है। आयोग ने यह भी कहा है कि इस कानून को उत्तर प्रदेश मॉब लिंचिंग निरोध एक्ट नाम दिया जा सकता है। इसके तहत पुलिस अधिकारियों और और जिला अधिकारियों की जिम्मेदारियों को निर्धारित किया जा सकता है।इनके ड्यूटी करने में असमर्थ होने पर दंड का प्रावधान भी दिया जा सकता है। कानून में पीड़ित व्यक्ति के परिवार को चोट या जान-माल की हानि के नुकसान के लिए मुआवजे का भी प्रावधान होना चाहिए ।
अध्ययन के बाद कानून की सिफारिश हुई
पीड़ितों और उनके परिवारों के पुनर्वास के लिए भी मुअवाजे का प्रवधान होना चाहिए। साल 2012 से 2019 से आंकड़ों पर नजर डालें तो यूपी में मॉब लिंचिंग के 50 मामले हुए हैं। इसमें 11 की मौत हो गई। 25 बड़े मामलों में गोरक्षकों द्वारा हमले भी शामिल थे।कानून आयोग की सचिव सपना चौधरी का कहना है कि आयोग ने गहराई से अध्ययन करने के बाद इस जरूरी कानून की सिफारिश की। इस रिपोर्ट में गोमांस की खपत के संदेह में मोहम्मद अखलाक की 2015 की हत्या सहित राज्य में लिंचिंग और भीड़ हिंसा के विभिन्न मामले शामिल किए गए हैं।अलवर लिन्चिंग : अकबर की मौत मामले में पुलिस पर उठे सवाल, दिए गए न्यायिक जांच के आदेशइन घटनाओं में पुलिस भी शिकार बन रही
इसमें दिसंबर में इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या का भी मामला है। माॅब लिचिंग की घटनाएं फरुखाबाद, उन्नाव, कानपुर, हापुड़ और मुजफ्फरनगर जिलों में हुई हैं। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है इन घटनाओं में पुलिस भी शिकार बन रही है क्योंकि लोग उन्हें अपना दुश्मन समझने लगे हैं। पैनल ने मसौदा विधेयक तैयार करते समय विभिन्न देशों और राज्यों के कानूनों और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का अध्ययन किया। ऐसे मामलों में साजिश, सहायता या अपमान, कानूनी प्रक्रिया में बाधा डालने के लिए सजा का सुझाव दिया गया है।