- विलुप्त प्रजाति होने की वजह से पूरे देश में की जा रही सेंसस

- बिजनौर, बुलंदशहर, मेरठ आदि कई जिलों में की जाएगी गणना

- 5 से 8 तक फॉरेस्ट डिपार्टमेंट शुरू कर देगा गणना

Meerut : गंगा नदी में डॉल्फिन मछली को बचाने के लिए स्टेट फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने डॉल्फिन के सेंसस करने का फैसला लिया है। जिसकी शुरूआत यूपी में बिजनौर जिले से की जाएगी। ये सेंसस गंगा नदी ही नहीं बल्कि गंगा की सहायक नदियों में भी होगा। जनगणना 5 अक्टूबर यानी आज से शुरू होगी और 8 अक्टूबर तक जारी रहेगी। अधिकारियों की मानें तो डॉल्फिन तेजी से विलुप्त होने वाली प्रजाति है। जिसे बचाना काफी जरूरी है। इसके के सेंट्रल गवर्नमेंट ने फंड रिलीज कर दिया है।

हैबिटेट इंप्रूवमेंट में मिलेगी मदद

अधिकारियों की मानें तो इस सेंसस का मुख्य मकसद ये है कि एक तो डॉल्फिन के डाटाबेस पूरी तरह से तैयार हो जाएगा। दूसरा ये है कि गंगा और उसकी सहायक नदियों में रह रही डॉल्फिन को रहने लायक वातावरण करने में मदद मिलेगी। वहीं तीसरा कारण ये है कि इस सर्वे से नदियों में रहे दूसरे जंतुओं के बारे में जानकारी मिलेगी। अधिकारियों के अनुसार गंगा में कई ऐसे जंतु जिनके बारे में सभी को जानकारी नहीं है।

पता चल सके कितनी हैं डॉल्फिन

फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के सब डिविजनल ऑफिसर संजीव कुमार की मानें तो वेस्ट बंगाल और बिहार में जितनी भी गंगा बह रही है वहां पर डॉल्फिन का सेंसस हो चल रहा है। अब यूपी में गंगा में डॉल्फिन की गिनती की मुख्य वजह है कि एक डॉल्फिन की एक फिगर पता चल सके। वहीं डॉल्फिन बचाओ एक्शन प्लान को आसानी से इंप्लीमेंट किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि वेस्ट यूपी में बिजनौर से बुलंदशहर के बीच 100 किलोमीटर की गंगा पर गणना की जाएगी। जिसे चार दिन में पूरा किया जाएगा। स्टेट में 8 डिविजन इस काम में लगी हुई है।

गंगा में 2 हजार डॉल्फिन

संजीव कुमार के अनुसार इस प्रोजेक्ट की शुरूआत मानसून खत्म होने के बाद की गई है। क्योंकि इस दौरान वॉटर लेवल थोड़ा नीचे रहता है। जिससे गिनती करने में थोड़ी आसानी भी रहेगी। वहीं नॉर्मली पानी में डॉल्फिन 4 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ्तार से तैरती है। गिनती के लिए जो जो बोट इस्तेमाल की जाएगी उनकी रफ्तार 7 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार होगी। जानकारों की मानें तो गंगा में लगातार पॉल्यूशन बढ़ने के कारण डॉल्फिन के जीवन में काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। अगर अनुमानित आंकड़े की बात करें तो पूरी गंगा में 2000 के करीब डॉल्फिन हैं।

2750 किलोमीटर पर होगी गिनती

प्रिंसीपल चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट (वाइल्ड लाइफ) रूपक डे की मानें तो ये जनगणना पूरी गंगा में कराई जाएग। सेंसस के बारे में बताते हुए रूपक ने कहा कि हमने 2750 किलोमीटर के स्ट्रेच पर गणना करने का फैसला लिया है। जिसमें गंगा और सहायक नदियां जिसमें यमुना, सोन, बेतवा, घाघरा और गेरुवा आदि नदिया भी शामिल हैं। इस 2750 किलोमीटर में गंगा का स्ट्रेच 1000 किलोमीटर, 500 किलोमीटर यमुना, 250 किलोमीटर चंबल, 25 किलोमीटर गेरुवा, 505 किलोमीटर घाघरा और 600 किलोमीटर केन, बेतवा और सोन नदी शामिल हैं।

Posted By: Inextlive