एक साथ बैठकर जमीन पर करते हैं अध्ययन-अध्यापन, साथ-साथ भोजन ग्रहण करते हैं गुरु शिष्य

गुरु का चरण छुए बिना नहीं शुरू होती है क्लास, नि:शुल्क है शिक्षा

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ALLAHABAD: बिजनेस इनवाल्व हो जाने के चलते कांवेंट और पब्लिक स्कूलों से गुरु शिष्य परंपरा कोसों दूर हो चुकी है। लेकिन, गुरुकुल पद्धति से संचालित वैदिक शिक्षा आज के दौर में भी परंपरा को आगे बढ़ा रहा है। महर्षि भारद्वाज वेद वेदांग शिक्षण केन्द्र हो या फिर श्री महंत विचारानंद संस्कृत महाविद्यालय, इस परंपरा को सहेजने का काम बखूबी कर रहे हैं।

दिलचस्पी भी कमजोर नहीं

बाघम्बरी मठ स्थित श्री महंत विचारानंद संस्कृत महाविद्यालय में सात आचार्यो की अगुवाई में 250 छात्र संस्कृत, हिन्दी व अंग्रेजी के अलावा कर्मकांड, ज्योतिष व वेद की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

महर्षि भारद्वाज वेद वेदांग शिक्षण केन्द्र की एक शाखा विश्व हिन्दू परिषद के कार्यालय और दूसरी स्वर्गीय अशोक सिंहल के आवास पर चल रही है। इन दोनों में कुल नौ आचार्य के निर्देशन में कुल 65 छात्र वेद वेदांग की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

ब्रह्मा मुहूर्त से देर रात तक देखभाल

गुरु शिष्य की अक्षुण्ण परंपरा को जीवंत बनाए रखने की शुरुआत स्कूलों में ब्रह्मा मुहूर्त से होती है

भोर में चार बजे आचार्यगण छात्रों के कमरे में जाकर उन्हें उठाते हैं

उठने के बाद सबसे पहले छात्र आचार्यो का चरण स्पर्श करते हैं।

सुबह नौ से दोपहर 12 बजे तक वेद वेदांग व कर्मकांड की शिक्षा दी जाती है

गुरु व शिष्य दोनों जमीन पर बैठक अध्ययन-अध्यापन करते हैं

एक-दूसरे का सुख दु:ख बांटने के लिए दोपहर और रात का भोजन एक साथ किया जाता है

रात में दस बजे सोने से पहले शिष्य एक-एक कर आचार्यो का चरण छूते हैं।

गुरुकुल पद्धति ही गुरु शिष्य परंपरा को अक्षुण्ण बनाए हुए हैं। एक-एक छात्र की दिनचर्या से लेकर रात्रि विश्राम तक की गतिविधियों को देखा जाता है। उसके बदले शिष्य भी गुरुजनों को उसी तरह सम्मान देते हैं।

नरेन्द्र गिरि, श्रीमहंत बाघम्बरी मठ

यहां कैसे मिले गुरुजी को तवज्जो

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17 अप्रैल 2015 सरकार की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर की जयंती पर छुट्टी की घोषणा की गई थी। उसके बाद भी जार्जटाउन स्थित गोल्डेन जुबली स्कूल के प्रबंधन की ओर से स्कूल खोला गया था। उसी दिन गौरव राज मिश्रा नाम के छात्र को स्कूल पहुंचने में थोड़ी देर हो गई तो स्कूल प्रशासन की ओर से उसे धूप में खड़ा कर दिया था। वह बेहोश होकर गिर गया। उसके बाद स्कूल प्रशासन उसे स्कूल में ही रखे रहा। काफी देर तक होश न आने पर उसे हॉस्पिटल लेकर गए। जहां डाक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया।

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क्लास में बातें करना पड़ा भारी

26 फरवरी 2016 को यूइंग क्रिश्चियन सीनियर सेकेन्ड्री स्कूल में एक स्टूडेंट को टीचर ने स्टॉफ रूम में बंद करके पीटा। जिसके बाद हंगामा हो गया। परिजनों की तहरीर पर पुलिस ने पीडि़त पक्ष पर दबाव बनाया और मामला रफा दफा कर दिया। घटना मुट्ठीगंज में रहने वाले रंजीत कुमार के बेटे चिराग केसरवानी के साथ हुई थी। कारण क्लास में बात करना बताया।

3.

फीस पेमेंट में लेट पड़ गया महंगा

झूंसी के मुंशी का पूरा गांव में रहने वाले वैभव सिंह का बेटा गौरव व बेटी इच्छा सिंह आवास विकास कालोनी में स्थित एसजेएस पब्लिक स्कूल में पढ़ते थे। 26 फरवरी 2017 स्कूल के प्रबंधक ने गौरव को अपने रूम में बुलाया। फीस जमा नहीं होने पर पिटाई की। इसी बीच प्रिंसिपल भी वहां पहुंच गई और उन्होंने भी स्टूडेंट की जमकर पिटाई की। इस पर भी जब उनका मन नहीं भरा तो शिक्षक ने लोहे की कुर्सी से उसके हाथ पर प्रहार किया।

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बैग रखने में देरी पर फोड़ दी आंख

यह मामला मई में सेंट जोसेफ स्कूल के छात्र के साथ सामने आया था। बैग रखने में देरी पर स्कूल के वाइस प्रिंसिपल ने बच्चे को छड़ी से ऐसा मारा कि उनकी एक आंख को भारी नुकसान पहुंचा है।

Posted By: Inextlive