नहीं सुधर रही बनारस की पब्लिक
हाफ सेंचुरी पार करने जा रही ट्रैफिक रूल्स तोड़ने वालों की संख्या
अप्रैल माह में 14 दिन में 15 हजार से अधिक हुआ ई-चालान vinod.sharma@inext.co.in VARANASI लाख कोशिश के बाद भी बनारसी सुधर नहीं रहे हैं. टै्रफिक नियम तोड़ने का रिकार्ड बनाने की ठान लिया है. टै्रफिक रूल्स तोड़ने वालों का हर रोज चालान हो रहा है लेकिन इनकी संख्या घटने की बजाय बढ़ती जा रही है. इस साल के शुरुआती तीन महीनों में 32 हजार से अधिक लोगों का चालान हुआ वहीं अप्रैल महीने के 14 दिन में ही यह आकड़ा 15 हजार के पार हो गया है. 60 हजार होंगे पारस्मार्ट सिटी में शामिल बनारस में टै्रफिक सिस्टम सुधारने के लिए टै्रफिक डिपार्टमेंट जनवरी से ही नियम तोड़ने वाले वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है. इसके बावजूद टै्रफिक रूल्स तोड़ने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. आंकड़ों की बात करें तो बनारस में महज तीन महीने में 32596 वाहन चालकों का ई-चालान काटा गया. 14 अप्रैल तक यह संख्या 47857 पहुंच गई. यानी 14 दिन में 15261 वाहनों का ई-चालान काटा गया. अगर यही स्थिति रही तो सिर्फ अप्रैल में 30 हजार से अधिक लोगों का चालान होगा. कुल संख्या 60 हजार के पार होगी.
टॉप पर रहा बनारसटै्रफिक रूल्स को लेकर बनारस के लोग बेहद लापरवाह हैं. इसका अंदाज इससे ही लगता है कि चार अप्रैल को टै्रफिक रूल्स टूटने की हद हो गयी. बनारस में रात 10 बजे तक टै्रफिक पुलिस ने कुल 1295 वाहनों के विरुद्ध यातायात नियमों का पालन न किए जाने पर कार्रवाई की. इस आकड़े के साथ पूरे प्रदेश में बनारस टॉप पर आ गया. एक दिन में इससे ज्यादा चालान किसी जिले में नहीं कटा.
जानबूझकर तोड़ रहे रूल्स बनारस के टै्रफिक सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए शहर के 26 प्रमुख चौराहों पर करीब 72 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. साथ ही चौराहों पर लगे लाउडस्पीकर से टै्रफिक का पाठ पढ़ाया जा रहा है. सिगरा स्थित सिटी कमांड सेंटर से टै्रफिक रूल्स तोड़ने वालों पर नजर रखी जा रही है. यह जानते हुए भी पब्लिक रूल्स तोड़ने से बाज नहीं आ रही है. 32596 ई-चालान हुए तीन माह में 15261 वाहनों का ई-चालान 14 अप्रैल तक 2454 ई-चालान जनवरी में काटे गए 11339 ई-चालान फरवरी में काटे गए 18803 वाहनों का ई-चालान कटा मार्च में शमन शुल्क की डिटेल 110000 रुपए पेनाल्टी जनवरी में जमा हुआ 191100 रुपए फरवरी में369900 रुपए मार्च में
370200 रुपए 14 अप्रैल तक