बेसमेंट बनवाते समय लोग इसे अपनी जरूरत के हिसाब से बना तो लेते हैं खासतौर पर व्यावसायिक क्षेत्रों में लेकिन वह वास्तु अनुरूप है या नहीं इसका ख्याल नहीं रखते। पर बेसमेंट बनाते समय कुछ बातों की अनदेखी आपको परेशान कर सकती है।

नमस्कार मित्रों, आजकल हम जब भी कोई निर्माण करते हैं, तो प्रयास यही रहता है कि वह दिखने में खूबसूरत हो और जगह का उपयोग सही और पूरा हो। ऐसा होना भी चाहिए पर कुछ ऐसी भी बातें हैं, जिनपर विचार होना आवश्यक है ताकि जहां कुछ नया बन रहा है, वहां के रहने वालों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो। बेसमेंट बनवाते समय भी यह बात लागू होती है। इसे लोग अपनी जरूरत के हिसाब से बना तो लेते हैं, खासतौर पर व्यावसायिक क्षेत्रों में लेकिन वह वास्तु अनुरूप है या नहीं, इसका ख्याल नहीं रखते। पर बेसमेंट बनाते समय कुछ बातों की अनदेखी आपको परेशान कर सकती है।

1. ऐसे में बेसमेंट जहां भी बनाएं, वहां यह जरूर ध्यान में रखें कि सूर्य की रोशनी पूरी तरह आती हो। यहां पर हल्के रंगों का उपयोग करें, ऐसे रंग जो चुभे नहीं, तो अच्छा है।

2. प्रात:काल उत्तर-पूर्व दिशा से आनेवाली किरणें लाभदायक होती हैं। यदि इस तरफ खिड़कियां भी होंगी तो फायदेमंद ही है। ऐसा होने से ऊर्जा का संचार होता रहता है। यदि यहां किसी तरह का कोई कार्य होता है तो उसके लिए भी यह लाभदायक है। यदि यहां कोई वजनी सामान रखा है, तो यह सामान दक्षिण-पश्चिम की तरफ रखें।  

3. पूर्व-आग्नेय, पश्चिम-वायव्य, उत्तर-वायव्य दिशाओं में खिड़कियां होना अच्छा होता है। यहां से आने वाली रोशिनी बेसमेंट में सकारात्मकता भर देती है। यहां के द्वार पर पवन घंटी लगाना शुभता देता है। इससे यहां पर रहने वाले लोग खुशहाल विचारों से भरे रहते हैं।

4. यदि यहां पर किसी तरह की नकारात्मक ऊर्जा है, तो एक कांच के कटोरे में समुद्री नमक रख देना चाहिए। इसे किसी भी कोने में रख दें। यदि यह गीला हो जा रहा है, तो इसे समय-समय पर बदलते रहें।

5. बेसमेंट के मध्य में सफेद क्रिस्टल लगाएं। इसके कटे हुए हिस्सों से जो प्रकाश निकलता है, उससे यहां की दिशाएं सक्रिय हो जाती हैं। यह यहां की लाभदायक ऊर्जा के संचार में सहायक होता है।

6. यहां अगरबत्ती न जलाएं क्योंकि इससे धुंआ फैलता है और यदि धुंए के निकलने का रास्ता नहीं हुआ, तो फिर यहां धीरे-धीरे नकारात्मक ऊर्जा आने लगती है और यह यहां के लोगों व कार्य के लिए अच्छा नहीं होता तथा स्वास्थ्य को भी विपरीत तरीके से प्रभावित करता है।

7. बहुत कुछ इस पर भी निर्भर करता है कि हम वहां क्या कर रहे हैं और किस तरह से कर रहे हैं यानी बेसमेंट के अंदर व्यवस्थाएं कैसी हैं। यहां की फर्श बनाते समय भी यह ध्यान रखें कि वह समतल हो। यहां के निर्माण में यह भी सहायक होता है कि यह जहां बनाया जा रहा है, वह किस तरह के प्लॉट में है। इसी तरह के बहुत से पहलुओं पर विचार करने के बाद ही इसका बनाना शुभता देता है।

8. शाम के समय यहां रोशिनी जरूर होनी चाहिए। सारे दिन में कुछ समय यहां का मुख्य द्वार और खिड़कियां जरूर खोलने चाहिए, जिससे यहां सकारात्मक ऊर्जा का निवास बना रहे।

 

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Posted By: Kartikeya Tiwari