यदि आपका कार्यस्थान बहुत बड़ा है तब आप वहां चमकीले रंगों का उपयोग कर सकते हैं। यहां ज्ञानवर्धक पोस्टर या फोटोज लगाएं जिससे यहां कार्य करने वालों में उत्साह और निरंतर आगे बढ़ने की भावना बनी रहे।

नमस्कार मित्रों, यदि हम व्यवसाय कर रहे हैं तो वह चाहे दुकान हो, शोरूम हो या फैक्ट्री, छोटी हो या बड़ी, वहां वास्तु वाइब्स का पूरा प्रभाव होता है। वहां की व्यवस्थाएं जैसी होंगी, उसी के अनुरूप आपको उसका फल मिलेगा। यह जरूर ध्यान दें कि हम जो व्यवसाय कर रहे हैं, वो हमारी दुकान की वास्तु स्थिति के अनुकूल है या नहीं। वहां की आंतरिक व्यवस्था कैसी है, वगैरह-वगैरह।

1. जैसे दक्षिण या पश्चिम दिशा की तरफ वाली जगहें खाने-पीने के काम के लिए अच्छी होती हैं। दक्षिण-पूर्व की तरफ वाली जगहें महिला वस्त्रों से संबंधित कार्यों के लिए अच्छी होती हैं। यदि हम कोई ऐसा कार्य कर रहे हैं जो मनोरंजन से संबंधित है, तो उत्तर-पूर्व स्थान फलदायी होता है। कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि आप जो जगह अपने व्यवसाय के लिए ले रहे हैं, वह चाहे अपनी हो या किराए की, वास्तु अनुकूल होनी चाहिए। तब तो वह आपको सफलता भी दिलाएगी अन्यथा आपको सफलता के लिए बहुत प्रयास करने पड़ेंगे।

2. आप जहां काम कर रहे हैं, वहां आपके बैठने का सही स्थान क्या है, यह देखना भी बहुत जरूरी है। व्यापार करने की जगह में आपके बैठने का स्थान दक्षिण-पश्चिम की तरफ हो तो अच्छा है। यहां किसी भी तरह का कोई असंतुलन दिक्कत दे सकता है।

3. आप जिस भी वस्तु का व्यापार कर रहे हैं, वह दक्षिण-पश्चिम के मध्य न पड़ी हुई हो। कार्यक्षेत्र की जगह में उत्तर-पश्चिम वाले स्थान में तैयार माल रखें। यहां उत्तर से लेकर पूर्व दिशा तक का दिशा क्षेत्र पूर्ण रूप से साफ रखें, अन्यथा यह आपके व्यापार में परेशानी दे सकता है और मानसिक तनाव का कारण भी बन सकता है।

4. पूजाघर का स्थान उत्तर-पूर्व में हो तो अच्छा है। इसी तरफ आपसे मिलने वालों के लिए भी स्थान बन सकता है। यहां पर हल्के रंगों का होना अच्छा होता है। खासतौर पर अपने केबिन में तो रंग हल्के ही रखें, जो आंखों को न चुभें।

5. यदि आपका कार्यस्थान बहुत बड़ा है, तब आप वहां चमकीले रंगों का उपयोग कर सकते हैं। यहां ज्ञानवर्धक पोस्टर या फोटोज लगाएं, जिससे यहां कार्य करने वालों में उत्साह और निरंतर आगे बढ़ने की भावना बनी रहे। यह पोस्टर आपके कार्य से संबंधित हों, तो और भी अच्छा है।

6. आपके बैठने का स्थान ऐसा हो, जहां बैठते समय आपकी पीठ मुख्य दरवाजे की तरफ न हो। यहां का मुख्यद्वार साफ-सुथरा हो। प्रवेश द्वार में एक तरफ स्टील की प्लेट में काला क्रिस्टल रखें, जिससे नकारात्मकता न आए। इसे समय-समय पर साफ करते रहें। प्रवेश द्वार में बाहर की तरफ ईविल आई या स्वास्तिक बनाएं।

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Posted By: Kartikeya Tiwari