-केंद्रीय तिब्बती संस्थान में तीन दिवसीय कुलपति सम्मेलन का हुआ समापन

-वक्ताओं ने शिक्षा की गुणवत्ता के साथ युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने पर दिया जोर

VARANASI

विश्व में अशांति का प्रमुख कारण मानव में काम, क्रोध, द्वेष, लोभ, ईष्र्या है। इससे पूरे समाज का नुकसान होता है। ऐसे में हमें सार्वभौमिक नैतिकता पर बल देने की जरूरत है। यूजी व पीजी के कोर्स में सार्वभौमिक नैतिकता को शामिल करना चाहिए ताकि स्टूडेंट्स में करूणा व मैत्री की भावना डेवलप हो सके। यह बातें सारनाथ स्थित केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय कुलपति सम्मेलन के अंतिम दिन बुधवार को वक्ताओं ने कहीं। भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) के 92वें अधिवेशन के अंतिम दिन वक्ताओं ने कहा कि मानव में करूणा व मैत्री बढ़ाने की आवश्यकता है।

सबको जॉब मिलना मुश्किल

वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता के साथ रोजगार के अवसर प्रदान करने पर भी ध्यान देने की जरूरत है। सभी स्टूडेंट्स को रोजगार मुहैया कराना संभव नहीं है। ऐसे में युवकों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना होगा। अध्यक्षता केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान के वीसी प्रो। गेशे नवांग समेतन व धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के संयोजक डॉ। देवराज सिंह ने किया। सम्मलेन का इनॉगरेशन बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक गुरु परम पावन दलाई लामा ने किया था।

तिब्बती संस्थान में खुलेगा सेंटर

केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान में सार्वभौमिक नैतिकता केंद्र खुलेगा। ताकि सार्वभौमिक नैतिकता व मानव मूल्यों पर शोध हो सके। वीसी ने इसकी मंजूरी भी दे दी है।

सम्मेलन में पारित हुआ प्रस्ताव

-भारत युवाओं का देश होने के कारण उच्च शिक्षा के क्षेत्र में और बेहतर कार्य करने की जरूरत

- आर्थिक व सामाजिक दोनों पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक

- मानवीय मूल्यों पर आधारित हो शिक्षा।

- आर्थिक क्षमताओं के अनुरूप रोजगार व स्वरोजगार उपलब्ध कराने की जरूरत।

- समय-समय पर पाठ्यक्रमों में तकनीकी पक्ष हों अपडेट

- मानवीय मूल्यों पर आधारित हो शिक्षकों के पुनश्चर्या कार्यक्रम।

- सार्वभौमिक नैतिकता व मानवीय मूल्यों का भी पाठ्यक्रमों में हो समावेश

Posted By: Inextlive