आधार की संवैधानिक वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच ने अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आधार को यूनीक बताया है। आइए जानें आधार के शुरू होने से लेकर उसके अब तक के सफर के बारे में...


2009-1028 जनवरी, 2009 : योजना आयोग ने यूआईडीएआई को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया।सितंबर 2010 : महाराष्ट्र के गांव से आधार कार्यक्रम लांचनेशनल आईडेंटिफिकेशन अथाॅरिटी ऑफ इंडिया बिल, 2010 लाया गया। बाद में स्टैंडिंग कमेटी में इसकी फंडिंग, निजता, आंकड़ों की संवेदनशीलता आदि के मुद्दे उठे।2012-1330 नवंबर, 2012 : आधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार भारत सरकार को नोटिस जारी किया। दरअसल उच्चतम न्यायालय में जस्टिस केएस पुत्तस्वामी ने आधार के खिलाफ एक जनहित याचिका दाखिल की थी। इस मामले में कई अन्य पीआईएल भी कोर्ट में दाखिल की गई थी।23 सितंबर, 2013 : दो जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई शुरू की।26 नवंबर, 2013 : सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्ष मानकर जवाब देने को कहा।2016


3 मार्च , 2016 : लोकसभा में आधार बिल, 2016 पेश किया गया और बाद में उसे मनी बिल के तौर पर पास कर दिया गया।10 मई, 2016 : कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मनी बिल के तौर पर आधार के पारित किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे डाली।21 अक्टूबर, 2016 : एसजी वोमबेटकेरे ने भारत सरकार को पार्टी बनाते हुए आधार एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

2017

31 मार्च, 2017 : 139 AA इनकम टैक्स एक्ट के तहत आयकर रिटर्न फाइल करने और पैन के लिए आधार जरूरी कर दिया गया।1 जून, 2017 : बैंक खाता खोलने के लिए आधार जरूरी कर दिया गया।9 जून, 2017 : दो जजों की बेंच ने आधार लिंक किए बिना पैन को अवैध मानने से थोड़े दिनों के लिए छूट दी।24 अगस्त, 2017 : नौ जजों की बेंच ने फैसला दिया कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है।201817 जनवरी, 2018 : पांच जजों की बेंच ने आधार मामले की सुनवाई शुरू की।10 मई, 2018 : सुप्रीम कोर्ट ने आधार पर फैसला सुरक्षित रखा।

आधार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला : आधार का मतलब यूनीक, बेस्ट से यूनीक होना ज्यादा अच्छासुप्रीम कोर्ट का फैसला, जानें अब कहां करना है आधार लिंक और कहां नहीं

Posted By: Shweta Mishra