Bareilly: तेज गर्मी ने लोगों को बेहद परेशान कर रखा है. ऊपर से बिजली की कटौती ने एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा वाली कहावत सही साबित कर दी है. लोगों को इन दिनों महज 5-6 घंटे ही बिजली मिल रही है. बिजली इतनी कम सप्लाई क्यों हो रही है. कभी सोचा है आपने? इसके पीछे की वजह हम बताते हैं आपको. बिजली विभाग को कम बिजली सप्लाई करने के बदले मोटी रकम मिलती है और ये रकम दी जाती है इंवर्टर शॉपकीपर्स की ओर से. ताकि बिजली कम मिले तो इंवर्टर की बिक्री में इजाफा हो. इस खेल ने पब्लिक को परेशान कर रखा है.


भेजी जाती है मोटी रकमबिजली विभाग के सूत्रों के अनुसार सिटी में करीब 20 ऐसे इंवर्टर बेचने वाले शॉपकीपर है जो बिजली विभाग को मोटी रकम देते हैं। ये मोटी रकम ज्यादा बिजली कटौती करने के लिए दिए जाते हैं ताकि लोग परेशान हो कर इंवर्टर की खरीदारी करें। मसलन जितनी ज्यादा बिजली कटौती होगी उतनी ही इंवर्टर की सेलिंग बढ़ेगी। सूत्रों की माने तो बिजली विभाग को दिए जाने वाले पैसे एक-एक शॉपकीपर नहीं देते बल्कि सभी की ओर से  इकठ्ठा करके एकमुश्त दी जाती है।अच्छी खासी होती है सेल


बिजली विभाग और इंवर्टर शॉपकीपर्स की मिली भगत के चलते मजबूरन लोगों को इंवर्टर का ही सहारा लेना पड़ता है। इन दिनों ऐसे एरिया में इंवर्टर शॉपकीपर्स की बल्ले-बल्ले हो रही है, जहां बिजली की काफी ज्यादा कटौती होती है। छानबीन के दौरान पता चला कि ऐसे एरिया में एक इंवर्ट शॉप से रोजाना 5-6 इंवर्टर की खरीदारी की जा रही है। 20 घंटे से ज्यादा मिलती बिजली

बिजली विभाग के सूत्रों की माने तो बरेली अर्बन में बिजली विभाग को तीन डिविजन में बांटा गया है, जिसके अंतर्गत 85 फीडर है। एक फीडर की क्षमता करीब 200 एम्पियर यानि (3.4) मेगावॉट की होती है। इस हिसाब से अर्बन एरिया में 289 मेगावाट बिजली सप्लाई होनी चाहिए। जबकि इसका 50 परसेंट हिस्सा भी सप्लाई नहीं किया जाता है। सूत्रों की माने तो विभाग द्वारा 289 मेगावाट बिजली सप्लाई की जाए तो अर्बन एरिया के कंज्यूमर को करीब 20 घंटे से ज्यादा बिजली मिल सकेगी।ऐसा भी करता है विभागइंवर्टर की ज्यादा सेलिंग हो, इसके लिए बिजली विभाग द्वारा सुभाषनगर, पवन विहार, किला, फरीदपुर, बहेड़ी, राजेंद्रनगर, सीबीगंज सहित ऐसे कई एरिया में बिजली सप्लाई एक फेस या लो वोल्टेज के साथ की जाती है। नाम न छापने की शर्त पर एक कंज्यूमर ने बताया कि जब एक फेस या वोल्टेज लो होने की शिकायत पवन विहार पावर हाउस में करता हूं तो ठीक करने के लिए यहां के जेई द्वारा दो सौ रुपए की डिमांड की जाती है। अगर लो वोल्टेज या एक फेस में आ रहे बिजली को ठीक करने के लिए या और किसी बात के लिए विभाग द्वारा कोई पैसा ले रहा है तो लोग इसकी शिकायत करे। विजिलेंस है, प्रशासन है पकड़े जाने पर उसे तुरंत ड्यूटी से हटा दिया जाएगा।- हरीश चंद्रा, इंजीनियर, बिजली विभाग

मेरे एरिया में तो मात्र 5 से 6 घंटे ही बिजली आती है, जिसके चलते इंवर्टर लगवाया लेकिन इतनी कम बिजली में इंवर्टर भी चार्ज नहीं हो पा रहा है।- अनूप कुमार एडवोकेट, बिहारीपुरपूछिए मत, बिजली विभाग की लापरवाही का भुगतान हम लोगों को करना पड़ रहा है। बिल समय पर जमा करने के बाद  भी बिजली नहीं मिल पा रही है।-डॉ। एनसी मंडल, सुभाषनगरमेरा तो इंवर्टर की बैठ गया है। बिजली सही से नहीं आने की वजह से हमेशा लो वोल्टेज बना रहता है, जिस वजह से दोबारा इंवर्टर खरीदना पड़ा। - अमित कुमार सोलंकी, गणेश नगरमेरे एरिया में तो एक ही फेस में बिजली आती है। कई बार कंप्लेन करने के बाद भी विभाग द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया गया।- मोहित मिश्रा, पवन विहारआपके हिस्से की बिजली वेस्ट कर रहा नगर निगम
शहर का पारा 43 डिग्री क्रॉस कर चुका है। गर्मी से बरेलियंस बेहाल हैं। इसी में बिजली कटौती ने कोढ़ में खाज वाली स्थिति पैदा कर दी है। लोग बिजली के लिए तरस रहे हैं और वहीं नगर निगम इसे जाया कर रहा है। आई नेक्स्ट ने फ्राइडे को शहर में बिजली की बर्बादी का जायजा लिया तो सबसे बड़ा अपराधी नगर निगम ही निकला। गलियों और चौराहों की स्ट्रीट लाइट्स भरे दिन में जल रही थीं। एक तरफ तो यूपीपीसीएल शॉर्टेज ऑफ इलेक्ट्रिसिटी की बात करता है, वहीं निगम हर महीने लाखों की बिजली वेस्ट कर रहा है।110 रुपए पर मंथ का भुगतान स्ट्रीट लाइट नगर निगम और विद्युत विभाग के ज्चाइंट एफर्ट पर लगाई जाती है। नगर निगम हर प्वाइंट के लिए विद्युत विभाग को अलग से पेमेंट करता है, जो विद्युत विभाग के हाउस टैक्स और वाटर टैक्स में एडजस्ट हो जाता है। सोर्सेज के मुताबिक, हर प्वाइंट के लिए 110 रुपए महीने के हिसाब से नगर निगम, विद्युत विभाग को पे करता है। अब अगर शहर में जल रही सभी स्ट्रीट लाइट का हिसाब लगाया जाए तो हर महीने लाखों रुपए की बर्बादी तो विभागीय लापरवाही के चलते हो रही है। नहीं हैं स्ट्रीट लाइट वायर
नगर निगम का प्रकाश विभाग शहर की स्ट्रीट लाइट को दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी निभाता है। इसके लिए बकायदा लाखों का बजट होता है। शहर में रोड्स को रोशन करने के  लिए नगर निगम, विद्युत विभाग के साथ मिलकर स्ट्रीट लाइट के लिए अलग से वायर बिछाता है। नियमानुसार इस वायर में करंट सर्टेन ड्यूरेशन में ही दौड़ाया जाता है, जिससे दिन में खुद ब खुद स्ट्रीट लाइट बंद हो जाती है। हैरानी कि बात है कि आधे बरेली शहर में स्ट्रीट लाइट के लिए सैपरेट इलेक्ट्रिक वायर लगाए ही नहीं गए हैं।स्विच फांक रहे धूल इलेक्ट्रिक वायर के अभाव में स्ट्रीट लाइट दिन रात जलती रहती हैं। प्रकाश विभाग के सोर्सेज के अकॉर्डिंग, गलियों में हर 10वें खंभे पर स्ट्रीट लाइट के लिए स्विच लगना था। वहीं रोड पर हर 25वें खंभे पर बॉक्स के साथ स्विच लगाना था, ताकि जरूरत पडऩे पर स्विच ऑन ऑफ किया जा सके। रोड पर तो बॉक्स लगे हैं मगर इनका यूज नहीं किया जा रहा है। दूसरी तरफ गलियों की स्थिति तो ज्यादा खराब है। वहां तो ये स्विच लगाए ही नहीं गए हैं। मेन लाइन से डायरेक्ट कनेक्टेड ये सोडियम लाइट दिन-रात जलती रहती हैं। अभी हाल में प्रकाश विभाग ने स्विच खरीदे हैं जो गोदाम में धूल फांक रहे हैं।

Posted By: Inextlive