पूर्व सेना प्रमुख और विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह एक बार फिर विवादों से घिर गए हैं. वो नरेंद्र मोदी सरकार के पहले ऐसे मंत्री बन गए हैं जिनसे विपक्ष ने इस्तीफ़ा मांगा है.


सेना में उनका अतीत उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है. इस बार उनका जिस विवाद में नाम आया है, वह देश के भावी सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग को लेकर है.दरअसल केंद्र सरकार ने वीके सिंह के सेना प्रमुख रहते  दलबीर सिंह सुहाग पर हुई कार्रवाई को अदालत में एक हलफ़नामे में अवैध और पूर्वनियोजित बताया है.वहीं इस मुद्दे पर रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जनरल दलबीर सिंह सुहाग ही देश के सेना प्रमुख होंगे. उन्होंने कहा कि सैन्य बलों से जुड़े मामलों को राजनीति से बाहर रखना चाहिए.उन्होंने कहा कि जो मामला अदालत में विचाराधीन है, उस पर सदन में चर्चा नहीं की जा सकती है.जायज़ कार्रवाईइस बीच जनरल  वीके सिंह ने जनरल दलबीर सिंह सुहाग पर ट्वीट के ज़रिए हमला बोला है. ट्वीट में उन्होंने सुहाग के ख़िलाफ़ अपनी पुरानी कार्रवाई को जायज़ बताया है.


इस तरह जनरल सुहाग की नियुक्ति पर सरकार और उसके राज्यमंत्री  वीके सिंह का रुख़ अलग-अलग हो गया है.वीके सिंह ने ट्विटर पर लिखा, "यदि कोई यूनिट बेगुनाहों की हत्या करती है, लूटपाट करती है और उसके बाद यूनिट का प्रमुख उन्हें बचाने का प्रयास करता है, तो क्या उसे ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए? अपराधियों को खुला घूमने दिया जाना चाहिए?"

रक्षा मंत्रालय ने लेफ्टिनेंट जनरल रवि दस्ताने के पदोन्नति मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफ़नामे में कहा है कि सुहाग के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए जिन ख़ामियों को आधार बनाया गया वे ग़ैर-क़ानूनी, असंगत और पूर्वनियोजित थे.अनुशासनात्मक कार्रवाईसुहाग के नेतृत्व वाली एक यूनिट ने कथित तौर पर पूर्वोत्तर क्षेत्र में हत्याएं और लूटपाट की थीं. तत्कालीन सेना प्रमुख वीके सिंह ने सुहाग के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई हुए उनकी पदोन्नति पर रोक लगा दी थी.लेकिन जनरल बिक्रम सिंह के सेना प्रमुख बनते ही सुहाग की पदोन्नति पर लगी रोक हटा दी गई थी.जनरल वीके सिंह के पास पूर्वोत्तर भारत के विकास से जुड़े मंत्रालय का भी प्रभार है.केंद्र सरकार के इस हलफ़नामे के आधार पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह के त्यागपत्र की मांग की है.वहीं पार्टी ने रेणुका कुमारी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है, इसलिए विदेश राज्यमंत्री को सोच-समझ कर बोलना चाहिए. उन्हें यह पता होना चाहिए कि उनके बोलने का क्या प्रभाव होगा.

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari